6 से 75 साल के कलाकार निभाएंगे रामलीला में किरदार : पहली बार नारदजी आएंगे नजर, कथक संग दिखेगा नौटंकी का मिश्रण

UPT | रामलीला के कलाकारों को अभ्यास कराते निर्देशक अमित दीक्षित

Sep 28, 2024 11:42

इस प्रस्तुति में 100 से अधिक कलाकारों ने अभिनय, संगीत, और नृत्य के माध्यम से रामायण की कथा को जीवंत किया है। गायन और वाद्य यंत्रों का संयोजन भी इस प्रस्तुति की एक खास विशेषता है, जिसमें तबले, नक्कारे, शहनाई, हारमोनियम, और सारंगी का अद्भुत समन्वय किया गया है।

Lucknow News : मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम से संबंधित सीरियल, नाटक से लेकर रामलीला को तो अब तक लोग विभिन्न माध्यमों के जरिए देखते आए हैं। लेकिन, इस बार कला प्रेमियों के लिए संगीतमय रामायण नाट्य प्रस्तुति "श्रीराम सहस्त्रनाम" बेहद खास होगी। अंतरराष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान और भातखंडे संस्कृति महाविद्यालय ने इसे कठिन प्रशिक्षण के बाद तैयार किया है। इसका मंचन भव्य रूप से 30 सितंबर को सांय 6 बजे कला मंडपम में किया जाएगा। 

6 से 75 साल के कलाकार करेंगे प्रभु श्रीराम की आदर्श लीला का सजीव चित्रण
रामायण के प्रसंगों पर आधारित इस प्रस्तुति का लेखन, संगीत और निर्देशन वरिष्ठ नाट्य निर्देशक अमित दीक्षित 'रामजी' ने किया है। इस प्रस्तुति में श्रीराम के जन्म से लेकर धनुष, यज्ञ और सीता स्वयंवर तक की कथा का मंचन किया जाएगा। नाट्य प्रदर्शन में भातखंडे संस्कृति महाविद्यालय के 6 से 75 वर्ष तक के 100 से अधिक छात्र-छात्राएं अभिनय, गायन और नृत्य में भाग ले रहे हैं। प्रस्तुति में रामायण के आदर्शों और प्रभु श्रीराम के चरित्र को उभारने के लिए शास्त्रीय और लोक कलाओं का सुंदर समन्वय किया गया है।



रावण के महायज्ञ में दसशीश के समर्पण से आरंभ होती ​है कथा
इस संगीतमय नृत्य–नाट्य प्रस्तुति में प्रभु राम के आदर्श व चरित्र का पूरा चित्रण किया गया है। पहली बार रामायण के प्रसंग में मंच पर 2024 में नारदजी का आना और सूत्रधार के रूप में समाज को प्रभु श्रीराम की लीला व उनके सुकुत्यों का वर्णन कर उनके मर्यादित व्यक्तित्व व उत्कृष्ट भावों से समाज को अभिप्रेरित करना प्रस्तुति में नवीनता दर्शाता है। कथा रावण के महायज्ञ में दसशीश के समर्पण से आरंभ होती है। शिव जी से वरदान के बाद वह और भी अधिक बलशाली और अत्याचारी हो जाता है। उसके इन कुकृत्यों के परिणाम स्वरूप प्रभु को अवतरित होना पड़ता है। 

राम-लक्ष्मण और जानकी का किरदार इस तरह करेगा प्रभावित
प्रभु श्रीराम अपनी बाललीला करते हुए बड़े होते हैं और जब गुरु विश्वामित्र की यज्ञ रक्षार्थ जनकपुरी की ओर जाते हैं तभी उनकी मां जानकी से पुष्प वाटिका में भेंट है, फिर राजा जनक के धनुष के प्रण को पूर्णकर सीताजी को जीवन संगिनी बनाते हैं। चंचल, चपल अनुज लक्ष्मण का स्वभाव हठी है साथ ही सीता जी का कोमल हृदय इस कहानी को गति प्रदान करता है। 

दर्शकों का मन मोह लेगा राम-सीता का विवाह 
कहानी में हनुमान जी का आगमन इस प्रस्तुति को पूर्ण करता है। राम-सीता का विवाह इस कहानी में श्रृंगार रस का संचार करता है। श्रीराम जन्म से लेकर धनुष यज्ञ व सीता स्वयंवर तक का यह प्रसंग कथक के रंगों व उत्तर प्रदेश के लोक नाट्य 'नौटंकी' विधा पर केंद्रित है। नाट्य प्रस्तुति में यह संदेश देने का प्रयास किया गया है कि मानवता को ही धर्म मानने वाले प्रतीक पुरुष वीतरागी 'श्रीराम' का जीवन कठिन अवश्य था पर उसमे समाज के प्रत्येक व्यक्ति के कल्याण हेतु मूलमंत्र था। 

श्रीराम की लीलाओं के साथ सामाजिक संदेश होगा खास
धनुषयज्ञ तक की सम्पूर्ण लीला को सविस्तार वर्णित किया गया है, जिसमें दर्शाया गया है कि कैसे प्रभु श्रीराम त्रेतायुग में वो सारे संदेश दे चुके थे जो कलयुग के कल्याणार्थ थे। प्रभु अपनी लीला रचते हुए समाज को गंगा सफाई अभियान, स्वच्छता अभियान, माता पिता की सेवा, किन्नर समाज का सम्मान, राजा का प्रजा के प्रति उदार स्वभाव, बड़े छोटों का आदर जैसे अनेकानेक संदेश देते हैं। पिता के वचनों को सर्वोपरि रखना व भाई के प्रति भाई का समर्पण जैसे अनगिनत विचार व भावों को उद्घाटित किया गया है। 

गंगा सफाई अभियान, किन्नर समाज को लेकर संदेश
रामायण के पारंपरिक प्रसंगों में पहली बार 2024 के नारदजी को सूत्रधार के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जो समाज को श्रीराम की मर्यादा और उनके कार्यों से प्रेरणा देने का कार्य करते हैं। रावण के महायज्ञ से प्रारंभ होकर धनुषयज्ञ तक की कथा में समाज के लिए गंगा सफाई अभियान, स्वच्छता, माता-पिता की सेवा, किन्नर समाज का सम्मान जैसे महत्वपूर्ण संदेश भी समाहित किए गए हैं।

नौटंकी और कथक का संगम
नाट्य प्रस्तुति में उत्तर प्रदेश की प्राचीन लोक नाट्य विधा नौटंकी और शास्त्रीय नृत्य कथक का अद्भुत मिलन है, जो दर्शकों के लिए एक अनूठा अनुभव होगा। इसमें श्रीराम का जीवन एक प्रेरणादायक आदर्श के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जो कठिनाइयों के बावजूद समाज कल्याण के लिए समर्पित था।

100 से अधिक कलाकारों की भव्य प्रस्तुति
इस प्रस्तुति में 100 से अधिक कलाकारों ने अभिनय, संगीत, और नृत्य के माध्यम से रामायण की कथा को जीवंत किया है। श्रीराम की भूमिका नैतिक सिंह, सीता की भूमिका अवंतिका शर्मा और लक्ष्मण की भूमिका निशांत पांडेय निभते नजर आएंगे। वहीं रावण का किरदार अभिजीत सिंह को सौंपा गया है। गायन और वाद्य यंत्रों का संयोजन भी इस प्रस्तुति की एक खास विशेषता है, जिसमें तबले, नक्कारे, शहनाई, हारमोनियम, और सारंगी का अद्भुत समन्वय किया गया है।
 

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