हरदोई में आरएसएस ने मनाया विजयदशमी का पर्व हरदोई के दयानंद वैदिक इंटर कॉलेज में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने मनाया विजयदशमी का पर्व

UPT | कार्यक्रम में उपस्थित आरएसएस के स्वयंसेवक।

Oct 13, 2024 21:00

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने विजयादशमी उत्सव बड़े उत्साह और गरिमा के साथ मनाया। यह दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इसी दिन संघ की स्थापना हुई थी। इस वर्ष संघ ने अपने 99 वर्षों की यात्रा पूरी कर ली है और शताब्दी वर्ष में प्रवेश किया है।

Hardoi News : नगर के दयानंद वैदिक इंटर कॉलेज में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने विजयादशमी उत्सव बड़े उत्साह और गरिमा के साथ मनाया। यह दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इसी दिन संघ की स्थापना हुई थी। इस वर्ष संघ ने अपने 99 वर्षों की यात्रा पूरी कर ली है और शताब्दी वर्ष में प्रवेश किया है। इस मौके पर संघ के क्षेत्र प्रचारक प्रमुख राजेंद्र जी ने सभी स्वयंसेवकों को संबोधित किया और समाज को संगठित करने के लिए पांच महत्वपूर्ण संकल्पों का उल्लेख किया। 


शस्त्र पूजन और विजयादशमी की ऐतिहासिकता
कार्यक्रम की शुरुआत शस्त्र पूजन से हुई, जहां उपस्थित स्वयंसेवकों ने दंड पूजन किया। शस्त्र पूजन विजयादशमी के उत्सव का एक अहम हिस्सा है, जो शक्ति और धर्म के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर क्षेत्र प्रचारक राजेंद्र जी ने संघ की स्थापना के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संघ का उद्देश्य हिन्दू समाज को एकजुट करना और राष्ट्र की सेवा करना है।

उन्होंने कहा, "विजयादशमी का दिन संघ के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि आज ही के दिन संघ की नींव रखी गई थी। इस वर्ष हम संघ के 100वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं, जो हमारे लिए गर्व की बात है। अब हमें अपने समाज को एकजुट करने के लिए पांच प्रमुख संकल्पों को ध्यान में रखना होगा।"

पांच प्रमुख संकल्प: समाज निर्माण के लिए अहम कदम
राजेंद्र जी ने आगे बताया कि शताब्दी वर्ष में हमें पांच प्रमुख बदलावों के संकल्प लेने हैं, जो न केवल स्वयं के लिए बल्कि समाज में भी लाने होंगे।
  • कुटुंब प्रबोधन: उन्होंने कहा कि परिवार ही समाज की नींव है। परिवार से ही संस्कार मिलते हैं और यह जिम्मेदारी स्वयंसेवकों की है कि वे अपने परिवार और मित्रों के साथ बैठकर सप्ताह में कम से कम एक बार भोजन करें और राष्ट्र व सांस्कृतिक विरासत पर चर्चा करें। इससे समाज में जागरूकता और समर्पण की भावना पैदा होगी।
  • सामाजिक समरसता: सामाजिक एकता को मजबूत करने के लिए जातिगत विषमताओं को समाप्त करना अत्यंत आवश्यक है। कुछ तत्व समाज में विद्वेष फैलाने की कोशिश करते हैं, लेकिन हमें संकल्प लेना चाहिए कि हम इन विषमताओं को खत्म करेंगे और समाज को संगठित करेंगे।
  • पर्यावरण संरक्षण: पर्यावरण के महत्व पर जोर देते हुए, उन्होंने कहा कि विकास के साथ-साथ पर्यावरण का संरक्षण भी अनिवार्य है। उन्होंने अपने घरों को हरित बनाने की बात कही, जिसमें पानी, कचरा, पंचवटी वाटिका और ऊर्जा संरक्षण की व्यवस्था होनी चाहिए।
  • स्व की भावना: राजेंद्र जी ने स्वाभिमान, स्वधर्म, स्वदेशी और स्वराज की भावना पर बल दिया। उन्होंने कहा कि भारत ने सदियों से कई आक्रमण झेले हैं, लेकिन स्व की भावना के कारण हम आज भी एक सशक्त राष्ट्र के रूप में खड़े हैं। यह स्व की भावना हमें गर्व से भर देती है, और इसे हर व्यक्ति तक पहुंचाने का कार्य हमें करना है।
  • नागरिक अनुशासन: आखिरी संकल्प के रूप में राजेंद्र जी ने नागरिक अनुशासन की बात की। उन्होंने भगिनी निवेदिता के विचारों का उल्लेख करते हुए कहा कि देशभक्ति का प्रकटीकरण नागरिक अनुशासन के माध्यम से होता है। हमारा व्यवहार ज्ञानमय, ध्यानमय और करुणामय होना चाहिए। सम्पूर्ण समाज को एक मानते हुए उसे साथ लेकर चलने से ही हमारा चरित्र और राष्ट्र का चरित्र निर्माण होगा।
समारोह में प्रमुख स्वयंसेवकों की उपस्थिति
इस महत्वपूर्ण अवसर पर संघ के कई प्रमुख अधिकारी और स्वयंसेवक उपस्थित रहे। इनमें विभाग संघचालक शिवस्वरूप, विभाग प्रचारक कौशल किशोर, जिला प्रचारक रवि, जिला कार्यवाह संजीव खरे, नगर कार्यवाह विनय पाण्डेय, नगर प्रचारक विशाल, नगर संघचालक मिथिलेश, सह नगर संघचालक देवेंद्र सिंह, सह नगर कार्यवाह राजवर्धन सहित सैकड़ों की संख्या में स्वयंसेवक शामिल थे।

समाज और राष्ट्र के प्रति समर्पण का संकल्प
कार्यक्रम के अंत में, सभी स्वयंसेवकों ने समाज और राष्ट्र के प्रति समर्पण का संकल्प लिया। राजेंद्र जी ने कहा कि विजयादशमी का यह पर्व हमें याद दिलाता है कि बुराई पर अच्छाई की जीत निश्चित है, लेकिन इसके लिए हमें संगठित होकर समाज की सेवा में जुटना होगा।

उन्होंने कहा, "हमारे समाज की उन्नति तभी संभव है जब हम सभी मिलकर एकजुटता और समर्पण के साथ काम करें। संघ का उद्देश्य केवल हिन्दू समाज का उत्थान नहीं, बल्कि सम्पूर्ण राष्ट्र की सेवा करना है। हमें हर स्तर पर समाज में जागरूकता फैलानी होगी और इन पंच संकल्पों को अपने जीवन में उतारना होगा।" इस प्रकार, विजयादशमी का यह उत्सव संघ के लिए न केवल एक सांस्कृतिक पर्व था, बल्कि समाज निर्माण और राष्ट्र की सेवा के संकल्पों का एक महत्वपूर्ण अवसर भी था। 

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