स्मार्ट प्रीपेड मीटर की बाध्यता विद्युत ​अधिनियम के​ खिलाफ : उपभोक्ता परिषद ने मनोहर लाल खट्टर के दौरे के बीच कर डाली ये मांगें

UPT | Smart Prepaid Meter

Nov 13, 2024 16:51

उपभोक्ता परिषद ने कहा कि देश के निजी घराने ज्यादातर स्मार्ट प्रीपेड मीटर के अंदर लगने वाल कंपोनेंट में चीनी कंपोनेंट का बड़ी मात्रा में उपयोग कर रहे हैं। इसकी कोई भी जांच नहीं हो रही है। ऐसे में एक उच्च स्तरीय टीम बनाकर उत्तर प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर के अंदर चीनी कंपोनेंट की जांच कराई जाए।

Lucknow News : केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर यूपी के दो दिवसीय दौरे पर हैं। उनके दौरे के मद्देनजर उपभोक्ता परिषद ने ऊर्जा मंत्रालय से पांच मांगों को पूरा करने को कहा है। इन पर जनहित में ऊर्जा मंत्रालय से निर्णय करने की अपील की गई है। संगठन ने कहा है कि पूरे देश व प्रदेश के उपभोक्ताओं के हित में ये संवैधानिक मांगे हैं, जिनको पूरा करने की उपभोक्ता परिषद लंबे समय से मांग कर रहा है। 

उच्चतम विद्युत दरों पर सीलिंग की मांग
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा की तरफ से केंद्रीय ऊर्जा मंत्री से जो पांच प्रमुख मांगें की गई हैं, उनमें कहा गया है कि गर्मी में देश के ज्यादातर जनरेटर पीक आवर में अपनी बिजली को एक्सचेंज पर 10 रुपये प्रति यूनिट तक बेचते हैं जबकि सभी को पता है जनरेटर की विद्युत पैदा करने की जो लागत है वह 5.30 रुपये प्रति यूनिट के करीब है। ऐसे में केंद्र यह सख्त कानून बनाए कि 4 पैसे प्रति यूनिट मार्जिन से ज्यादा कोई भी जनरेटर नहीं कमाई करे और उसके ऊपर बिजली को नहीं बेच पाए। एक सीलिंग लगाई जाए यानी कि हर हाल में 6 रुपये प्रति यूनिट पर अधिकतम सीलिंग होनी चाहिए। 



महंगी बिजली आवंटन पर पुनर्विचार
उत्तर प्रदेश को केंद्रीय उत्पादन इकाइयों से पीपीए के तहत आवंटित महंगी बिजली के मुद्दे पर भी परिषद ने ध्यान आकर्षित किया। परिषद की मांग है कि इस महंगी बिजली के आवंटन को राज्य के कोटे से हटाया जाए ताकि उपभोक्ताओं पर वित्तीय बोझ कम हो। संगठन ने कहा कि यूपी में पहले से ही बहुत महंगी बिजली है। 

स्मार्ट प्रीपेड मीटरों पर विवाद
उन्होंने कहा कि पूरे देश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाये जा रहे हैं और उसी क्रम में उत्तर प्रदेश में भी स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने का काम जारी है। विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 47(5) के तहत किसी भी उपभोक्ता को स्मार्ट प्रीपेड मीटर व पोस्टपेड मीटर के विकल्प का अधिकार प्राप्त है। लेकिन, भारत सरकार के रूल में अनिवार्य रूप से सभी उपभोक्ता को स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने की बाध्यता की गई है जो विद्युत अधिनियम 2003 का खुला उल्लंघन है। उपभोक्ता परिषद ने नियमों के मुताबिक इसे वैकल्पिक रखने की मांग की 

चीनी कंपोनेंट्स की जांच की अपील, कंपनी को काली सूची में डालने की मांग
उपभोक्ता परिषद ने कहा कि देश के निजी घराने ज्यादातर स्मार्ट प्रीपेड मीटर के अंदर लगने वाल कंपोनेंट में चीनी कंपोनेंट का बड़ी मात्रा में उपयोग कर रहे हैं। इसकी कोई भी जांच नहीं हो रही है। ऐसे में एक उच्च स्तरीय टीम बनाकर उत्तर प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर के अंदर चीनी कंपोनेंट की जांच कराई जाए। आरडीएसएस योजना में यह व्यवस्था की जाए कि किसी भी स्मार्ट प्रीपेड मीटर निर्माता कंपनी के मीटर में कोई भी कमियां सामने आती है, तो तत्काल उसे ब्लैक लिस्ट किया जाएगा। संगठन ने इसे कानून के रूप में शामिल करने की मांग की।

आरडीएसएस योजना की सीबीआई जांच की मांग
उपभोक्ता परिषद ने आरडीएसएस योजना के तहत स्मार्ट प्रीपेड मीटर परियोजना के टेंडर और उनके अनुमोदन पर भी सवाल उठाए हैं। परिषद ने बताया कि उत्तर प्रदेश के लिए केंद्र से 18885 करोड़ रुपये की मंजूर की गई राशि की तुलना में टेंडर 27342 करोड़ रुपये में पास किए गए, जिससे लगभग 9000 करोड़ रुपये का अंतर नजर आता है। परिषद ने इस मामले की सीबीआई से जांच की मांग की है ताकि यह स्पष्ट हो सके कि कहीं भ्रष्टाचार तो नहीं हुआ।

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