अम्बेडकर विश्वविद्यालय : विशेषज्ञों ने जलवायु परिवर्तन के खतरों पर जताई चिंता, बोले- 2030 तक 40 फीसदी आबादी को झेलना होगा पानी का संकट

UPT | बीबीएयू में आयोजित संगोष्ठी में बोलते डॉ. राजीव पाण्डेय।

Nov 25, 2024 19:02

बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय (बीबीएयू) में सोमवार को विशेषज्ञों ने जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न होने वाले विभिन्न खतरों को लेकर चिंता जताई है।

Lucknow News : बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय (बीबीएयू) में सोमवार को विशेषज्ञों ने जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न होने वाले विभिन्न संकटों को लेकर चिंता जताई है। विश्वविद्यालय में आयोजित दो दिवसीय अंतरारष्ट्रीय संगोष्ठी में विशेषज्ञों ने बताया कि जलवायु परिवर्तन के कारण पानी के संकट और कृषि क्षेत्र पर गहरा असर पड़ेगा। इससे निपटने के लिए वैश्विक सहयोग, नवीनतम प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल और जलवायु अनुकूलन के उपायों पर जोर दिया।

किसानों की आर्थिक स्थिति पर पड़ेगा असर
इंडियन काउंसिल ऑफ फोरेस्ट्री रिसर्च एंड एजूकेशन से डॉ. राजीव पाण्डेय ने जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार प्राकृतिक और सामाजिक कारकों का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि जलवायु परिवर्तन के कारण 2030 तक 40 फीसदी जनसंख्या पानी की कमी का सामना करेगी। किसानों की आर्थिक स्थिति पर भी गंभीर असर पड़ेगा। बड़ी संख्या में किसान गरीबी रेखा से नीचे जा सकते हैं। जो कृषि उत्पादकता में कमी, फसलों के नुकसान और जलवायु के उतार-चढ़ाव के कारण हो सकता है। अव्यवस्थित मानव खाद्य श्रृंखला, पोषक तत्वों की कमी जैसे बदलाव देखने को मिलेंगे। 

 

जलवायु परिवर्तन अंतरराष्ट्रीय समस्या
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो एनएमपी. वर्मा ने संगोष्ठी में ऑनलाइन जुड़कर कहा कि जलवायु परिवर्तन एक अंतरराष्ट्रीय समस्या है। इसके लिए सिर्फ वैश्विक स्तर पर न देखकर बल्कि निजी स्तर पर एक अहम मुद्दा मानते हुए काम करने की जरूरत है। चूंकि प्रकृति हमारी माता के समान है। इसे संरक्षित करा हम सभी का कर्तव्य है। जयपुरिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट, नोएडा के डॉ. अमरनाथ त्रिपाठी ने मौसम और तापमान में अनिश्चित बदलाव को जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारण बताया। जलवायु परिवर्तन के कई समाधान हमें आर्थिक लाभ प्रदान करते हैं। हमें जागरुक होकर सतत विकास लक्ष्य, पेरिस समझौता एवं अन्य समझौतों को ध्यान में रखते हुए पर्यावरण के हित में कार्य करना चाहिए।

बारिश का पैटर्न बदला
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रो. निजामुद्दीन खान ने बताया कि आज के समय में जलवायु परिवर्तन से भारत सहित पूरी दुनिया में बाढ़, सूखा, कृषि संकट, खाद्य सुरक्षा, बीमारियां, प्रवासन का खतरा बढ़ा है। दूसरी ओर उत्पादन में कमी, कृषि योग्य परिस्थितियों में कमी, तापमान अनियमितता और बारिश के पैटर्न के बदलाव देखने को मिले हैं, जोकि एक गंभीर समस्या है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रो पीके घोष ने अंतरराष्ट्रीय सोलर अलायंस का जिक्र करते हुए कहा कि यह एक प्रकार का सहयोगात्मक कार्यक्रम है। जिसका मुख्य उद्देश्य सौर ऊर्जा तकनीकी को विकसित करना है, जो मुख्यतः ऊर्जा पहुंच, ऊर्जा सुरक्षा और ऊर्जा स्थानांतरण पर आधारित है। इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस रिसर्च द्वारा पोषित एवं अर्थशास्त्र विभाग, बीबीएयू द्वारा 'जलवायु लचीले समाज का निर्माण : मुद्दे और चुनौतियां विषय पर आयोजित संगोष्ठी में आयोजन समिति की ओर से अतिथियों को पुष्पगुच्छ भेंट करके उनके प्रति आभार व्यक्त किया गया। 

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