नासा सम्मेलन : सात राज्यों के छात्र-छात्राओं ने रचा वास्तुकला का संसार, मिट्टी में ढली कल्पना

UPT | नासा सम्मेलन।  

Oct 25, 2024 21:41

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के वास्तुकला और योजना संकाय की ओर से अयाोजित तीन दिवसीय नेशनल एसोसिएशन ऑफ स्टूडेंट्स ऑफ आर्किटेक्चर (नासा) के 67वें जोनल सम्मेलन का शुक्रवार को विश्वविद्यालय परिसर में आगाज हो गया।

Lucknow News : डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (एकेटीयू) के वास्तुकला और योजना संकाय की ओर से अयाोजित तीन दिवसीय नेशनल एसोसिएशन ऑफ स्टूडेंट्स ऑफ आर्किटेक्चर (नासा) के 67वें जोनल सम्मेलन का शुक्रवार को विश्वविद्यालय परिसर में आगाज हो गया। सम्मेलन में सात राज्यों से आये करीब 600 वास्तुकला छात्रों ने अपनी सृजन क्षमता का प्रदर्शन किया। कहीं छात्रों ने क्ले से मूर्ति सहित अन्य डिजाइन को आकार दिया तो कहीं सॉफ्टवेयर पर अपनी कल्पना के रंग भरे। पहले दिन कई प्रतियोगिताएं शुरू हुईं। जिसमें छात्रों की अलग-अलग टीमों ने हिस्सा लिया।  

डी 24 प्रतियोगिता 24 तो कहूट्स चलेगा 12 घंटे
अपने आप में अनूठी डी 24 और और कहूट्स प्रतियोगिता किसी मैराथन से कम नहीं है। डी 24 प्रतियोगिता में विभिन्न टीमों को अलग-अलग विषय दिया गया है। जिस पर उन्हें अपनी डिजाइन तैयार करनी है। यह प्रतियोगिता लगातार 24 घंटे की है। इसमें 23 टीमों ने हिस्सा लिया है। हर टीम में 6 छात्र हैं। जो 6-6 घंटे की शिफ्ट में डिजाइन तैयार कर रहे हैं। इसी तरह कहूट्स प्रतियोगिता चल रही है। यह 12 घंटे तक चलेगी। इसमें पांच टीमों ने प्रतिभाग किया है। इन टीमों को रिवर फ्रंट पर डिजाइन बनाना है। जिसमें कॉमर्सियल बिल्डिंग, मल्टीप्लेक्स, पार्किंग एरिया सहित अन्य मॉडल सॉफ्टवेयर पर बनाने हैं। इन दोनों प्रतियोगिताओं का मूल्यांकन जूरी मेंबर्स करेंगे। इसके बाद विजेता की घोषणा होगी।



शिक्षकों का काम सिर्फ क्लास में पढ़ाना नहीं 
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के कुलपति जेपी पांडेय ने कहा कि वर्तमान में शिक्षकों का काम सिर्फ क्लास में पढ़ाना नहीं रह गया है। उन्हें तेजी से बदलती दुनिया में तकनीकी रूप से खुद को अपग्रेड रखना होगा। शोध के विभिन्न आयामों पर काम करने की जरूरत है। सरकार या विश्वविद्यालय संसाधन उपलब्ध करा सकते हैं लेकिन काम तो शिक्षकों और छात्रों को ही करना पड़ेगा। हमें ऐसा भारत बनाना है जो पूरी दुनिया को इंटेलिजेंस का निर्यात कर सके। इसलिए जरूरी है कि शोध में नवाचार हो। कुलपति शुक्रवार को भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी और इनोवेशन हब की ओर से आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला को सम्बोधित कर रहे थे। 

स्वास्थ्य-कृषि के क्षेत्र में बायोटेक्नोलॉजी की अहम भूमिका 
कार्यशाला में मुख्य अतिथि रहे मुख्यमंत्री के सलाहकार डॉ. जीएन सिंह ने कहा कि स्वास्थ्य और कृषि के क्षेत्र में बायोटेक्नोलॉजी की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में हर क्षेत्र में विकास की धारा बह रही है। खासकर स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में प्रदेश काफी तेजी से देश में अपना स्थान बना रहा है। जल्द ही विदेशी विश्वविद्यालय प्रदेश में अपना कैंपस शुरू करेंगे। कार्यशाला में डीबीटी के विशेषज्ञों ने शिक्षकों, शोधार्थियों, स्टार्टअप और छात्रों के लिए बायोटेक्नोलॉजी विभाग और भारत सरकार की फंडिंग योजनाओं, फेलाशिप सहित अन्य योजनाओं की जानकारी दी।
 

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