UP News: प्रदेश में बढ़ा सारस का कुनबा, इटावा वन प्रभाग में मिले सबसे अधिक पक्षी

UPT | State bird stork

Jul 10, 2024 19:13

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पशु-पक्षी और पर्यावरण संरक्षण के लिए निरंतर प्रयासरत हैं। 2017 में सत्ता संभालने के बाद से उन्होंने विभिन्न विभागों को इनके संरक्षण पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए।

Short Highlights
  • राज्य में हर साल दो बार की जाती है गणना
  • पिछले साल की तुलना में ज्यादा रही संख्या  
Lucknow News:  उत्तर प्रदेश में राज्य पक्षी सारस की संख्या लगातार बढ़ रही है। राज्य में हर साल दो बार गणना की जाती है। इस साल ग्रीष्मकालीन गणना (20-21 जून 2024) के दौरान कुल 19918 सारस पाए गए, जो पिछले साल की तुलना में 396 ज्यादा हैं। राज्यव्यापी गणना में इटावा वन प्रभाग में सबसे अधिक 3289 सारस दर्ज किए गए। 10 वन प्रभागों में सारस की संख्या 500 से अधिक रही। मऊ वन प्रभाग में 10 सालों में पहली बार छह सारस देखे गए। इस बार की ग्रीष्मकालीन गणना में 10 हजार नागरिकों ने भी हिस्सा लिया।

राज्य पक्षी सारस की संख्या में वृद्धि 
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पशु-पक्षी और पर्यावरण संरक्षण के लिए निरंतर प्रयासरत हैं। 2017 में सत्ता संभालने के बाद से उन्होंने विभिन्न विभागों को इनके संरक्षण पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए। 2021 में सारस की गणना में उनकी संख्या 17329 पाई गई। 2022 में यह संख्या बढ़कर 19188 हो गई। 2023 में यूपी में 19522 सारस मिले, जबकि 2024 में यह संख्या बढ़कर 19918 हो गई। पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष 396 सारस यूपी में बढ़ गए। 2021 से 2024 के बीच प्रदेश में कुल 2589 सारस की वृद्धि हुई है।

इटावा वन प्रभाग में सबसे अधिक सारस
साल 2024 की ग्रीष्मकालीन सारस गणना में इटावा वन प्रभाग में सबसे अधिक 3289 सारस पाए गए हैं। 10 प्रभागों में यह संख्या 500 से ऊपर रही। मैनपुरी में 2945, शाहजहांपुर में 1212, औरैया में 1202, कन्नौज में 786, हरदोई में 735, संतकबीरनगर में 717, कानपुर देहात में 709, गोरखपुर में 675 और सिद्धार्थनगर में 673 सारस दर्ज किए गए।

प्रभागों में सारस की संख्या 500 
27 वन प्रभागों में सारस की संख्या 100 से 500 के बीच पाई गई है। इनमें प्रमुख रूप से रायबरेली में 428, सीतापुर में 427, उन्नाव में 426, बरेली में 348, सोहगीबरवा में 339, लुप्तप्राय 306, बांदा में 261, बाराबंकी में 257, फिरोजाबाद में 239, दक्षिण खीरी में 209, अलीगढ़ और अमेठी में 194-194, बस्ती में 186, गौतमबुद्ध नगर में 171, मथुरा में 166, बिजनौर सामाजिक वानिकी में 143, गोंडा में 142, एटा में 138, सुलतानपुर में 137, बहराइच में 135, फर्रुखाबाद में 134, कानपुर नगर में 133, राष्ट्रीय चंबल सेंच्युरी में 119, बदायूं में 116, फतेहपुर में 103, चित्रकूट और अवध वन प्रभाग में 102-102 सारस पाए गए।

वन प्रभागों में 100 से कम सारस
31 वन प्रभाग ऐसे हैं जहां 100 से कम सारस पाए गए। मऊ में पिछले 10 वर्षों में पहली बार छह सारस देखे गए हैं। श्रावस्ती में 99, कासगंज में 95, पीलीभीत सामाजिक वानिकी में 94, हमीरपुर में 86, सोहेलवा में 81, अंबेडकरनगर में 80, अयोध्या में 78, हाथरस में 75, आगरा में 55, कौशांबी और उत्तर खीरी में 54, प्रतापगढ़ में 53, मेरठ में 51, कुशीनगर में 50, बुलंदशहर में 44, मुरादाबाद में 42, कतर्नियाघाट में 36, देवरिया में 34, ललितपुर में 31, मुजफ्फरनगर में 20, महोबा, प्रयागराज और नजीबाबाद में 18-18, संभल में 12, आजमगढ़ और जौनपुर में 11-11, मऊ और रामपुर में छह-छह, उरई में चार, हापुड़ और पलिया-खीरी में दो-दो सारस पाए गए।

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