संविदा बिजली कर्मियों का लखनऊ में प्रदर्शन : नौकरी से निकाले जाने का विरोध, ऊर्जा मंत्री-मुख्यमंत्री से करेंगे मुलाकात

UPT | मध्यांचल मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन करते संविदा कर्मी

Oct 28, 2024 16:23

प्रदर्शन कर्मचारियों ने कहा कि उनकी समस्या का निस्तारण किया जाना चाहिए। लेकिन, पावर कारपोरेशन के अधिकारी हीलाहवाली कर रहे हैं। पहले भी विरोध करने पर वार्ता के लिए बुलाया गया, आश्वासन भी दिया गया कि सभी समस्याओं का समाधान किया जाएगा। लेकिन, अधिकारी फिर अपनी ही बात से पीछे हट जाते हैं।

Lucknow News : दीपावली से पहले करीब 25000 बिजली कर्मचारियों की नौकरियों पर संकट मंडराने लगा है। सोमवार को गोखले मार्ग स्थित मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (MVVNL) के मुख्यालय के बाहर 19 जनपदों से आए लगभग एक हजार कर्मचारियों ने विरोध-प्रदर्शन किया। कर्मचारियों का आरोप है कि निगम हर जनपद कार्यालय में 50 प्रतिशत कर्मचारियों की छंटनी कर रहा है, जिसके तहत 25000 से अधिक कर्मचारियों को नौकरी से हटाने की योजना है। इससे उनका परिवार सड़क पर आ जाएगा।

संविदा कर्मियों पर भारी आर्थिक संकट
प्रदर्शन के दौरान उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन संविदा कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री देवेन्द्र कुमार पांडेय ने कहा कि संविदा पर कार्यरत कर्मचारियों का वेतन पहले ही कम है। इस पर भी अब नौकरी से निकाले जाने से उनकी आर्थिक स्थिति और खराब हो जाएगी। उन्होंने बताया कि कर्मचारियों की रोजी-रोटी पर हमला किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यदि आवश्यकता पड़ी तो ऊर्जा मंत्री एके शर्मा और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी इस मसले पर बातचीत की जाएगी।



निकाले गए कर्मचारियों की लिस्ट के बाद रोष
धरने में शामिल एक अन्य कर्मचारी नेता ने बताया कि निगम द्वारा 50 प्रतिशत छंटनी के आदेश जारी कर दिए गए हैं और इसके तहत निकाले जाने वाले कर्मचारियों की लिस्ट कार्यालयों में लगा दी गई है। कर्मचारियों ने निगम अधिकारियों को 12 सूत्रीय ज्ञापन भी सौंपा है, जिसमें छंटनी रोकने की मांग की गई है। यदि इन मांगों पर कोई निर्णय नहीं किया गया, तो कर्मचारियों ने हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी है।

पूरे प्रदेश में आंदोलन की घोषणा
देवेंद्र पांडेय ने कहा कि आउटसोर्सिंग पर काम कर रहे कर्मचारियों को इस तरह से हटाना असहनीय है और यदि जल्द ही इस फैसले को वापस नहीं लिया गया, तो पूरे प्रदेश में आंदोलन तेज किया जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ लोग संविदा कर्मियों को नौकरी से हटाकर सरकार की छवि खराब करने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि कर्मचारी नाराज होकर कार्य रोक दें और सरकार की छवि पर नकारात्मक प्रभाव पड़े।

कर्मचारियों की संख्या कम करने से उपभोक्ताओं पर पड़ेगा असर
प्रदर्शन कर्मचारियों ने कहा कि उनकी समस्या का निस्तारण किया जाना चाहिए। लेकिन, पावर कारपोरेशन के अधिकारी हीलाहवाली कर रहे हैं। पहले भी विरोध करने पर वार्ता के लिए बुलाया गया, आश्वासन भी दिया गया कि सभी समस्याओं का समाधान किया जाएगा। लेकिन, वार्ता की टेबल से हटते ही अधिकारी फिर से अपनी ही बात से पीछे हट जाते हैं। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि पावर कारपोरेशन प्रबंधन कुल कर्मचारियों कि संख्या का लगभग 51 प्रतिशत के बराबर कर्मचारियों की तैनाती कर बिजली के लाइनों का अनुरक्षण, सबस्टेशनों का परिचालन, राजस्व वसूली, विद्युत विच्छेदन आदि काम करा रहा है। कर्मचारियों की संख्या कम होने से उनके ऊपर कार्य का अधिक भार पड़ने से बड़े पैमाने पर दुर्घटनाएं हो रही हैं, जिसमें प्रत्येक वर्ष सैकड़ों कर्मचारियों को जान गंवानी पड़ रही है। ऐसे में कर्मचारियों की छंटनी करने से जहां एक तरफ उपभोक्ताओं को बिजली मुहैया कराने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा, वहीं कर्मचारियों की दुर्घटनाओं में इजाफा होगा।

मांगे पूरी होने तक जारी रहेगा संघर्ष
कर्मचारियों की भारी भीड़ और उनके आक्रोश को देखते हुए मौके पर पुलिस की तैनाती की गई। कर्मचारियों का कहना है कि यह मुद्दा सिर्फ उनकी नौकरी का नहीं, बल्कि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति का भी है। अगर छंटनी का फैसला लागू किया गया, तो हजारों परिवारों पर इसका नकारात्मक असर पड़ेगा, वह सड़क पर आ जाएंगे। इसलिए यह संघर्ष जारी रहेगा।

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