यूपी पुलिस के 5 बड़े एनकाउंटर : मंगेश यादव मुठभेड़ पर बवाल के बीच जानिए खतरनाक अपराधियों के खात्मे की कहानियां

UPT | यूपी पुलिस के 5 बड़े एनकाउंटर

Sep 11, 2024 17:00

मंगेश यादव की मौत एनकाउंटर है या मर्डर, यह अलग सवाल है, लेकिन आज हम आपको यूपी के 5 चर्चित अपराधियों के खात्मे की कहानियां बताएंगे।

Lucknow News : 28 अगस्त को सुल्तानपुर जिले में भरत ज्वेलर्स पर हुए डकैती में क्या मंगेश यादव शामिल था? क्या सीसीटीवी में कैद पांच डकैतों में एक मंगेश यादव था, जबकि वह उसी समय अपनी बहन के साथ 90 किलोमीटर दूर स्कूल में था? सबसे बड़ा सवाल यह है कि मंगेश यादव अपने तीन साथियों के एनकाउंटर की खबर के बावजूद आराम से घर पर क्यों था? यह एनकाउंटर है या मर्डर, यह अलग सवाल है, लेकिन आज हम आपको यूपी के 5 चर्चित अपराधियों के खात्मे की कहानियां बताएंगे।

श्रीप्रकाश शुक्ला: पूर्वांचल का सबसे बड़ा शार्प शूटर
गोरखपुर में जन्मा श्रीप्रकाश शुक्ला कब पूर्वांचल का सबसे बड़ा शार्प शूटर बन गया, इसका अंदाजा किसी को नहीं हुआ। श्रीप्रकाश ने बिहार, गोरखपुर और लखनऊ में कई बड़ी वारदातों को अंजाम दिया। उसकी सबसे बड़ी अपराध योजना तब सामने आई जब उसने तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की हत्या के लिए पांच करोड़ की सुपारी ले ली। इस घटना के बाद यूपी पुलिस ने उसे किसी भी हाल में पकड़ने का फैसला किया। 4 मई 1998 को तत्कालीन एडीजी अजयराज शर्मा ने 50 जवानों की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) बनाई, जिसका एक ही उद्देश्य था - श्रीप्रकाश शुक्ला को पकड़ना या खत्म करना। एसटीएफ के पास कोई ठोस सुराग नहीं था, लेकिन श्रीप्रकाश की प्रेमिका के नंबर को सर्विलांस पर रखने से उसकी गतिविधियों का पता चला। 23 सितंबर 1998 को एसटीएफ को जानकारी मिली कि श्रीप्रकाश गाजियाबाद के इंदिरापुरम में अपनी प्रेमिका से मिलने जा रहा है। पुलिस ने उसका पीछा किया, और जब उसे अपनी घेराबंदी का अंदाजा हुआ, तो उसने पुलिस पर फायरिंग शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में यूपी के मोस्ट वांटेड अपराधी श्रीप्रकाश शुक्ला को ढेर कर दिया गया।



रमेश कालिया: दूल्हा और बराती बनी पुलिस
जब श्रीप्रकाश शुक्ला की माफियागिरी पूर्वांचल में चल रही थी, उस दौरान लखनऊ में एक छोटा अपराधी रमेश कालिया बड़ा माफिया बनने की कोशिश में जुटा था। व्यापारियों से रंगदारी वसूलना और ठेकों पर कब्जा जमाना उसका मुख्य काम था। वर्ष 2002 में बाराबंकी में सपा नेता रघुनाथ यादव समेत तीन लोगों की हत्या हुई, जिसमें रमेश कालिया का नाम सामने आया। 2004 में उन्नाव में सपा एमएलसी अजीत सिंह की हत्या का आरोप भी कालिया पर लगा। लखनऊ पुलिस उसे किसी भी हाल में गिरफ्तार करना चाहती थी। आईपीएस नवनीत सिकेरा ने एक खास टीम बनाई, लेकिन कालिया पुलिस के हाथ नहीं आ रहा था। पुलिस ने एक बिल्डर इम्तियाज की मदद से कालिया को फंसाने की योजना बनाई। इम्तियाज ने कालिया को रंगदारी देने का समय और स्थान तय किया। 12 फरवरी 2005 को इम्तियाज और कालिया के बीच बहस हो रही थी, जबकि पुलिस दूल्हा-बराती बनकर बाहर खड़ी थी। अचानक पुलिस ने कालिया के घर पर धावा बोला। आधे घंटे तक चली फायरिंग के बाद पुलिस ने रमेश कालिया को मार गिराया।

निर्भय गुर्जर: चंबल का डकैत
यूपी और मध्य प्रदेश के बीहड़ों में निर्भय गुर्जर का आतंक फैला हुआ था। लूट, डकैती और लोगों के हाथ-पैर काटने जैसी क्रूरता के लिए मशहूर इस डकैत पर दोनों राज्यों की सरकार ने 2.5 लाख रुपए का इनाम रखा था। उसके खिलाफ 200 मुकदमे दर्ज थे। आखिरकार एक स्पेशल टीम बनाई गई जिसमें आईपीएस दलजीत चौधरी और अखिल कुमार जैसे अफसर शामिल थे। पुलिस टीम ने चंबल के जंगलों में महीनेभर तक कॉम्बिंग की। 8 नवंबर 2005 को निर्भय गुर्जर का एनकाउंटर हुआ, जिसमें उसे मार गिराया गया।

ददुआ: 80 करोड़ का ऑपरेशन
चंबल के कई दुर्दांत डकैतों में से सबसे कुख्यात नाम ददुआ का था। उसने करीब 250 हत्याओं को अंजाम दिया था और उसके खिलाफ 400 मुकदमे दर्ज थे। यूपी पुलिस ने उसके सिर पर 10 लाख का इनाम रखा था। एसटीएफ को ददुआ के एनकाउंटर की जिम्मेदारी सौंपी गई। जंगल में एम्बुश लगाया गया, और धीरे-धीरे एसटीएफ उसकी घेराबंदी करती गई। 22 जुलाई 2007 को ददुआ और उसके गैंग का पुलिस से सामना हुआ, जिसमें ददुआ को मार गिराया गया। इस ऑपरेशन में करीब 80 करोड़ रुपए खर्च हुए थे।

घनश्याम केवट: आग में घिरा डकैत
निर्भय गुर्जर और ददुआ की ही तरह, घनश्याम केवट भी एक कुख्यात डकैत था। 14 जून 2009 को चित्रकूट के जामोली गांव में पुलिस ने सूचना के आधार पर उसे घेर लिया। घनश्याम तीन दिनों तक फायरिंग करता रहा, जिसमें चार पुलिसकर्मी शहीद हो गए। अंततः पुलिस ने घर में आग लगाकर उसे बाहर निकाला। भागने की कोशिश में घनश्याम को एनकाउंटर में मार दिया गया। इस एनकाउंटर का लाइव टेलीकास्ट भी हुआ, जिसने पूरे देश का ध्यान आकर्षित किया।

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