यूपी के पूर्व मुख्य सचिव बने साइबर अपराध के शिकार : क्रेडिट कार्ड से की 383 डॉलर की अवैध खरीदारी, पुलिस जांच शुरू

UPT | आलोक रंजन

Jul 11, 2024 11:49

पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन साइबर अपराध का शिकार हो गए हैं। अज्ञात साइबर अपराधियों ने उनके क्रेडिट कार्ड का दुरुपयोग करते हुए लगभग 383 अमेरिकी डॉलर की अनधिकृत खरीदारी कर ली।

Lucknow News : उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन साइबर अपराध का शिकार हो गए हैं। अज्ञात साइबर अपराधियों ने उनके क्रेडिट कार्ड का दुरुपयोग करते हुए लगभग 383 अमेरिकी डॉलर (करीब 32,000 रुपये) की अनधिकृत खरीदारी कर ली। इसकी जानकारी उन्हें ट्रांजेक्शन मैसेज आने पर हुई। पूर्व मुख्य सचिव ने बैंक के टोल फ्री नंबर से क्रेडिट कार्ड ब्लॉक कराने के साथ गोमतीनगर कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई है।

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खुद को SBI कर्मचारी बताया
आलोक रंजन ने बताया कि उन्हें 8 जुलाई को दोपहर के समय एक संदिग्ध फोन कॉल आया। कॉल करने वाले व्यक्ति ने खुद को भारतीय स्टेट बैंक (SBI) का कर्मचारी बताया और उनके क्रेडिट कार्ड पर एक लाख नौ हजार रुपये के बकाया का उल्लेख किया। कॉलर ने चतुराई से रंजन को अपने फोन पर '9' नंबर दबाने के लिए प्रेरित किया, जिसके बाद उन्हें बैंक से संपर्क करने की सलाह दी गई।



SBI के ग्राहक सेवा केंद्र पर की शिकायत 
इसी दिन शाम को रंजन को अपने मोबाइल पर एक संदेश प्राप्त हुआ, जिसमें उनके खाते से 383 अमेरिकी डॉलर के भुगतान की सूचना थी। इस अप्रत्याशित लेनदेन से चिंतित होकर उन्होंने तुरंत एसबीआई के ग्राहक सेवा केंद्र पर संपर्क किया और अपनी शिकायत दर्ज कराई।

पुलिस जांच शुरू
इस घटना की रिपोर्ट गोमतीनगर कोतवाली में दर्ज कराई गई है। पुलिस का मानना है कि साइबर अपराधियों ने रंजन के क्रेडिट कार्ड का उपयोग करके ऑनलाइन खरीदारी की है। जांच में साइबर सेल की मदद ली जा रही है ताकि अपराधियों का पता लगाया जा सके।

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यूपी में दो साल मुख्य सचिव रहे आलोक रंजन
आलोक रंजन, 1978 बैच के आईएएस अधिकारी, उन्नाव जिले से हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव के रूप में दो वर्ष तक सेवा की, जिस पद पर उन्हें 2014 में नियुक्त किया गया था। तीन महीने के बाद, वे 1 जुलाई, 2016 को सेवानिवृत्त हुए। इसके पश्चात, उन्हें अखिलेश यादव का मुख्य सलाहकार नियुक्त किया गया और बाद में यूपीआईडीसी के प्रबंध निदेशक का पद दिया गया। 2017 के विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी की हार के बाद, रंजन ने इस्तीफा दे दिया और तब से पार्टी के रणनीतिकार के रूप में कार्यरत हैं। वे तब भी सुर्खियों में आए जब उनकी पत्नी सुरभि रंजन को राज्य सरकार द्वारा यश भारती पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

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