उपभोक्ता परिषद ने यूपीपीसीएल को दिखाया आईना : 7 उत्पादन इकाइयां 15 जुलाई तक बंद करने पर उठाए सवाल

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Jul 08, 2024 23:33

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा कि राज्य में सात उत्पादन इकाई फिलहाल बंद कर दी गई हैं। गांवों में 18 घंटे रोस्टर के नाम पर बिजली का दावा किया जा रहा है। हकीकत में 10 से 12 घंटे बिजली मिल रही है। बरसात में भी ब्रेकडाउन हो रहे हैं।

Short Highlights
  • बिजली खरीद की पारदर्शी नीति नहीं बनाने पर उठाए सवाल, आकंड़े जारी करने की मांग
    पांच वर्षों तक बिजली दरों में इजाफा करने का औचित्य नहीं
Lucknow News : प्रदेश के गांवों में छह घंटे बिजली कटौती की रोस्टर प्रणाली को लेकर उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने एक बार फिर पावर कारपोरेशन को घेरा है। उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने आंकड़ों का हवाला देते हुए सोमवार को कहा कि यूपी में अब लो डिमांड के चलते 7 उत्पादन इकाइयों को 15 जुलाई तक बंद कर दिया गया है। प्रदेश में मानसून के सक्रिय होने के साथ ही जहां बारिश हो रही है, वहीं इसकी वजह से तापमान में गिरावट दर्ज की गई है। ऐसे में बिजली की मांग में भी कमी दर्ज की गई है। इसके बावजूद ग्रामीण उपभोक्ताओं को राहत नहीं मिल रही है, उनकी बिजली कटौती के रोस्टर में बदलाव को लेकर कदम नहीं उठाए गए हैं।

बरसात में भी ब्रेकडाउन, गांवों में 10 से 12 घंटे ही मिल रही बिजली
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा कि राज्य में सात उत्पादन इकाई फिलहाल बंद कर दी गई हैं। गांवों में 18 घंटे रोस्टर के नाम पर बिजली का दावा किया जा रहा है। हकीकत में 10 से 12 घंटे बिजली मिल रही है। बरसात में भी ब्रेकडाउन हो रहे हैं। ऐसे में प्रदेश में फुल कास्ट टैरिफ लागू है, फिर भी पावर कॉरपोरेशन चुपचाप तमाशा देख रहा है। इसके साथ ही इस प्रकरण में प्रदेश के ऊर्जा मंत्री एके शर्मा भी चुप हैं। 

मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की मांग
उपभोक्ता परिषद ने उपभोक्ताओं के हित में इस गंभीर प्रकरण में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से हस्तक्षेप की मांग की है। संगठन ने कहा है कि प्रदेश में सात उत्पादन इकाई बंद हैं और गांव में बिजली नहीं मिल रही है। ये प्रदेश का दुर्भाग्य है कि ग्रामीण आबादी बिजली के लिए तरस रही है और कॉरपोरेशन उत्पादन इकाई इसलिए बंद कर रहा है, क्योंकि उसकी दलील है कि बिजली की जरूरत नहीं है, फिलहाल डिमांड कम है।

केस्को के घाटे की रिपोर्ट मानने से इनकार
इसके साथ ही कानपुर की बिजली दर की सुनवाई में उपभोक्ता परिषद ने केस्को की वित्तीय वर्ष 2024 25 की रिपोर्ट पर सवाल उठाए और इसे मानने से इनकार कर दिया। इसमें केस्को ने 406 करोड़ का घाटा दिखाया है। उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा कि संगठन के सवालों के सामने बिजली कंपनियों ने चुप्पी साध ली। उपभोक्ता परिषद ने बिजली कंपनियों और यूपीपीसीएल की कलई खोल दी। एक तरफ अभियंता भ्रष्टाचार में लिप्त हैं, ब्यूरोक्रेट अपना काम जिम्मेदारी से निभा रहे हैं, इसका खामियाजा उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ रहा है।

महंगी दर पर बेची जाती है सरप्लस बिजली 
उपभोक्ता परिषद ने पावर कारपोरेशन की बिजली खरीद पर सवाल खड़े किए। अवधेश वर्मा ने कहा कि जब खुद पावर कारपोरेशन दूसरे राज्यों से बिजली खरीदना है, तो वह महंगी दर पर अपनी सरप्लस बिजली बेचता है। वहीं उपभोक्ताओं को बिजली देने पर उसका रवैया दूसरा होता है। ऐसे में इस पूरे मामले की हो सीबीआई जांच होनी चाहिए। बिजली खरीद की कोई पारदर्शी नीति आज तक क्यों नहीं बनाई गई है, इसके आकंड़े जारी किए जाएं।

संविदाकर्मियों पर ध्यान देने की दरकार
उपभोक्ता परिषद ने दलील दी कि अगले पांच वर्षों तक बिजली दरों में इजाफा करने का कोई औचित्य नहीं है, क्योंकि प्रदेश के उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर 33122 करोड़ सरप्लस निकल रहा है। ऐसे में शहर से लेकर गांव तक सभी उपभोक्ताओं को 24 घंटे बिजली मिलनी चाहिए। उपभोक्ता परिषद ने कहा कि कारपोरेशन की सभी कंपनियों में कुल नियमित कार्मिक 31000 हैं। वहीं संविदाकर्मियों की संख्चया 85 हजार है। केवल नियमित कार्मिकों का वेतन बढ़ाकर खर्च बढ़ाने की बात होती है, जबकि संविदा कर्मी महज 10 से 11000 वेतन पर कर रहे काम कर रहे हैं। इस पर भी ध्यान देना बेहद जरूरी है। उपभोक्ताओं को बेहतर विद्युत आपूर्ति कराने में इनका भी अहम योगदान है।

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