Lucknow News : गृहकर निर्धारण में फर्जीवाड़ा रोकने को अहम कदम, सॉफ्टवेयर में बदलाव-सत्यापन का जिम्मा अब इनके हवाले

UPT | लखनऊ नगर निगम

Dec 25, 2024 11:09

पहले सॉफ्टवेयर के माध्यम से मात्र 10 मिनट में गृहकर निर्धारण हो जाता था। लेकिन, सत्यापन की कमी के चलते कई लोगों ने इसका गलत फायदा उठाया। पुराने मकानों का नया कर निर्धारण किया गया और बैनामा होने के बावजूद नामांतरण शुल्क जमा नहीं किया गया।

Lucknow News : लखनऊ नगर निगम ने ऑनलाइन गृहकर निर्धारण में बढ़ते फर्जीवाड़े को रोकने के लिए सॉफ्टवेयर में बदलाव शुरू कर दिया है। अब गृहकर निर्धारण केवल जोनल अफसर और राजस्व निरीक्षक के सत्यापन के बाद ही मंजूर किया जाएगा। यह नई प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन होगी, जिससे आवेदकों को नगर निगम के दफ्तर जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

दो साल पहले शुरू हुई थी ऑनलाइन प्रक्रिया
शहरवासियों की सुविधा के लिए दो साल पहले गृहकर निर्धारण को ऑनलाइन किया गया था। इससे लोग घर बैठे गृहकर निर्धारण करा सकते थे और कार्यालय के चक्कर लगाने से बच जाते थे। साथ ही, इससे सुविधा शुल्क भी नहीं देना पड़ता था। लेकिन, सत्यापन की कमी के चलते इस प्रक्रिया में फर्जीवाड़े के कई मामले सामने आए।



महज 10 मिनट में हो रहा था फर्जी निर्धारण
पहले सॉफ्टवेयर के माध्यम से मात्र 10 मिनट में गृहकर निर्धारण हो जाता था। लेकिन, सत्यापन की कमी के चलते कई लोगों ने इसका गलत फायदा उठाया। पुराने मकानों का नया कर निर्धारण किया गया और बैनामा होने के बावजूद नामांतरण शुल्क जमा नहीं किया गया।

घपलेबाजी के मामले
  • गैरकानूनी रूपांतरण : व्यावसायिक संपत्तियों को आवासीय संपत्तियों में परिवर्तित कर कम टैक्स का भुगतान किया गया।
  • गोदाम को बताया गया मकान : एक मामले में गोदाम को मकान दिखाकर व्यावसायिक टैक्स की जगह आवासीय टैक्स जमा किया गया।
  • नामांतरण शुल्क से बचाव : कई मामलों में नामांतरण की प्रक्रिया से बचने के लिए नए गृहकर का निर्धारण कर लिया गया।

सत्यापन प्रक्रिया में सुधार
अब हर नए आवेदन के लिए जोनल अधिकारी और राजस्व निरीक्षक से सत्यापन अनिवार्य होगा। सत्यापन के बाद ही आवेदन को ऑनलाइन पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा। अगर आवेदन सही पाया जाता है, तो गृहकर निर्धारण को मंजूरी दी जाएगी।

15 दिनों में नई प्रक्रिया लागू होगी
नगर निगम के मुख्य कर निर्धारण अधिकारी, अशोक सिंह, के अनुसार, सॉफ्टवेयर में सुधार का काम एनआईसी द्वारा किया जा रहा है। यह प्रक्रिया 15 दिनों में पूरी होने की उम्मीद है, जिसके बाद नई प्रणाली लागू कर दी जाएगी।

नगर निगम कर्मचारियों की भूमिका पर सवाल
जांच में यह भी पाया गया कि कुछ कर्मचारियों ने सॉफ्टवेयर का दुरुपयोग कर व्यावसायिक संपत्तियों को आवासीय में बदल दिया और कर निर्धारण में हेरफेर किया। इन मामलों के सामने आने के बाद सख्त निगरानी और सत्यापन की प्रक्रिया शुरू की गई है।

फर्जीवाड़ा रोकने की दिशा में बड़ा कदम
अधिकारियों के मुताबिक यह नई पहल गृहकर प्रणाली को पारदर्शी और विश्वसनीय बनाने में मदद करेगी। सत्यापन की अनिवार्यता से फर्जीवाड़े की संभावना कम होगी और नगर निगम की कर प्रणाली अधिक प्रभावी होगी।

Also Read