Cancer Treatment : पुरुषों से दोगुना महिलाएं छोड़ रहीं इलाज, SGPGI के संयुक्त अध्ययन में सामने आई ये वजह

UPT | SGPGI

Jan 02, 2025 12:20

अध्ययन में मरीजों को चार श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया। इनमें इलाज से मना करने वाले, इलाज में देरी करने वाले, इलाज अधूरा छोड़ने वाले और अनियमित इलाज कराने वाले मरीजों को शामिल किया गया।

Lucknow News :  कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के इलाज में भी महिलाएं सामाजिक गैरबराबरी का सामना कर रही हैं। संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई), अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) और जेएनएमसीएच संस्थान के संयुक्त अध्ययन में यह खुलासा हुआ है कि पुरुषों के मुकाबले दोगुनी संख्या में महिलाएं कैंसर का इलाज अधूरा छोड़ रही हैं।

चार श्रेणियों में बांटा गया इलाज छोड़ने वालों को 
अध्ययन में मरीजों को चार श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया। इनमें इलाज से मना करने वाले, इलाज में देरी करने वाले, इलाज अधूरा छोड़ने वाले और अनियमित इलाज कराने वाले मरीजों को शामिल किया गया। इन श्रेणियों के आधार पर मरीजों की उम्र, लिंग, सामाजिक और आर्थिक स्थिति, निवास और शिक्षा के स्तर को ध्यान में रखकर रिपोर्ट तैयार की गई। अध्ययन में कुल 651 मरीज शामिल रहे।



इलाज अधूरा छोड़ने वाले आंकड़े
पहली श्रेणी : 200 मरीजों में से 44 (22 प्रतिशत) ने इलाज अधूरा छोड़ा।
दूसरी श्रेणी : 156 मरीजों में से 30 (19.23 प्रतिशत) ने इलाज में देरी की।
तीसरी श्रेणी : 156 मरीजों में से 17 (10.89 प्रतिशत) ने इलाज अधूरा छोड़ा।
चौथी श्रेणी : 139 मरीजों में से 27 (19.42 प्रतिशत) ने अनियमित इलाज कराया।

महिलाओं में इलाज छोड़ने का प्रतिशत अधिक
महिलाओं के कैंसर का इलाज छोड़ने का प्रतिशत पुरुषों से लगभग दोगुना पाया गया।
इलाज से मना करने वाले : पुरुषों में 18.06 प्रतिशत और महिलाओं में 35.56 प्रतिशत
इलाज अधूरा छोड़ने वाले : पुरुषों में 8.53 प्रतिशत और महिलाओं में 20.69 प्रतिशत
अनियमित इलाज वाले : पुरुषों में 15.25 प्रतिशत और महिलाओं में 39.13 प्रतिशत
इलाज में देरी करने वाले : पुरुषों में 16.28 प्रतिशत और महिलाओं में 31.03 प्रतिशत

अशिक्षा और आर्थिक स्थिति बनी बड़ी बाधा
इलाज छोड़ने और अनियमितता में अशिक्षा सबसे बड़ी वजह साबित हुई।
इलाज से मना करने वालों में 32.79 प्रतिशत अशिक्षित पाए गए।
अनियमित इलाज कराने वालों में 37.50 प्रतिशत पूरी तरह अशिक्षित थे।
अध्ययन में यह भी सामने आया कि आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों में भी इलाज अधूरा छोड़ने के मामले अधिक थे।

महिलाओं के इलाज में भेदभाव का कारण
विशेषज्ञों के अनुसार, महिलाओं के मामले में भेदभाव का मुख्य कारण सामाजिक धारणा है। आज भी समाज में यह सोच हावी है कि महिलाओं की स्वास्थ्य समस्याओं को प्राथमिकता नहीं दी जानी चाहिए। इसके अलावा, अशिक्षा और गरीबी इस स्थिति को और खराब बनाते हैं।

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