लखनऊ में ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन का बड़ा रैकेट सक्रिय : पहले भी पकड़ी जा चुकी है करोड़ों की खेप, बिहार के नेटवर्क की तलाश में जीआरपी

UPT | चारबाग रेलवे स्टेशन पर पकड़ी गई ऑक्सीटोसिन

Nov 18, 2024 14:26

पार्सल रिसीव करने के लिए चारबाग में कोई व्यक्ति नहीं आया था। इससे साफ जाहिर है कि इसमें अन्य लोग भी शामिल थे। इसके बाद जीआरपी की टीमें पार्सल भेजने वाले की तलाश में जुट गई हैं। इसमें बड़े रैकेट के शामिल होने की संभावना है। इससे पहले भी लखनऊ में ऑक्सीटोसिन की करोड़ों की खेप पकड़ी जा चुकी है। तब भी गिरफ्तार आरोपियों का बिहार से कनेक्शन सामने आया था।

Lucknow News : चारबाग रेलवे स्टेशन पर जीआरपी (रेलवे सुरक्षा बल) के 1087 लीटर प्रतिबंधित दवा ऑक्सीटोसिन पकड़े जाने के मामले में जांच तेज हो गई है। जीआरपी की टीमें मामले की तह तक जाने के लिए सीतापुर और बिहार के छपरा रवाना हो गई हैं। यह दवा 38 पैकेटों में पाई गई थी, जिसे लखनऊ जंक्शन के पार्सल घर से जब्त किया गया।

बड़े रैकेट के शामिल होने की संभावना
यह पार्सल रिसीव करने के लिए चारबाग में कोई व्यक्ति नहीं आया था। इससे साफ जाहिर है कि इसमें अन्य लोग भी शामिल थे। इसके बाद जीआरपी की टीमें पार्सल भेजने वाले की तलाश में जुट गई हैं। इसमें बड़े रैकेट के शामिल होने की संभावना है। इससे पहले भी लखनऊ में ऑक्सीटोसिन की करोड़ों की खेप पकड़ी जा चुकी है। तब भी गिरफ्तार आरोपियों का बिहार से कनेक्शन सामने आया था। अब जीआरपी यूपी और बिहार के जनपदों में गिरोह का नेटवर्क खंगालने में जुट गई है।



ऑपरेशन सतर्क के तहत हुई कार्रवाई
चारबाग जीआरपी प्रभारी मुकेश सिंह के अनुसार, यह बड़ी कार्रवाई ऑपरेशन सतर्क के तहत की गई। मुखबिर से सूचना मिली थी कि छपरा-लखनऊ जंक्शन एक्सप्रेस से प्रतिबंधित ऑक्सीटोसिन ड्रग को लखनऊ लाया जा रहा है। सूचना के आधार पर जीआरपी ने कार्रवाई की और पार्सलघर में जांच-पड़ताल की, जिसमें कुल 38 पैकेट मिले, जिनका कोई रिसीवर नहीं था। जीआरपी के मुताबिक अब आगे की पड़ताल जारी है। जांच में मिले साक्ष्यों के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

1.94 करोड़ की थी बाजार में कीमत
बरामद ऑक्सीटोसिन की मात्रा 10.87 लाख एमएल (1087 लीटर) थी, जिसकी बाजार कीमत करीब 1.94 करोड़ रुपये आंकी गई है। पार्सल में प्रेषक के रूप में बिहार के छपरा निवासी संतोष सिंह का नाम दर्ज था और इसे सीतापुर के राम लौटन को भेजा गया था।

अगस्त में भी हुई थी बड़ी बरामदगी
इससे पहले, अगस्त में एसटीएफ ने ऑक्सीटोसिन की तस्करी में शामिल दो आरोपियों को गिरफ्तार किया था। उनके पास से 36 पेटी में 2,80,899 एंपुल ऑक्सीटोसिन बरामद हुआ था, जिसकी कीमत लगभग 1.37 करोड़ रुपये थी। उन्होंने कबूल किया था कि वे इस दवा को बिहार से लाकर लखनऊ और आसपास के जिलों में सप्लाई करने वाले थे।

ऑक्सीटोसिन के खतरनाक उपयोग
ऑक्सीटोसिन का उपयोग जानवरों के दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए किया जाता है और इसे सब्जियों एवं फलों के त्वरित विकास के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। इसमें फिनाइल मिलाकर इसे और भी हानिकारक बनाया जाता है, जिससे मानव स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा उत्पन्न हो सकता है।

ऑक्सीटोसिन का अवैध उपयोग
ऑक्सीटोसिन को मेडिकल रूप से भी इंजेक्शन के रूप में प्रयोग किया जाता है ताकि प्रसव में देरी होने पर इसे उत्तेजित किया जा सके या प्रसव के दौरान किसी प्रकार की जटिलता के समय गर्भाशय को अनुबंधित करने में सहायता मिल सके। हालांकि, ऑक्सीटोसिन का अवैध रूप से उपयोग कई क्षेत्रों में किया जाता है। खासकर, कृषि और डेयरी उद्योग में इसका इस्तेमाल अक्सर दूध उत्पादन को कृत्रिम रूप से बढ़ाने के लिए किया जाता है। इसके अलावा, सब्जियों और फलों के विकास को तेज करने के लिए भी इसका दुरुपयोग होता है। यह उपयोग भारत समेत कई देशों में प्रतिबंधित है क्योंकि यह स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होता है।

ऑक्सीटोसिन के नुकसान
  • शरीर में ऑक्सीटोसिन की अधिकता हार्मोनल असंतुलन पैदा कर सकती है, जिससे अन्य शारीरिक प्रक्रियाएं प्रभावित हो सकती हैं।
  • महिलाओं में इसका अनियंत्रित उपयोग गर्भाशय में संक्रमण या गर्भाशय की मांसपेशियों को कमजोर कर सकता है।
  • ऑक्सीटोसिन के उपयोग से दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए बार-बार इंजेक्शन दिए जाते हैं, जिससे पशु दर्द और तनाव का सामना करते हैं।
  • इससे पशुओं में प्रजनन क्षमता में गिरावट हो सकती है और वे समय से पहले बूढ़े हो सकते हैं।
  • जब ऑक्सीटोसिन को असंवेदनशील तरीके से उपयोग किया जाता है, तो इसका जल और मिट्टी में रिसाव पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचा सकता है। यह रसायन पानी में मिलकर जलीय जीवों के लिए विषाक्त साबित हो सकता है।

ऑक्सीटोसिन से संबंधित सावधानियां और कानून
ऑक्सीटोसिन के गैरकानूनी उपयोग पर सरकार ने सख्त नियम और कानून बनाए हैं। भारत में, इसका वितरण और उपयोग केवल लाइसेंस प्राप्त मेडिकल संस्थानों में ही किया जा सकता है। इसके अवैध उपयोग पर सजा का प्रावधान है और दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाती है।
 

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