UPPCL : पुरानी तकनीक वाले 12 लाख स्मार्ट मीटर अब तक नहीं अपग्रेड, अब 5जी के दौर में 4जी मीटर का खामियाजा भुगतेंगे उपभोक्ता

UPT | Smart Prepaid Meter

Nov 19, 2024 16:29

उपभोक्ता परिषद ने यह भी सवाल उठाया कि ग्रामीण उपभोक्ताओं को 24 घंटे बिजली क्यों नहीं दी जा रही है, जबकि कंज्यूमर राइट रूल 2020 उन्हें यह अधिकार देता है। वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्रों में केवल 18 घंटे बिजली दी जा रही है और आठ उत्पादन इकाइयों को बंद रखा गया है। इन उत्पादन इकाइयों के फिक्स्ड कॉस्ट की भरपाई अंततः उपभोक्ताओं को करनी पड़ेगी।

Lucknow News : प्रदेश में लगभग 3.45 करोड़ विद्युत उपभोक्ताओं के घरों में स्मार्ट प्रीपेड मीटर अनिवार्य रूप से लगाए जा रहे हैं। यह कदम बिजली आपूर्ति और बिलिंग प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के लिए लिया गया है, लेकिन इससे जुड़े कई संवैधानिक और तकनीकी मुद्दे उठाए जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार और सदस्य संजय कुमार सिंह से मंगलवार को मुलाकात कर इस पर एक जनहित प्रस्ताव सौंपा है।

स्मार्ट मीटर लगाने की अनिवार्यता पर कानूनी प्रश्न
अवधेश वर्मा ने सवाल उठाया कि विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 47(5) के अनुसार उपभोक्ता के पास स्मार्ट प्रीपेड मीटर या पोस्टपेड मीटर चुनने का अधिकार है। ऐसे में नियम बनाकर सभी घरों में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने की अनिवार्यता को कैसे लागू किया जा सकता है? यह आदेश संवैधानिक रूप से विवादास्पद है, क्योंकि कोई भी रूल विद्युत अधिनियम 2003 को सुपरसीड नहीं कर सकता।



अन्य राज्यों में स्मार्ट मीटर का विरोध
उपभोक्ता परिषद ने कहा कि देश के कई राज्यों जैसे महाराष्ट्र और बिहार में उपभोक्ताओं के विरोध के बाद स्मार्ट मीटर लगाने की प्रक्रिया रोक दी गई है। यहां तक कि इन मामलों में उच्च न्यायालयों में जनहित याचिकाएं लंबित हैं। वर्मा ने विद्युत नियामक आयोग से इस मामले में हस्तक्षेप करने और उपभोक्ताओं को उनके संवैधानिक अधिकार दिलाने की अपील की है।

ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की आपूर्ति का संकट
उपभोक्ता परिषद ने यह भी सवाल उठाया कि ग्रामीण उपभोक्ताओं को 24 घंटे बिजली क्यों नहीं दी जा रही है, जबकि कंज्यूमर राइट रूल 2020 उन्हें यह अधिकार देता है। वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्रों में केवल 18 घंटे बिजली दी जा रही है और आठ उत्पादन इकाइयों को बंद रखा गया है। इन उत्पादन इकाइयों के फिक्स्ड कॉस्ट की भरपाई अंततः उपभोक्ताओं को करनी पड़ेगी। परिषद ने आयोग से ग्रामीण जनता को 24 घंटे बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने की अपील की है।

पुरानी तकनीकी वाले मीटरों की समस्या
प्रदेश में पहले से लगाए गए लगभग 12 लाख स्मार्ट मीटर 2जी और 3जी तकनीक पर आधारित हैं, जिनमें अपग्रेडेशन नहीं हुआ है। इससे प्रदेश की जनता को नुकसान हो रहा है। उपभोक्ता परिषद ने यह सवाल भी उठाया कि क्या वर्तमान में लगाए जा रहे 4जी तकनीकी मीटरों को भविष्य में 5जी या उच्च तकनीकी में मुफ्त में अपग्रेड किया जाएगा। इस पर बिजली कंपनियों की चुप्पी सवालों के घेरे में है।

तकनीकी अपग्रेडेशन की आवश्यकता
उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने पहले यह तय किया था कि मीटर निर्माता कंपनियों को तकनीकी अपग्रेड करना होगा, लेकिन इस निर्देश का पालन नहीं हो रहा है। वर्तमान में सभी नए स्मार्ट प्रीपेड मीटर 4जी तकनीक के हैं, जबकि 5जी तकनीक पहले ही लॉन्च हो चुकी है। ऐसे में भविष्य में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या कंपनियां मुफ्त में अपग्रेडेशन करेंगी।

उपभोक्ताओं के लिए भविष्य के सवाल
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा कि बिजली उपभोक्ताओं के लिए यह समझना जरूरी है कि भविष्य में उन्हें किन तकनीकी और आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। सरकार और बिजली कंपनियों को उपभोक्ताओं के अधिकारों और उनकी सुरक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए।

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