मूर्तियों से सजेंगे लखनऊ के चौराहे : शैल उत्सव का समापन, मूर्तिकार हुए सम्मानित  

UPT | शैल उत्सव का समापन।

Oct 21, 2024 20:23

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (एकेटीयू) के योजना एवं वास्तुकला संकाय में आठ दिवसीय शैल उत्सव का सोमवार को समापन हो गया।

Lucknow News : डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (एकेटीयू) के योजना एवं वास्तुकला संकाय में आठ दिवसीय शैल उत्सव का सोमवार को समापन हो गया। इस अवसर पर आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जेपी पांडेय उपस्थित रहे। कुलपति ने मूर्तिकारों की बनाई गई मूर्तियों का अवलोकन किया और उनके हुनर की सराहना की। इसके बाद विभिन्न राज्यों से आए हुए 10 मूर्तिकारों को सम्मानित किया।

शहर में लगाई जाएंगी मूर्तियां
समापन समारोह में लखनऊ विकास प्राधिकरण एलडीए के उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार ने कलाकारों के कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि देश के विभिन्न राज्यों से आए मूर्तिकारों ने बेहद सुंदर और आकर्षक कलाकृतियां बनाई हैं। एलडीए उपाध्यक्ष ने कहा कि शैल उत्सव में अनूठी शैली से गढ़ी गई मूर्तियों को शहर में स्थापित किया जाएगा। ये मूर्तियां प्रमुख चौराहों और पार्कों में लगाई जाएंगी। जिससे शहर की सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत में चार चांद लग जाएंगे।



मूर्तिकारों ने बनाई ये कलाकृतियां
क्यूरेटर वंदना सहगल ने बताया कि आठ दिनों के अथक परिश्रम के बाद सभी कलाकारों ने उत्कृष्ट मूर्तिशिल्प का निर्माण किया। कोऑर्डिनेटर भूपेंद्र अस्थाना ने बताया कि शिविर में आए कलाकारों में दो महिला और आठ पुरुष बिहार, गुजरात, दिल्ली, राजस्थान और उत्तर प्रदेश से आए थे। गुजरात की मूर्तिकार अवनी पटेल ने मून होल्डिंग वाटर मूर्ति बनाई। मूर्तिकार निधि ने लैंडस्केप ऑफ रिबेलेंसिंग मूर्ति का निर्माण किया। संतो कुमार चौबे ने कैक्टस एंड क्लाउड मूर्ति बनाई। शैलेश मोहन ओझा ने लेफ्ट राइट सैंडस्टोन और गिरीश पांडे ने पेपर लिली जैसी मूर्तियां बनाईं। यह मूर्तियां अपनी अनूठी शैलियों के कारण विशेष आकर्षण का केंद्र रहीं।

डॉक्यूमेंटेशन के लिए हर्षित पुरस्कृत
बैचलर ऑफ विजुअल आर्ट्स के चतुर्थ वर्ष के छात्र हर्षित सिंह क आठ दिवसीय उत्सव के डॉक्यूमेंटेशन के लिए पुरस्कृत किया गया हर्षित ने इस उत्सव में फोटोग्राफी का जिम्मा संभाला था। उन्होंने मूर्तिकारों की कला को अपने कैमरे में कैद किया। हर्षित ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि बड़े-बड़े मूर्तिकारों के साथ काम करने में मुझे बहुत अच्छा लगा। यह मेरे लिए एक सीखने का अनूठा अवसर था। यहां मैंने न केवल मूर्तिकारों उनकी कला की गहराई को समझा, बल्कि अपनी फोटोग्राफी कौशल को भी निखारा।

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