प्रियंका ने भाजपा पर किया हमला : बोलीं- “वोट के लिए रोते हैं मोदी, पिता और दादी को देशद्रोही कहें और हम...”

UPT | कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा

May 18, 2024 17:18

लोकसभा चुनाव के बीच कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने एक मीडिया संस्थान को दिए गए इंटरव्यू में मौजूदा चुनावी मुद्दों और उनके परिवार पर लगने वाले आरोपों पर विस्तार से अपनी...

Lucknow News : लोकसभा चुनाव के बीच कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने एक मीडिया संस्थान को दिए गए इंटरव्यू में मौजूदा चुनावी मुद्दों और उनके परिवार पर लगने वाले आरोपों पर विस्तार से अपनी राय रखी। उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि बीजेपी चाहती है कि उनके परिवार के बारे में जितने भी अपशब्द बोले जाएं, वे उस पर चुप रहें। इसके आगे प्रियंका गांधी ने कहा कि भाजपा चाहती हैं कि वह हमारे शहीद पिता और दादी को देशद्रोही कहें और हम चुप रहें।

“इंदिरा गांधी ने देश के लिए 33 गोलियां खाई”
बता दें कि इसके आगे प्रियंका गांधी ने कहा कि उनके परिवार ने देश के लिए बलिदान दिए हैं और इस पर उन्हें गर्व है, न कि शर्मिंदगी। उन्होंने कहा कि उनकी दादी इंदिरा गांधी ने देश के लिए 33 गोलियां खाई हैं और उनके पिता राजीव गांधी भी देश के लिए शहीद हुए हैं। उन्होंने कहा कि वे इस बात पर चुप नहीं रहेंगी।

वोट के लिए रोते हैं मोदी- प्रियंका गांधी
वाड्रा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साधा और कहा कि वे किसी भी इंटरव्यू में वोटों को लेने के लिए रो जाते हैं, जो एक "इमोशनल पिच" है। उन्होंने कहा कि जब वे सच्चाई बोलती हैं तो उन्हें भी इमोशनल पिच करने वाला कहा जाता है।

19 साल की उम्र में पिता के टुकड़े घर लाए- प्रियंका
प्रियंका ने अपने पिता की हत्या का भी जिक्र किया और कहा कि उन्होंने 19 साल की उम्र में ही अपने पिता के टुकड़े घर लाए थे। उन्होंने कहा कि उन्हें इसलिए बोलना चाहिए। उन्होंने बीजेपी के उन आरोपों का भी खंडन किया जो इंदिरा गांधी की विरासत को लेकर लगाए गए थे।

अमेठी और रायबरेली की जनता से खास रिश्ता
प्रियंका गांधी ने अपने और जनता के बीच के रिश्ते का जिक्र करते हुए कहा कि जब भी वे संकट में रही हैं तो अमेठी और रायबरेली की जनता उनके साथ खड़ी रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस रिश्ते को कभी नहीं समझ पाएंगे। एक घटना के बारें में बताते हुए प्रियंका ने कहा कि मैं गांव-गांव में जाती हूं। गांव की एक महिला ने मुझे रोका... मैं रुकी और खिड़की के बाहर दोनों हाथों को निकालकर वो मेरे सिर पर रखकर बोली- विजयी भवः यह देख कर मेरी आंखों में आंशू आ गए।

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