एकेटीयू : मंडलायुक्त ने निहारी कलाकृतियां, बोलीं- लखनऊ की सुंदरता में जुड़ेगी नई कड़ी

UPT | Roshan Jacob

Oct 25, 2024 20:21

मंडलायुक्त डॉ रोशन जैकब ने एकेटीयू में देश के पांच राज्यों से आए दस मूर्तिकलाकारों की सुंदर और आकर्षक कलाकृतियां निहारी

Lucknow News : डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (एकेटीयू) के योजना एवं वास्तुकला संकाय में आठ दिवसीय आठ दिवसीय अखिल भारतीय समकालीन मूर्तिकला शिविर का आयोजन किया गया था। शिविर में देश के पांच राज्यों से आए दस मूर्तिकलाकारों ने बेहद सुंदर और आकर्षक कलाकृतियां बनाई हैं। अनूठी शैली से गढ़ी गई मूर्तियों को शहर में स्थापित किया जाएगा। ये मूर्तियां प्रमुख चौराहों और पार्कों में लगाई जाएंगी। जिससे शहर की सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत में चार चांद लग जाएंगे। शुक्रवार को मंडलायुक्त डॉ रोशन जैकब ने मूर्तिकला का दीदार किया। इस दौरान उन्होंने सभी कलाकारों की कृतियों की प्रशंसा की और लखनऊ विकास प्राधिकरण और वास्तुकला संकाय के इस संयुक्त प्रयास की सराहना की। 

लखनऊ के सौंदर्यीकरण में एक नई कड़ी जुड़ेगी
मंडलायुक्त ने कहा कि इन मूर्तिशिल्पों को राजधानी में अलग-अलग स्थानों पर स्थापित होने से लखनऊ में एक अद्भुत दृश्य बनेगा। उन्होंने कहा कि ऐसे ही और कला शिविरों का आयोजन भविष्य में किया जाए, जिसमें स्थानीय कलाकारों द्वारा और बड़े—बड़े आकारों में समकालीन मूर्तिशिल्प का निर्माण कार्य कराया जाए। इस प्रकार के मूर्तिशिल्पों से लखनऊ के सौंदर्यीकरण में एक नई कड़ी जुड़ेगी। इस अवसर पर लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार, डॉ0 वंदना सहगल (शैल उत्सव की क्यूरेटर व अधिष्ठाता वास्तुकला एवं योजना संकाय), कोऑर्डिनेटर जुवैरिया कमरुद्दीन, मूर्तिकार अजय कुमार, मुकेश वर्मा सहित अनेक लोग उपस्थित रहे।

उत्कृष्ट मूर्तिशिल्प का किया निर्माण
आठ दिनों के अथक परिश्रम के बाद सभी कलाकारों ने उत्कृष्ट मूर्तिशिल्प का निर्माण किया। शिविर में आए कलाकारों में दो महिला और आठ पुरुष बिहार, गुजरात, दिल्ली, राजस्थान और उत्तर प्रदेश से आए थे। गुजरात की मूर्तिकार अवनी पटेल ने मून होल्डिंग वाटर मूर्ति बनाई है। मूर्तिकार निधि ने लैंडस्केप ऑफ रिबेलेंसिंग मूर्ति का निर्माण किया। संतो कुमार चौबे ने कैक्टस एंड क्लाउड मूर्ति बनाई। शैलेश मोहन ओझा ने लेफ्ट राइट सैंडस्टोन और गिरीश पांडे ने पेपर लिली जैसी मूर्तियां बनाईं। यह मूर्तियां अपनी अनूठी शैलियों के कारण विशेष आकर्षण का केंद्र बनी हैं।
 

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