नजूल संपत्ति विधेयक : संजय निषाद बोले- ये 2027 में हमें उजाड़ देंगे, सपा-कांग्रेस का कटाक्ष-भाजपा ने इसलिए ठंडे बस्ते में डाला

UPT | Nazul Property Bill

Aug 03, 2024 00:23

डॉ. संजय निषाद ने कहा कि हमारी मांग है कि नजूल भूमि पर जो बड़े लोग रह रहे हैं, जिनके मकान हैं, ​जो वर्षों से वहां गुजर बसर कर रहे हैं, उनकी जमीन मकान छोड़ दिया जाए। उनसे इसके एवज में कुछ धनराशि ले ली जाए। जहां खाली जमीन है, उसका सरकारी इस्तेमाल कर लिया जाए। लेकिन, जो जहां पर है उसे किसी भी तरह बसाया जाए।

Lucknow News : उत्तर प्रदेश नजूल संपत्ति (लोक प्रयोजनार्थ प्रबंध और उपयोग) विधेयक-2024 को लेकर सियासत तेज हो गई है। विरोधी दलों सहित भाजपा के सहयोगी दलों ने भी इसका विरोध किया है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भाजपा पर निजी हित के लिए विधेयक लाने का आरोप लगाया है तो निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद ने इसे लेकर एक बार​ फिर नौकरशाही पर निशाना साधा है। वहीं अपना दल सोनेलाल की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल भी इसके विरोध में हैं। 

भाजपा के लोग निजी फायदे के लिए लाए विधेयक
सपा अध्यक्ष अध्यक्ष अखिलेश यादव ने नजूल जमीन विधेयक को लेकर भाजपा पर हमला बोला। उन्होंने शुक्रवार को कहा कि नजूल जमीन विधेयक दरअसल भाजपा के कुछ लोगों के व्यक्तिगत फायदे के लिए लाया जा रहा है जो अपने आसपास की जमीन को हड़पना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि गोरखपुर में ऐसी कई जमीने हैं जिन्हें कुछ लोग अपने प्रभाव-क्षेत्र के विस्तार के लिए हथियाना चाहते हैं। आशा है मुख्यमंत्री जी स्वत: संज्ञान लेते हुए ऐसे किसी भी मंसूबे को कामयाब नहीं होने देंगे, खासतौर से गोरखपुर में।

अंग्रेजों से लड़ने के लिए शहरों में आई कई जातियां हो गईं बेघर
डॉ. संजय निषाद ने कहा कि हम शुरुआत से ही निर्बलों और शोषितों की आवाज उठाते रहे हैं। हम उनके साथ हैं। उन्होंने नजूल संपत्ति विधेयक को लेकर बातचीत में कहा कि कई जातियों के लोग अंग्रेजों से लड़ने के कारण कानूनी रूप से उजड़े हुए हैं। कोई झोपड़ी डालकर रह रहा है, कोई सड़क किनारे पॉलिथीन डालकर रहने को मजबूर है। ये लोग अपने क्षेत्रों में, गांवों में रहते थे। लेकिन, जब ब्रिटिश पीरियड में अंग्रेज शहरों में थे तो इनसे युद्ध करने के लिए इनको भी शहर में आना पड़ा। ऐसे कई जातियों के लोग सरकारी जमीनों पर 70-80 सालों से रह रहे हैं। ऐसे में इनके पट्टे खत्म करना सही नहीं है। इनको नजूल जमीन से हटाने से ठीक संदेश नहीं जाएगा।

नजूल भूमि पर रहने वालों को वहीं किया जाए स्थापित
नजूल डॉ. संजय निषाद ने कहा कि हमारी मांग है कि नजूल भूमि पर जो बड़े लोग रह रहे हैं, जिनके मकान हैं, ​जो वर्षों से वहां गुजर बसर कर रहे हैं, उनकी जमीन मकान छोड़ दिया जाए। उनसे इसके एवज में कुछ धनराशि ले ली जाए। जहां खाली जमीन है, उसका सरकारी इस्तेमाल कर लिया जाए। लेकिन, जो जहां पर है उसे किसी भी तरह बसाया जाए। अगर इनको उजाड़ा जाएगा तो ये 2027 में हमें उजाड़ देंगे। किसी को आप उजड़ेंगे तो वह आपको क्यों वोट देंगे? उजड़ने से पहले आप उनको स्थापित कीजिए। वह स्थापित पहले से ही हैं तो उन्हें मालिकाना हक दे दिया जाए। एक सिस्टम के तहत ये काम किया जाना चाहिए। डॉ. निषाद ने प्रदेश के बाहर अन्य स्थानों का हवाला देते हुए कहा कि चेन्नई में कम से कम एक लाख मछुआरों को समुद्र के किनारे मकान बनाकर स्थापित किया जाए। उन्होंने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के भाजपा पर निजी फायदे के लिए ये विधेयक लाने पर कहा कि वास्तव में कुछ अधिकारी ऐसे हैं, जो ऐसा काम कर रहे हैं। जिससे की वोटर नाराज हो जाए। 

आखिर लोगों को क्यों उजाड़ना चाहती है सरकार
सहारनपुर से सांसद इमरान मसूद ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार बुलडोजर नीति पर चलने वाली सरकार है। वह बनाने में नहीं तोड़ने में विश्वास रखती है। उन्होंने कहा कि हालांकि नजूल प्रॉपर्टी जो लोग वर्षों से रहते आए हैं, उन्हें इसे फ्री होल्ड करा लेना चाहिए था। जब वह सहारनपुर नगर पालिका के चेयरमैन थे तब उन्होंने पॉ​लिसी के तहत ऐसा करने की लोगों से अपील भी की थी। कुछ लोगों ने इसे कराया तो कुछ लोग इससे पीछे हट गए। अब उन्हें ये बात समझ में आ रही होगी। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी बात है कि सहारनपुर के अंदर जो नजूल प्रॉपर्टी है, उस पर अधिकांश भाजपा के कट्टर समर्थक रहते हैं, आज वह सभी परेशान हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी इसके सख्त खिलाफ है। आखिर आप किसी को क्यों उजाड़ना चाहते हैं, भले ही वह किसी भी विचाराधारा के हों। 

विधेयक आमजन मानस की भावनाओं के विपरीत 
इससे पहले केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने इस मामले पर कहा कि नजूल भूमि संबंधी विधेयक को विमर्श के लिए विधान परिषद की प्रवर समिति को भेज दिया गया है। व्यापक विमर्श के बिना लाये गये नजूल भूमि संबंधी विधेयक के बारे में मेरा स्पष्ट मानना है कि यह विधेयक न सिर्फ गैरजरूरी है बल्कि आमजन मानस की भावनाओं के विपरीत भी है। उत्तर प्रदेश सरकार को इस विधेयक को तत्काल वापस लेना चाहिए और इस मामले में जिन अधिकारियों ने गुमराह किया है, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद प्रवर समिति में भेजने का हुआ फैसला
उत्तर प्रदेश नजूल संपत्ति (लोक प्रयोजनार्थ प्रबंध और उपयोग) विधेयक-2024 को विधानसभा में विपक्ष के भारी विरोध के बीच भले ही मंजूरी मिल गई हो। लेकिन विधान परिषद में इसे लेकर अपनों ने ही सवाल उठाए। इसके बाद विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान गुरुवार को इस विधेयक को मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद विधान परिषद की प्रवर समिति को सुपुर्द कर दिया गया। भाजपा के सदस्य और प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी ने यह विधेयक प्रवर समिति को भेजने का अनुरोध किया, जिसे सभापति कुंवर मानवेन्द्र सिंह ने स्वीकार कर लिया।

विधेयक को लेकर अपने और सहयोगी दोनों विरोध में 
दरअसल विधानसभा में नजूल भूमि संबंधी विधेयक पास होने के बाद कुछ विधायकों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर इस विषय में अपनी राय रखी थी। इसके बाद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक भी मुख्यमंत्री से मिले। बताया जा रहा है कि इस दौरान सहमति बनी कि विधान परिषद में नेता सदन केशव प्रसाद मौर्य विधेयक को पटल पर रखेंगे और भूपेन्द्र चौधरी इसे विचार के लिए प्रवर समिति में भेजने का प्रस्ताव रखेंगे। सदन की कार्यवाही के दौरान ऐसा ही देखने को मिला। दरअसल भाजपा विधायक सिद्धार्थ नाथ सिंह और हर्ष बाजपेई सहित कई नेता इस बात को रख चुके हैं बिल को लाना सही नहीं है। इसका खामियाजा पार्टी को उठाना पड़ सकता है। उपचुनाव में भी ये मुद्दा बन सकता है। विरोधी दल पहले से ही इस मुद्दे पर मुखर हैं, वहीं सहयोगी दल भी इसके खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संभावित खतरे को भांपते हुए इसे ठंडे बस्ते में डालने की रणनीति अपनाई। इसके बाद योजना के तहत विधेयक को विधान परिषद में प्रवर समिति को भेज दिया गया। प्रवर समिति अब इस विधेयक के बिंदुओं पर मंथन करने के बाद आवश्यक संशोधनों के साथ इसे दोबारा विधान परिषद को भेज सकती है। 

नजूल संपत्ति विधेयक के अहम बिंदु
  • उत्तर प्रदेश में नजूल भूमि का स्वामित्व निजी व्यक्तियों या संस्था को नहीं मिलेगा। 
  • प्रदेश सरकार पट्टा अवधि खत्म होते ही पट्टेदार को बेदखल कर नजूल भूमि वापस ले लेगी। 
  • सिर्फ सरकारी महकमों को सार्वजनिक उपयोग के लिए नजूल भूमि दी जाएगी। 
  • विधेयक लागू होने के बाद नजूल भूमियों का निजी व्यक्ति या निजी संस्था के पक्ष में पूर्ण स्वामित्व के रूप में प्रतिवर्तन नहीं किया जाएगा। 
  • नजूल भूमि के पूर्ण स्वामित्व परिवर्तन संबंधी किसी भी न्यायालय की कार्यवाही या प्राधिकारी के समक्ष आवेदन, निरस्त हो जाएंगे और अस्वीकृत समझे जाएंगे। 
  • यदि इस संबंध में कोई धनराशि जमा की गई है, तो जमा करने की तारीख से उसे एसबीआई की मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट (एमसीएलआर) की ब्याज दर पर कैलकुलेट करते हुए वापस कर दिया जाएगा।
कुछ शर्तों पर जारी रह सकता है जमीन का पट्टा 
नजूल भूमि के ऐसे पट्टाधारक जिनका पट्टा अभी भी चालू है और नियमित रूप से पट्टा किराया जमा कर रहे हैं और पट्टे की किसी भी शर्त का उल्लंघन नहीं किया है, उनके पट्टों को सरकार या तो ऐसी शर्तों पर जैसा सरकार समय-समय पर निर्धारित करती है जारी रख सकती है या ऐसे पट्टों का निर्धारण कर सकती है। पट्टा अवधि की समाप्ति के बाद ऐसी भूमि समस्त विलंगमों से मुक्त होकर स्वतः राज्य सरकार में निहित हो जाएगी। इस अधिनियम के अंतर्गत नजूल भूमि का आरक्षण एवं उसका इस्तेमाल केवल सार्वजनिक इकाईयों के लिए ही किया जाएगा।

Also Read