मानव संपदा पोर्टल : लापरवाह कर्मचारी 2023 से नहीं दे रहे संपत्ति का विवरण, अब 31 जनवरी तक आखिरी मौका

UPT | मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

Dec 26, 2024 18:18

प्रदेश के सभी अधिकारियों, कर्मचारियों को सबसे पहले 18 अगस्त 2023 के शासनादेश में मानव संपदा पोर्टल पर अपनी चल और अचल संपत्ति का विवरण 31 दिसंबर 2023 तक अनिवार्य रूप से प्रस्तुत करने को कहा गया। ऐसा नहीं करने पर इसे प्रतिकूल रूप में लेने की चेतावनी दी गई।

Lucknow News : प्रदेश में सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों ने एक के बाद एक कई आदेशों के बाद भी मानव संपदा पोर्टल पर अपनी चल-अचल संपत्ति का विवरण नहीं प्रस्तुत किया है। इसके लिए उनकी पदोन्नति रोकने तक के निर्देश पूर्व में जारी किए जा चुके हैं। इसके बाद भी मानव संपदा पोर्टल पर सभी लोगों ने चल-अचल संपत्ति की जानकारी नहीं दर्ज कराई है। हालत ये है कि इस संबंध में तारीख कई बार बढ़ाए जाने के बाद भी कई अधिकारी व कर्मचारी बेपरवाह बने हुए हैं। इस बार ऐसे लापरवाह कार्मिकों को 31 जनवरी तक 2025 तक मौका दिया गया है। यह कदम राज्य सरकार की ओर से पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए उठाया गया है, जिससे सरकारी कर्मचारियों की संपत्ति का विवरण आसानी से उपलब्ध हो सके।

संपत्ति बताने में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी सबसे आगे, अफसर पीछे
प्रदेश में चतुर्थ श्रेणी कर्मियों ने सबसे अधिक अपनी संपत्ति का ब्योरा दिया है। तृतीय श्रेणी के कर्मचारी से लेकर प्रथम व द्वितीय श्रेणी के अधिकारी उनसे पीछे हैं। उत्तर प्रदेश सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली के तहत प्रदेश के सभी श्रेणियों के 8,55,514 राज्य कर्मियों को अब अपनी चल-अचल संपत्ति का वार्षिक ब्योरा मानव संपदा पोर्टल के माध्यम से देने को कहा गया है। 31 अगस्त 2024 तक के आंकड़ों के अनुसार, प्रथम श्रेणी के कुल 13740 अधिकारियों में 10,719 (78 प्रतिशत) ने ही संपत्ति की जानकारी पोर्टल पर दी। वहीं ​द्वितीय श्रेणी में आने वाले 40,868 कर्मियों में 32,777 (80 प्रतिशत), तृतीय श्रेणी के 5,86,459 कर्मियों में 4,56,669 (78 प्रतिशत) और चतुर्थ के 2,06,896 कर्मियों में 1,67,873 (81 प्रतिशत) ने संपत्ति की डिटेल दी। आंकड़ों के अनुसार प्रदेश के 1,85,215 (22 प्रतिशत) राज्य कर्मियों ने अपनी संपत्ति की जानकारी पोर्टल पर नहीं दर्ज की।

31 दिसंबर 2023 से बढ़ाई जा रही तारीख
प्रदेश के सभी अधिकारियों, कर्मचारियों को सबसे पहले 18 अगस्त 2023 के शासनादेश में मानव संपदा पोर्टल पर अपनी चल और अचल संपत्ति का विवरण 31 दिसंबर 2023 तक अनिवार्य रूप से प्रस्तुत करने को कहा गया। ऐसा नहीं करने पर इसे प्रतिकूल रूप में लेने की चेतावनी दी गई। वहीं 1 जनवरी 2024 के बाद होने वाली विभागीय चयन समिति की बैठकों में ऐसे कार्मिकों की पदोन्नति के मामलों पर तब तक विचार नहीं करने को कहा, जब तक वह अपनी चल-अचल संपत्ति का विवरण पोर्टल पर प्रस्तुत नहीं करते हैं। 



कर्मचारियों ने नहीं दिखाई दिलचस्पी
इसके बाद 6 जून 2024 के शासनादेश में ये समयावधि 30 जून 2024 निर्धारित की गई। इसके बाद मानव संपदा पोर्टल की समीक्षा में पाया गया कि स्पष्ट निर्देशों के बाद भी पोर्टल पर कुल पंजीकृत कार्मिकों के सापेक्ष अपनी संपत्ति का विवरण प्रस्तुत करने वाले कार्मिकों की संख्या नगण्य है। इसके बाद फिर सख्ती की गई। लेकिन, स्थिति में सुधार नहीं हुआ और तारीख बढ़ाई गई।

अब 31 जनवरी 2025 तक प्रस्तुत करना है विवरण 
अब मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने फिर इस संबंध में सभी विभागाध्यक्षों को शासनादेश का सख्ती से पालन कराने को कहा है। उन्होंने हाल में ही जारी अपने आदेश में कहा कि मानव संपदा पोर्टल पर 31 जनवरी 2025 तक चल अचल संपत्ति का विवरण प्रस्तुत नहीं किया जाना प्रतिकूल रूप में लिया जाएगा। इस संबंध में 1 फरवरी 2025 और उसके बाद होने वाली विभागीय चयन समितियों की बैठकों में इसका संज्ञान लिया जाएगा और जिन अधिकारियों व कर्मचारियों ने अपनी चल-अचल सम्पत्ति का विवरण पोर्टल पर प्रस्तुत नहीं किया है, उनकी पदोन्नति के प्रकरण पर विचार नहीं किया जाएगा। मानव संपदा पोर्टल पर वर्ष 2024 की जानकारी एक जनवरी 2025 से अपडेट होने लगेगी।

पूर्व में छूट प्राप्त कर्मचारियों पर भी लागू होंगे नियम
इसके साथ ही ऐसे कार्मिकों के विरुद्ध उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली, 1999 के तहत कार्रवाई की जाएगी। वहीं पूर्व में जिन विभागों और कार्मिकों को पोर्टल पर अपनी चल-अचल सपंत्ति का विवरण प्रस्तुत करने से छूट प्रदान की गयी थी, उन्हें प्रदान की गयी छूट अगले आदेशों तक जारी रहेगी।

संपत्ति विवरण नहीं देने के पीछे भ्रष्टाचार का अंदेश
फिलहाल सभी अधिकारियों व कर्मचारियों को 31 जनवरी 2025 तक अवसर दिया है। कहा जा रहा है कि इसके बाद संपत्ति विवरण को लेकर तारीख नहीं बढ़ाई जाएगी। साथ ही 1 फरवरी के बाद से ही लापरवाह कार्मिकों के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा। बार-बार समय देने के बावजूद संपत्ति विवरण दर्ज नहीं कराने को भ्रष्टाचार से भी जोड़कर देखा जा रहा है। संभवत: इस वजह से अधिकारी व कर्मचारी संपत्ति विवरण देने में कोताही बरत रहे हैं। वहीं पहला शासनादेश जारी के होने के बादे से लेकर अब तक तो कई सेवानिवृत्त भी हो चुके हैं।

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