Lucknow Crime : बहन को अगवा करने की धमकी देकर छात्र से सात लाख और जेवर हड़पे, इस तरह हुई शुरुआत

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Oct 16, 2024 10:00

गोमतीनगर पुलिस के मुताबिक कुछ समय बाद आरोपी ने छात्र को उसकी बहन को अगवा करने की धमकी दी, जिससे डर कर छात्र ने उसे सात लाख रुपये, सोने की अंगूठी और दो चेन भी दे दी। इस रकम का पता तब चला जब छात्र की मां ने लॉकर चेक किया और वहां से रुपये और जेवर गायब पाए।

Lucknow News : लखनऊ में गोमतीनगर इलाके में छात्र से सहपाठी ने उसकी बहन को अगवा करने की धमकी देकर सात लाख रुपये और लाखों के जेवर वसूल लिए। छात्र की मां ने इस मामले में थाने में शिकायत दर्ज कराई है। पुलिस जांच में सामने आया कि यह रकम मकान निर्माण के लिए बैंक लोन से प्राप्त हुई थी।

16 हजार रुपये की मदद बनी लाखों की वसूली का जरिया
पीड़ित छात्र की मां ने बताया कि करीब सालभर पहले आरोपी सहपाठी ने मदद के बहाने 20 हजार रुपये मांगे थे। छात्र ने अपनी मां के यूपीआई अकाउंट से उसे 16 हजार रुपये ट्रांसफर किए। मां ने इस ट्रांजेक्शन का पता चलते ही आरोपी को फटकारा, जिसके बाद उसने 14 हजार रुपये लौटाए। लेकिन, दो हजार खर्च हो जाने की बात कही।



भाई से बहन को अगवा करने की धमकी देकर वसूले रुपये और जेवर
गोमतीनगर पुलिस के मुताबिक कुछ समय बाद आरोपी ने छात्र को उसकी बहन को अगवा करने की धमकी दी, जिससे डर कर छात्र ने उसे सात लाख रुपये, सोने की अंगूठी और दो चेन भी दे दी। इस रकम का पता तब चला जब छात्र की मां ने लॉकर चेक किया और वहां से रुपये और जेवर गायब पाए। बेटे से पूछताछ करने पर सारा मामला सामने आया। अब आरोपी के नंबर भी बंद हो गए हैं, जिससे उससे संपर्क नहीं हो पाया है।

अभिभावकों के लिए सतर्कता का संदेश
इस घटना के बाद मनोचिकित्सक डॉ. देवाशीष शुक्ला ने अभिभावकों को सलाह दी है कि बच्चों के व्यवहार में किसी भी बदलाव को हल्के में न लें। बच्चों से संवाद बनाए रखें और उनके साथ दोस्ताना व्यवहार करें। यदि वे किसी दबाव में हैं तो खुलकर बातें करें और उनका मार्गदर्शन करें। साथ ही, बच्चों के मोबाइल का पासवर्ड नियमित रूप से बदलें और उन्हें यूपीआई जानकारी साझा करने से मना करें।

बच्चों के साथ बातचीत की आदत डालें
बच्चों के साथ संवाद उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मोबाइल के उपयोग पर निगरानी रखने के साथ-साथ, उन्हें ऑनलाइन धोखाधड़ी और अन्य नुकसान के बारे में जागरूक करना भी आवश्यक है। अभिभावकों को यह समझना चाहिए कि उनकी भूमिका जासूस की नहीं, बल्कि मार्गदर्शक की होनी चाहिए।

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