UPPCL : पीपीपी मॉडल छोड़कर हाई लेवल टेक्निकल टीम गठित करने की मांग, एक्शन प्लान के आधार पर कंपनियों को बनाएं आत्मनिर्भर

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Dec 30, 2024 18:24

प्रदेश के 42 जनपदों को लेकर जिस प्रकार से पीपीपी मॉडल के तहत निजीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया गया, वह पूरी तरह असंवैधानिक है। ये नियमों के विपरीत और वित्तीय खामियों से भरा हुआ प्रस्ताव है, जिससे आने वाले समय में देश व प्रदेश के निजी घरानों को लाभ होगा।

Lucknow News : प्रदेश में दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (DVVNL) और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (PuVVNL) के निजीकरण के​ निर्णय के खिलाफ ऊर्जा संगठन लगातार अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं। उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) प्रबंधन एक महीने बाद भी अभियंता और कर्मचारी संगठनों को इस फैसले के लिए तैयार नहीं कर पाया है और न ही उसकी ओर अभी तक सामने आए तमाम सवालों और शंकाओं पर कोई जवाब दिया गया है। ऐसे में विरोध दिन प्रतिदिन गहराता जा रहा है। इस बीच उपभोक्ता परिषद ने एक उच्च स्तरीय तकनीकी टीम गठित करने की मांग की है, जिसकी तैयार कार्य योजना के आधार पर ही पीपीपी मॉडल से हटकर बिजली कंपनियों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम किया जाए।

अभियंता और कर्मचारी संगठनों के उठाए सवालों को पर यूपीपीसीएल प्रबंधन खामोश
उपभोक्ता परिषद ने सोमवार को कहा कि पीपीपी मॉडल को लेकर अभियंताओं व किसानों में आक्रोश व्याप्त है। पावर कारपोरेशन के जिस प्रस्ताव को एनर्जी टास्क फोर्स की बैठक में मंजूरी दी गई, ये साफ हो चुका है कि उसमें तमाम तकनीकी और विधि खामी हैं। इसके बाद भी अधिकारियों ने इस मामले में चुप्पी साध रखी है। ऐसे में प्रदेश सरकार और पावर कारपोरेशन प्रबंधन को नए वर्ष 2025 में आगे आकर स्वयं मान लेना चाहिए कि उसने बेहद जल्दबाजी में निजीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया। इसी वजह से उसमें बड़े पैमाने पर कमियां सामने आई।



एनर्जी टास्क फोर्स से पारित प्रस्ताव में विद्युत अधिनियम 2003 का उल्लंघन
विद्युत अधिनियम 2003 के प्रावधानित नियमों का इसमें पालन नहीं किया जा सका और वित्तीय खमियां भी सामने आईं, जिसकी वजह से कहीं-कहीं ये उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने वाली हैं।  इसलिए अब बिजली कंपनियों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कानून और नियमों की परिधि में रहकर पीपीपी मॉडल से अलग आगे की कार्रवाई की जाएगी, जिसे प्रदेश में आंदोलनरत अभियंता और कार्मिक नियमित रूप से पूरे मनोबल के साथ उपभोक्ता हित में अपना काम कर सकें।

उपभोक्ता नहीं​ निजी घरानों का होगा लाभ
संगठन के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि प्रदेश के 42 जनपदों को लेकर जिस प्रकार से पीपीपी मॉडल के तहत निजीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया गया, वह पूरी तरह असंवैधानिक है। ये नियमों के विपरीत और वित्तीय खामियों से भरा हुआ प्रस्ताव है, जिससे आने वाले समय में देश व प्रदेश के निजी घरानों को लाभ होगा। उन्होंने कहा कि वहीं उपभोक्ता परिषद प्रदेश सरकार का इस बात के लिए शुक्रगुजार है कि जल्दबाजी में जिस प्रस्ताव को आगे बढ़ाया गया, उस पर निर्णय नहीं किया गया। अन्यथा इस पर कार्रवाई होने से उपभोक्ताओं को लालटेन युग में जाने से कोई नहीं रोक सकता था।

व्यापक सुधार की दरकार, अभियंता और कर्मचारी संगठन पीछे हटने को नहीं तैयार
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा कि 1959 में बने राज्य विद्युत परिषद और 2003 में बनी बिजली कंपनियों में निश्चित तौर पर व्यापक सुधार की आवश्यकता है। लेकिन, उसके लिए एक तकनीकी उच्च स्तरीय टीम का गठन करना चाहिए, जो सभी पहलुओं पर अध्ययन करने के बाद एक व्यापक कार्य योजना बताएं। इसके आधार पर ही बिजली कंपनियों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में ईमानदारी से प्रयास हो। इस बीच मामले में यूपीपीसीएल मैनेजमेंट से बात नहीं बनने पर नए साल के पहले दिन अभियंता और सभी कर्मचारी काली पट्टी बांधकर काम करेंगे। वहीं उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ ने कहा कि निजीकरण के विरोध में आंदोलन को लगातार तेज किया जा रहा है। इसके अलाव बिजली पंचायतों का सिलसिला जारी है। विद्युत अभियंताओं, कर्मचारियों व संविदा कर्मचारियों के साथ आम उपभोक्ताओं और किसान इस फैसले के विरोध में हैं। करो या मरो का संकल्प के साथ बिजली का निजीकरण किसी भी कीमत पर नहीं होने दिया जाएगा। निजीकरण होने से पूर्वांचल और बुंदेलखंड की गरीब जनता की पहुंच से बिजली बाहर हो जाएगी।

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