लखनऊ में बाघ के फिर दिखे पगचिह्न : वन महकमे ने लखीमपुर खीरी से बुलाए दो हाथी, इस तरह करेंगे ट्रैंकुलाइज

UPT | Forest Department

Jan 02, 2025 18:18

बाघ को पकड़ने के लिए दो मचानों के नीचे पड़वा बांधा जा चुका है। इसके अलावा मीठे नगर खड़ंजा वाले रास्ते पर पिंजरा भी लगाया गया है। इसके बावजूद सफलता नहीं मिलने पर अब टीम को हाथियों के आने से सफलता मिलने की उम्मीद है। इससे पहले साल 2012 में भी रहमानखेड़ा के जंगलों में बाघ नजर आ चुका है।

Lucknow News : शहर के रहमानखेड़ा क्षेत्र में पिछले एक महीने से बाघ वन विभाग की टीम को चकमा दे रहा है। ऐसा नहीं है कि बाघ नजर नहीं आ रहा है, हर दिन उसकी गतिविधियां ट्रैप कैमरों में कैद हो रही हैं। स्थानीय ग्रामीण उसे देख रहे हैं। बीते चौबीस घंटे में बेहता नाले में पानी पीते हुए देखने के बाद गुरुवार को एक बार फिर उसके पगचिह्न नजर आए। लेकिन, बाघ टीम के हाथ नहीं लगा है। वन महकमे की भारी भरकम टीम हर बार किसी न किसी वजह से बाघ को पकड़ने में असफल साबित हो रही है। कानपुर, पीलीभीत और लखनऊ के टाइगर एक्सपर्ट अब तक बाघ की घेराबंदी नहीं कर सके हैं। ऐसे में अब हाथियों के जरिए ही बाघ के पकड़ने की उम्मीद है। इसके लिए लखीमपुर खीरी से दो हाथी बुलाए गए हैं।

रहमानखेड़ा के जंगलों में बाघ की गतिविधियां
रहमानखेड़ा और आसपास के ग्रामीणों में बाघ के अब तक नहीं पकड़े जाने को लेकर नाराजगी भी देखने को मिल रही है। गुरुवार को फिर से बाघ के पगचिह्न मिलने के बाद इलाके में तनाव बढ़ गया। उन्होंने विभाग पर लापरवाही के आरोप लगाए। बाघ की मौजूदगी के प्रमाण रहमानखेड़ा के 40 बीघे में फैले जंगल और उसके आसपास के गांवों में मिले हैं। ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग ने बाघ के शिकार के लिए इलाके में नया मचान बनाकर पास में पड़वा बांध दिया है। लेकिन, दिन और रात के समय बाघ लोहे की जाली के नीचे से निकलकर ग्रामीण क्षेत्रों में घूमता है और सुबह घनी झाड़ियों में लौटकर आराम करता है।



हाथियों का इस्तेमाल करके बाघ को किया जाएगा ट्रैंकुलाइज
वन ​महकमे के अनुसार, बाघ को काबू में लाने के लिए लखीमपुर खीरी से दो हाथी बुलाए गए हैं। इन हाथियों का इस्तेमाल करके बाघ को ट्रैंकुलाइज किया जाएगा। हाथियों की मदद बाघ की घेराबंदी करने में मदद मिलेगी। ये हाथी प्रशिक्षित होते हैं, ऐसे में इन पर बैठकर जंगली क्षेत्र में बेहतर तरीके से दाखिल हुआ जा सकेगा। बताया जा रहा है कि शुक्रवार दोपहर तक हाथी लखनऊ पहुंच जाएंगे। इसके बाद बाघ का कॉम्बिंग ऑपरेशन तेज किया जाएगा।

रेलवे ट्रैक के किनारे बाघ की आवाजाही, खेतों में जंगली जानवर की दहशत
प्रभागीय निदेशक डॉ. सितांशु पांडे ने बताया कि बुधवार सुबह बाघ के पगचिह्न रेलवे लाइन के पास पाए गए। यह ट्रैक बाघ के जंगल से निकलने और वापस लौटने का मार्ग बन चुका है। आसपास के इलाकों के ग्रामीणों को सतर्क किया गया है और वन विभाग की टीमें बचाव अभियान चला रही हैं। इस बीच इटौंजा के सिंघामऊ गांव में एक किसान ने खेत में दूर से किसी जंगली जीव को देखा। यह दृश्य देखकर आसपास मौजूद कुत्ते भी भाग खड़े हुए। हालांकि, मौके पर पहुंची वन विभाग की टीम बाघ के पगचिह्नों की पुष्टि नहीं कर सकी क्योंकि ग्रामीणों की भीड़ ने निशान धूमिल कर दिए थे।

वर्ष 2012 में रहमानखेड़ा में हाथियों की मदद से पकड़ा जा चुका है बाघ
बाघ को पकड़ने के लिए दो मचानों के नीचे पड़वा बांधा जा चुका है। इसके अलावा मीठे नगर खड़ंजा वाले रास्ते पर पिंजरा भी लगाया गया है। इसके बावजूद सफलता नहीं मिलने पर अब टीम को हाथियों के आने से सफलता मिलने की उम्मीद है। इससे पहले साल 2012 में भी रहमानखेड़ा के जंगलों में बाघ नजर आ चुका है। तब बाघ ने करीब तीन महीने तक दहशत मचाई थी। वन विभाग ने हाथियों का सहारा लेकर उसे काबू में किया था। इस बार की स्थिति भी वैसी ही बनी हुई है। इसलिए पुराने तरीके से एक बार फिर बाघ को पकड़ने का प्रयास किया जाएगा।

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