झांसी अग्निकांड : ब्रजेश पाठक ने अफसरों के साथ की बैठक, कहा- इलेक्ट्रिकल सेफ्टी के नियमों का होगा पालन, जिलों को अलर्ट जारी

UPT | झांसी अग्निकांड को लेकर आलाधिकारियों के साथ बैठक करते डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक

Nov 18, 2024 18:05

झांसी मेडिकल कॉलेज के नवजात शिशु गहन चिकित्सा केंद्र (एसएनसीयू) में आग लगने के बाद मृतकों की संख्या बढ़कर 12 हो गई है। रविवार को एक बच्चे की मौत हुई थी और सोमवार को एक और नवजात ने दम तोड़ दिया। यह बच्चा जालौन जिले की मुस्कान का था, जिसे जन्म से गंभीर स्थिति के कारण भर्ती किया गया था। 

Lucknow News :  झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में हुए भीषण अग्निकांड के बाद उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने सोमवार को राजधानी में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक में प्रमुख सचिव स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा सहित स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, चिकित्सा शिक्षा और अग्निशमन विभाग के आलाधिकारी शामिल हुए। इस दौरान झांसी मेडिकल कॉलेज की घटना पर विस्तृत चर्चा की गई।  डिप्टी सीएम ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए ठोस कदम उठा रही है। 

इलेक्ट्रिकल सेफ्टी की वजह से ज्यादातर हादसे
उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि सुरक्षा ऑडिट के लिए निर्देश पहले ही दिए जा चुके हैं। इसे और अधिक सख्ती से लागू किया जाएगा। इलेक्ट्रिकल सेफ्टी की वजह से ज्यादातर घटनाएं हो रही हैं। इसलिए अस्पतालों में परमानेंट वायरिंग होगी। इलेक्ट्रिकल सेफ्टी के नियमों का सख्ती से पालना कराया जाएगा। प्राइवेट अस्पताल संचालकों के साथ बैठक भी की जाएगी। प्रमुख सचिव ने कहा कि जांच की जा रही है। इलेक्ट्रिकल सेफ्टी के मामले में सभी जनपदों को अलर्ट किया गया है। सुरक्षा उपायों को तेजी से लागू करने का निर्देश दिया गया है।


मृतक शिशुओं की संख्या बढ़कर हुई 12
झांसी मेडिकल कॉलेज के नवजात शिशु गहन चिकित्सा केंद्र (एसएनसीयू) में आग लगने के बाद मृतकों की संख्या बढ़कर 12 हो गई है। रविवार को एक बच्चे की मौत हुई थी और सोमवार को एक और नवजात ने दम तोड़ दिया। यह बच्चा जालौन जिले की मुस्कान का था, जिसे जन्म से गंभीर स्थिति के कारण भर्ती किया गया था। 

हादसे के वक्त वार्ड में मौजूद थे 49 बच्चे
घटना के समय एसएनसीयू वार्ड में कुल 49 बच्चे भर्ती थे। आग की चपेट में आने से 10 बच्चों की तत्काल मृत्यु हो गई थी, जबकि 39 बच्चों को समय रहते सुरक्षित बाहर निकाला गया। इस बचाव कार्य के दौरान कई अस्पताल कर्मचारियों और अन्य लोगों की तत्परता सराहनीय रही। लेकिन, घटना के बाद से स्वास्थ्य सुरक्षा उपायों पर सवाल उठ रहे हैं।

सुरक्षा को लेकर उठाए गए कदम
घटना के बाद सरकार ने सभी जिलों के अस्पतालों में फायर सेफ्टी उपकरणों और सुरक्षा मानकों की पुनः जांच करने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही, यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि अस्पतालों में मौजूद इमरजेंसी सेवाएं हर वक्त तैयार रहें। डिप्टी सीएम ने सभी अस्पताल प्रशासनों को चेतावनी दी है कि लापरवाही किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

शासन स्तर पर गठित कमेटी ने किया​ निरीक्षण
इस बीच घटना की जांच के लिए गठित चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक की अगुवाई में उच्चस्तरीय कमेटी सोमवार को मेडिकल कॉलेज पहुंची और घटना की पूरी जानकारी ली। कमेटी में महानिदेशक, चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण (अध्यक्ष) और निदेशक (स्वास्थ्य) चिकित्सा स्वास्थ्य सेवाएं, अपर निदेशक, विद्युत, चिकित्सा स्वास्थ्य सेवाएं तथा महानिदेशक, अग्निशमन की ओर से नामित अधिकारी सदस्य की भूमिका में हैं। समिति को सात दिन के अंदर अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपनी है।

दो करोड़ के जीवनरक्षक उपकरण जलकर राख
बताया जा रहा है कि अग्निकांड में करीब दो करोड़ रुपये के जीवनरक्षक उपकरण जलकर राख हो गए हैं। एसएनसीयू वार्ड में आठ वेंटिलेटर, बबल, सी-पैप, एचएफएनसी मशीन, एचएफओ, 18 क्रेडल आदि मशीनें मशीनें पूरी तरह से जल गई हैं। घटना के दौरान एसएनसीयू से बच्चों को निकाल लिया गया। लेकिन, उनके इलाज में दिक्कत के मद्देनजर वार्ड नंबर पांच में वेंटिलेटर और ऑक्सीजन बेड बिछाकर निक्कू वार्ड बना दिया। इसके बाद 16 शिशुओं को तत्काल भर्ती किया गया। साथ ही अब मेडिकल कॉलेज के पीआईसीयू में ही 10 बेड का नवजात शिशु गहन चिकित्सा केंद्र स्थापित कर दिया गया है। 

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