भाजपा की हार का ठीकरा पेपर लीक पर फोड़ा : सुब्रत पाठक ने कह दी ये बात, मुलायम और शिक्षा व्यवस्था को भी लपेटा

UPT | सुब्रत पाठक

Jul 01, 2024 18:26

पाठक ने अपनी हार के बाद सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के माध्यम से अपने विचार साझा किए, जिसमें उन्होंने पेपर लीक जैसी समस्याओं को भाजपा की हार का एक प्रमुख कारण बताया।

Lucknow News : उत्तर प्रदेश की राजनीति में हाल ही में हुए एक महत्वपूर्ण बदलाव ने कई गंभीर मुद्दों पर चर्चा छेड़ दी है। कन्नौज लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (BJP) के उम्मीदवार सुब्रत पाठक की हार ने न केवल राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित किया है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था में व्याप्त कुरीतियों पर भी ध्यान आकर्षित किया है। पाठक ने अपनी हार के बाद सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के माध्यम से अपने विचार साझा किए, जिसमें उन्होंने पेपर लीक जैसी समस्याओं को भाजपा की हार का एक प्रमुख कारण बताया।
  पेपर लीक को बताया भाजपा की हार का कारण
सुब्रत पाठक के अनुसार, उत्तर प्रदेश में भाजपा की हार के पीछे कई कारण हो सकते हैं, लेकिन पेपर लीक की समस्या निश्चित रूप से एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उन्होंने कहा कि यह समस्या केवल उत्तर प्रदेश तक ही सीमित नहीं है, बल्कि देश भर के विभिन्न राज्यों में होने वाली परीक्षाओं में यह एक आम बात बन गई है। हालांकि, उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि इस बार नीट (NEET) परीक्षा में हुए पेपर लीक का मुद्दा राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया है, जो एक सकारात्मक संकेत है।



शिक्षा व्यवस्था में भ्रष्टाचार का प्रवेश
पाठक ने अपने विचारों में गहराई से जाते हुए, इस समस्या की जड़ों की ओर इशारा किया। उन्होंने कहा कि भले ही अंग्रेज हमारे देश को छोड़कर चले गए, लेकिन वे अपने पीछे भ्रष्टाचार की एक विरासत छोड़ गए, जो धीरे-धीरे हमारे समाज का अभिन्न अंग बन गई। उन्होंने आगे कहा कि कुछ राजनेताओं के संरक्षण में यह भ्रष्टाचार शिक्षा व्यवस्था में भी प्रवेश कर गया, जिसने पूरी शिक्षा प्रणाली को प्रभावित किया।

ये भी पढे़ं : अफजाल अंसारी से लेकर अमृतपाल तक इन 7 सांसदों ने नहीं ली शपथ, स्पीकर चुनाव में नहीं डाल सकेंगे वोट...

संस्थागत रूप से हो रही परीक्षाओं में नकल
सुब्रत पाठक ने शिक्षा के व्यावसायीकरण पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि बड़े-बड़े स्कूलों, कॉलेजों और कोचिंग सेंटरों की इमारतें शिक्षा को एक व्यापार में बदल रही हैं। उन्होंने विशेष रूप से उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि कुछ राजनीतिक दलों और भ्रष्ट नेताओं के संरक्षण में हाई स्कूल और इंटरमीडिएट जैसी परीक्षाओं में नकल को संस्थागत रूप दे दिया गया है।

ये भी पढ़ें : Radha Rani Controversy : क्या है राधारानी विवाद? जिसे लेकर प्रेमानंद महाराज ने प्रदीप मिश्रा को दी माफी मांगने की सलाह...

जिस राष्ट्र की शिक्षा मुद्राओं से बिकने लगे, उसकी बर्बादी तय
पाठक ने आचार्य चाणक्य के एक कथन का हवाला देते हुए कहा कि जिस राष्ट्र की शिक्षा मुद्राओं से बिकने लगे, उसकी बर्बादी तय है। उन्होंने चिंता व्यक्त की कि हमारे देश में दशकों से यही चल रहा है, जहां लोग धन से डिग्रियां खरीद रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब ऐसे लोग, जो नकल से पास हुए हैं या पैसे से डिग्री हासिल की है, नौकरी या प्रतियोगी परीक्षा में जाते हैं, तो वे पेपर लीक जैसे अनैतिक तरीकों का सहारा लेते हैं।

ये भी पढ़ें : मथुरा में टंकी ढहने से हुई त्रासदी : बिन पानी सब सून...पीएनजी लाइन भी क्षतिग्रस्त, घरों में नहीं जला चूल्हा

व्यक्तिगत अनुभवों को किया साझा 
सुब्रत पाठक ने अपने व्यक्तिगत अनुभवों को भी साझा किया। उन्होंने याद किया कि जब वे चौथी-पांचवीं कक्षा के छात्र थे, तब मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। उन्होंने एक कार्टून का उल्लेख किया जिसमें मुलायम सिंह हाथ में झाड़ू पकड़े दिखाए गए थे और नीचे अंग्रेजी के अक्षर पड़े थे, जो अंग्रेजी और कंप्यूटर शिक्षा के विरोध को दर्शाता था। पाठक ने कहा कि इस नीति के कारण उनकी पीढ़ी के कई लोग अंग्रेजी और कंप्यूटर शिक्षा से वंचित रह गए।

नेताओं में दोहरा मानदंड
हालांकि, पाठक ने यह भी उल्लेख किया कि उसी समय मुलायम सिंह ने अपने बेटे अखिलेश यादव को राजस्थान के एक अंग्रेजी माध्यम स्कूल में भेजा और बाद में ऑस्ट्रेलिया भेजा। उन्होंने कहा कि यह दोहरा मानदंड था, जहां एक ओर आम जनता की शिक्षा व्यवस्था को नुकसान पहुंचाया जा रहा था, वहीं दूसरी ओर नेताओं के बच्चे विदेशों में पढ़ रहे थे।

ये भी पढ़ें : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने की अहम टिप्पणी : पति पत्नी की चरित्रहीनता साबित करने के लिए बच्चों का नहीं करा सकता डीएनए टेस्ट

नकलचियों और नकल माफियाओं का "नंगा नाच"
सुब्रत पाठक ने 1991 में कल्याण सिंह की सरकार द्वारा लागू किए गए नकल विरोधी अध्यादेश का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि इस अध्यादेश ने नकलचियों और नकल माफियाओं में भय पैदा कर दिया था। लेकिन उन्होंने आरोप लगाया कि मुलायम सिंह ने इसका विरोध किया और 1993 में अपनी सरकार बनने पर इसे समाप्त कर दिया। पाठक के अनुसार, इसके बाद नकल का "नंगा नाच" शुरू हो गया, जहां परीक्षा केंद्रों पर खुलेआम नकल होती थी।

ये भी पढ़ें : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी के DGP को दिया आदेश : 'दहेज हत्या मामलों की हर एंगल से हो जांच'

भाजपा लगाएगी पेपर लीक जैसी समस्याएं पर अंकुश
अंत में, सुब्रत पाठक ने आशा व्यक्त की कि अब जब जनता के दबाव में विपक्षी दल भी इस भ्रष्ट व्यवस्था के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं, तो परिवर्तन संभव है। उन्होंने कहा कि जिस तरह पिछले दस वर्षों में, विशेष रूप से भाजपा शासित राज्यों में, आतंकी और माफिया गतिविधियों पर अंकुश लगाया गया है, वैसे ही अब शिक्षा माफियाओं की बारी है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मजबूत इच्छाशक्ति और नए कानूनों पर भरोसा जताया, यह कहते हुए कि जल्द ही पेपर लीक जैसी समस्याएं इतिहास बन जाएंगी।

Also Read