रोचक हुआ मीरजापुर संसदीय सीट का चुनाव : सोनेलाल की पत्नी, बेटी जनता से मांगेगी ‘इंसाफ’, 4 जून को आएगा फैसला

UPT | कृष्णा पटेल और बेटी अनुप्रिया पटेल

Mar 20, 2024 23:11

नेता डॉ. सोनलाल पटेल की राजनीतिक विरासत की झन्डाबरदारी का दावा करती आ रही उनकी पत्नी कृष्णा पटेल और बेटी अनुप्रिया पटेल का ‘अपना दल’ 2024 के लोकसभा चुनाव में एक दूसरे से टकराएगा...

Short Highlights
  • अनुप्रिया पटेल के खिलाफ उनकी मां कृष्णा पटेल उतारेंगी प्रत्याशी
  • बहन के खिलाफ बहन लड़ सकती है चुनाव
  • एक को भाजपा, दूसरे को सपा गठबंधन देगा समर्थन
Lucknow News : भारत रत्न चौधरी चरण के झन्डा तले ‘सामाजिक असामानता’  के खिलाफ आवाज बुलंद करने फिर कांशीराम के साथ बसपा की बुनियाद डालने वाले उत्तर प्रदेश के प्रभावशाली कूर्मि नेता डॉ. सोनलाल पटेल की राजनीतिक विरासत की झन्डाबरदारी का दावा करती आ रही उनकी पत्नी कृष्णा पटेल और बेटी अनुप्रिया पटेल का ‘अपना दल’ 2024 के लोकसभा चुनाव में एक दूसरे से टकरायेगा। अनुप्रिया पटेल भाजपा गठबंधन के सहारे मीरजापुर संसदीय सीट से चुनाव जीतती रही हैं, इस बार उनकी मां कृष्णा पटेल ने इंडिया गठबंधन के पॉवर पर मीरजापुर से अपना प्रत्याशी उतारने का ऐलान कर दिया। प्रत्याशी घोषित नहीं किया गया है। अगर सोनेलाल परिवार के सदस्य एक दूसरे के सामने हुये मीरजापुर नये राजनीतिक इतिहास का साक्षी बनेगा। हालांकि अभी यह सवाल भी दिलचस्पी का है कि क्या अनुप्रिया पटेल के खिलाफ पलल्वी पटेल मीराजापुर के मैदान में उतरेंगी।

टकराव की वजह विरासत
1970 के दशक में डॉ.सोनेलाल पटेल किसान राजनीति के पुरोधा चौधरी चरण सिंह के झन्डे तले सामाजिक असामानता के खिलाफ लड़ाई में कूदे। इस पाठशाला से राजनीति के गुर सीखने के बाद सोनेलाल पटेल ने कांशीराम से नाता जोड़ दिया और 1984 में बसपा के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मगर, 1995 में मायावती को जरूरत से ज्यादा तरजीह दिये जाने का आरोप लगाकर बसपा को अलविदा कह दिया। इसी साल होने अपना दल नाम से राजनीतिक पार्टी का गठन किया। संगठन के दौर में उन्होंने दिल्ली के श्रीराम स्कूल से पढ़ी बेटी अनुप्रिया पटेल को आगे किया। इसी दौरान कानपुर में एक सड़क दुर्घटना में सोनेलाल पटेल का निधन हो गया। कुछ सालों तक सब ठीक चला फिर सोनेलाल की विरासत की जंग छिड़ गई। सोनेलाल की पत्नी कृष्णा पटेल और उनकी दूसरी बेटी पलल्वी पटेल ने पार्टी पर कब्जे को लेकर अदालत और चुनाव आयोग पहुंच गयी। इसी बीच अनुप्रिया पटेल ने भाजपा से गठबंधन कर लिया। जिसमें उन्हें उम्मीद से कहीं ज्यादा सफलता मिली। भाजपा ने भी दिल खोलकर उन्हें महत्व दिया। अनुप्रिया को केन्द्र में मंत्री बनाया, उनके पति आशीष पटेल को यूपी विधान परिषद भेजकर प्रदेश में मंत्री बना दिया। कानूनी लड़ाई का जब निर्णय आया तो अनुप्रिया पटेल के नेतृत्व वाले हिस्से को अपना दल (एस) और कृष्णा पटेल वाले गुट को अपना दल (कमेरावादी) नाम दे दिया। 2022 के विधानसभा चुनाव में कमेरावादी ने समाजवादी पार्टी से गठबंधन किया। मगर, सपा ने कमेरावादी की महासचिव पलल्वी पटेल को ‘साइकिल’ निशान से कौशांबी से चुनाव लड़ाया। वैसे वह अपना दल (कमेरावादी) की नेता हैं लेकिन तकनीकी तौर पर सपा की विधायक हैं। राज्यसभा चुनाव के दौरान सपा से उनकी बगावत सुर्खियों में रही। तब उन्होंने जया बच्चन और आलोक रंजन को अपना वोट देने से इंकार कर दिया था, हालांकि बाद उन्होने सपा प्रत्याशी रामजी लाल सुमन को वोट किया था।

अब खुद ही कर घोषणा
20 मार्च को अपना दल ( कमेरावादी) के केन्द्रीय सचिव राम सनेही पटेल ने तीन सीटों पर लोकसभा का चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी। उनकी इस घोषणा पर सपा या कांग्रेस की ओर से कोई नुक्ताचीनी नहीं हुई। जिसका अर्थ है कि बातचीत के बाद कमेरावादी ने फूलपुर,  कौशांबी (सु) और मीरजापुर से चुनाव लड़ने का ऐलान किया। मीरजापुर सीट से कृष्णा पटेल की बेटी अनुप्रिया पटेल ही सांसद हैं और केन्द्र सरकार में मंत्री भी हैं।

क्या अनुप्रिया के खिलाफ पल्लवी उतरेंगी?
अपना दल (कमेरावादी) के मीरजापुर सीट पर चुनाव लड़ने की घोषणा के साथ सवाल उठा है कि आखिर इस सीट से चुनाव कौन लड़ेगा। कृष्णा पटेल खुद इंडिया गठबंधन के टिकट पर फूलपुर संसदीय सीट से चुनाव लड़ना चाहती हैं। कौशांबी सुरक्षित सीट है तो क्या मीरजापुर से पलल्वी पटेल चुनाव लड़ेंगी। क्योंकि भाजपा गठबंधन से अनुप्रिया पटेल का मीरजापुर संसदीय से चुनाव लड़ना तय ही है, वह 2014 और 2019 में दोनों ही चुनाव में निकटतम  प्रतिद्वंदी से डेढ़ गुना से अधिक मतों से जीती हैं। वैसे, तस्वीर अपना दल कमेरावादी के प्रत्याशी घोषित होने के बाद ही साफ होगी। इतना तय है कि सामाजिक विसंगति के खिलाफ राजनीतिक परचम उठाने वाले सोनेलाल का परिवार अब राजनीतिक विरासत के लिये जनता के बीच संघर्ष करता नजर आयेगा, जनमत किसके साथ रहा यह निर्णय 4 जून को सामने आयेगा।


मीरजापुर संसदीय सीट का इतिहास

2019 अनुप्रिया पटेल अपना दल  (एस)
2014 अनुप्रिया पटेल अपना दल  (एस)
2009 बाल कुमार पटेल  सपा
2007 रमेश दुबे बसपा
2004 नरेन्द्र कुशवाहा बसपा
2002 ( उप) राम रति बिन्द
1999  फूलन देवी  सपा
1998  वीरेन्द्र सिंह भाजपा
1996  फूलन देवी सपा
1991  वीरेन्द्र सिंह भाजपा
1989  यूशाबेग  जनता दल
1984 उमा कांत मिश्र  कांग्रेस
1980 अजीज इमाम   कांग्रेस
1977 फाकिर अली   बीएलडी
1971 अजीज इमाम  कांग्रेस
1967 वी नारायण   बीजेएस
1962  श्याधर मिश्र  कांग्रेस
1957 जेएन विल्सन  कांग्रेस
1952 रूप नारायण  कांग्रेस


संसदीय क्षेत्र की विधानसभाएं
छानबे, मीरजापुर, मडिहान, चुनार और मझवां विधानसभा को मिलाकर यह संसदीय सीट बनी है।

2022 में विधानसभा के परिणाम
विधानसभा चुनाव में मीरजापुर संसदीय सीट में आने वाली सभी सीटें भाजपा और उसके गठबंधन दलों ने जीती थीं। छानबे (सु) जहां अपना दल ( एस) की राहुल कोल ने जीती थी। वहीं मीरजापुर सदर सीट भाजपा के रत्नाकर मिश्र ने जीती। मझवां से निषाद पार्टी के डॉ.विनोद कुमार विजयी हुये थे। चुनार विधानसभा सीट भाजपा के  अनुराग सिंह के खाते में गई थी। मडिहांव भाजपा के राम शंकर पटेल ने जीती थी।

मीरजापुर में जातीय समीकरण
इस संसदीय सीट पर सबसे अधिक 23 फीसदी अनुसूचित जाति के मतदाता है। कूर्मी/ पटेल 13 फीसदी है। 9 फीसदी मुस्लिम, 9 फीसदी ब्राह्मण है। केवट, मल्लाह, बिद समाज की आबादी 15 फीसदी के करीब है। सबसे निषाध मझवां विधानसभा में है, जहां से भाजपा गठनबंधन का विधायक है। 5 फीसदी यादव और 4 फीसदी राजभर भी इस सीट पर है। इसके अतिरिक्त चुनावी समीकरणों को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली अति पिछड़ी जातियों का कुल वोट भी 9 फीसदी के आसपास है।

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