वरुण गांधी का टिकट नहीं कटा : रायबरेली या अमेठी से लड़ेंगे चुनाव, क्या 40 साल बाद फिर होगी 'गांधी बनाम गांधी' की जंग

UPT | राहुल गांधी, वरुण गांधी, प्रियंका गांधी

Mar 26, 2024 19:51

मेनका गांधी और वरुण गांधी की पहली पसंद अमेठी संसदीय क्षेत्र है। दरअसल, मेनका गांधी के पति और वरुण गांधी के पिता संजय गांधी अमेठी से सांसद रह चुके हैं। वह अमेठी से 1980 में चुनाव जीते थे लेकिन...

Short Highlights
  • 2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को पराजित कर दिया था।
  • वरुण गांधी के स्थान पर उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री जितिन प्रसाद को पीलीभीत से उम्मीदवार बनाया गया है।
Lok Sabha Election 2024 : लोकसभा चुनाव और उत्तर प्रदेश की राजनीति से जुड़ी बड़ी खबर है। भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janata Party) की लिस्ट में अब तक पीलीभीत के सांसद वरुण गांधी (Varun Gandhi) का नाम नहीं आया है। कयास लगाए जा रहे हैं कि भाजपा ने वरुण गांधी का टिकट काट दिया है, लेकिन यह महज क़यास है। ताज़ा जानकारी के मुताबिक, भारतीय जनता पार्टी वरुण गांधी को लोकसभा चुनाव लड़वाएगी। उनके लिए दो लोक सभासीट रिजर्व रखी गई। हैं। वरुण गांधी अमेठी या रायबरेली लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतरेंगे। भारतीय जनता पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, वरुण गांधी अमेठी से चुनाव लड़ना चाहते हैं। उनकी मां मेनका गांधी भी इसके पक्ष में हैं। दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी का शीर्ष नेतृत्व वरुण गांधी को रायबरेली से चुनाव लड़वाना चाहता है। इसी पर मंथन चल रहा है। अगले तीन-चार दिनों में स्थिति साफ हो जाएगी।

संजय गांधी की सीट रही है अमेठी
मेनका गांधी और वरुण गांधी की पहली पसंद अमेठी संसदीय क्षेत्र है। दरअसल, मेनका गांधी के पति और वरुण गांधी के पिता संजय गांधी अमेठी से सांसद रह चुके हैं। वह अमेठी से 1980 में चुनाव जीते थे लेकिन दुर्भाग्यवश बमुश्किल एक साल बाद विमान हादसे में उनकी मौत हो गई थी। यही वजह थी कि मेनका गांधी ने 1984 का चुनाव विश्वनाथ प्रताप सिंह के समर्थन से अमेठी से लड़ा था। तब मेनका गांधी ने अपने जेठ राजीव गांधी के खिलाफ थी। गांधी बनाम गांधी की वह लड़ाई सुर्ख़ियों में रही थी। मेनका गांधी को बड़े अंतर से उस चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। हार के बाद मेनका गांधी ने पीलीभीत को अपना कर्म क्षेत्र बना लिया था। तब से अमेठी सीट पर राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी सांसद बनते आए हैं।

पिछले चुनाव में अमेठी हारे राहुल
आपको बता दें कि पिछले यानी 2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को पराजित कर दिया था। स्मृति ईरानी एक बार फिर चुनाव मैदान में हैं। भाजपा ने पहली ही सूची में उनका टिकट घोषित कर दिया है। पिछले सप्ताह भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवारों की नई लिस्ट आई। जिसमें सुल्तानपुर से मेनका गांधी को उम्मीदवार बनाया गया है, लेकिन वरुण गांधी को पीलीभीत से टिकट नहीं दिया गया है। वरुण गांधी के स्थान पर उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री जितिन प्रसाद को पीलीभीत से उम्मीदवार बनाया गया है। लिस्ट आने के बाद नेशनल मीडिया ने लिखा कि भाजपा ने वरुण गांधी का टिकट काट दिया है। 

स्वभाव के विपरीत मौन हैं वरुण
भारतीय जनता पार्टी के इस फैसले पर अब तक वरुण गांधी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। यह उनके स्वभाव के विपरीत है। अब भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों के हवाले से जानकारी मिली है कि मेनका गांधी, वरुण गांधी और भाजपा की टॉप लीडरशिप यह तय कर चुकी है कि वरुण इस बार अमेठी यार रायबरेली से चुनाव लड़ेंगे। अब बस यह फ़ैसला होना बाक़ी है कि वरुण गांधी इन दोनों लोकसभा क्षेत्रों में से कहां चुनाव लड़ने जाएंगे। मेनका गांधी की तरह वरुण गांधी की भी पहली पसंद अमेठी संसदीय क्षेत्र है।

चालीस साल बाद दोहराएगा इतिहास?
रायबरेली की बजाय अमेठी से चुनाव लड़ने के दो निहितार्थ हैं। कांग्रेस की ओर से संभावना ज़ाहिर की जा रही है कि प्रियंका गांधी रायबरेली से चुनाव लड़ सकती हैं। दरअसल, सोनिया गांधी ने रायबरेली से चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान किया और वह राजस्थान से राज्यसभा में पहुंच चुकी हैं। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि प्रियंका गांधी अपनी मां की सीट पर चुनाव लड़ने जा सकती हैं। यह भी संभावना है कि राहुल गांधी रायबरेली से चुनाव लड़ें। ऐसे में अगर वरुण गांधी रायबरेली चुनाव लड़ने गए तो गांधी ख़ानदान के वारिस आमने-सामने हो जाएंगे। चालीस साल बाद इतिहास खुद को दोहराएगा।

पीछे हटेंगे राहुल और प्रियंका गांधी?
मिल रही जानकारी के मुताबिक, भारतीय जनता पार्टी का शीर्ष नेतृत्व चाहता है कि वरुण गांधी, प्रियंका या राहुल गांधी के सामने चुनाव लड़ें। जबकि वरुण गांधी ऐसा करने से परहेज बरतना चाहते हैं। यही वजह है कि वह अपने पिता की सीट अमेठी से चुनाव लड़ना चाहते हैं। हालांकि, यह बात तय है कि अगर भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने वरुण गांधी को रायबरेली से चुनाव लड़ने के लिए भेजा तो वह पीछे नहीं हटेंगे। इन परिस्थितियों में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी रायबरेली से पीछे हट सकते हैं। यही भाजपा की रणनीति है। इसी कारण कांग्रेस ने अब तक अमेठी और रायबरेली से अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है।

अधीर रंजन के ऑफर का क्या मतलब?
दूसरी तरफ विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने वरुण गांधी को ऑफर दिया है। अधीर रंजन चौधरी ने सोमवार को बयान दिया कि वरुण गांधी को कांग्रेस में आना चाहिए। उन्हें कांग्रेस से चुनाव लड़ना चाहिए। जानकारों का कहना है कि अधीर रंजन चौधरी का यह बयान पोलिटिकल है। दरअसल, कांग्रेस वरुण और मेनका गांधी के मन की टोह लेना चाहती है। पीलीभीत से टिकट घोषित होने के बाद वरुण और मेनका गांधी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। जबकि, मीडिया में लगातार खबर छप रही हैं कि भाजपा ने वरुण गांधी का टिकट काट दिया है।

क्या कहते हैं जानकार
रायबरेली में करीब चार दशक से पत्रकारिता कर रहे वरिष्ठ पत्रकार गौरव अवस्थी कहते हैं, "वरुण गांधी हाइप्रोफ़ाइल, फ़ायर ब्रांड और युवा नेता हैं। भारतीय जनता पार्टी उनका टिकट नहीं काट सकती है। अब तक लिस्ट में उनका नाम नहीं आने की बड़ी रणनीतिक वजह है। पिछले दो-तीन दिनों से यह सुगबुगाहट चल रही है कि वरुण गांधी रायबरेली से चुनाव लड़ सकते हैं। इस पर भारतीय जनता पार्टी की टॉप लीडरशिप विचार कर रही है। मुझे लगता है कि फैसला हो चुका है। विचार करने जैसी कोई बात बाकी नहीं है। इसी कारण पीलीभीत से वरुण गांधी का नाम रिपीट नहीं किया गया है। दूसरी तरफ रायबरेली सीट पर कांग्रेस की ओर से उम्मीदवार की घोषणा नहीं होना भी कोई आश्चर्य की बात नहीं है। दरअसल, कांग्रेस ने जब-जब रायबरेली से उम्मीदवार बदले हैं, तब-तब नामांकन से ठीक पहले नए नाम घोषित किए गए हैं। जब सोनिया गांधी पहली बार साल 2004 का चुनाव लड़ने रायबरेली आई थीं तो नामांकन से तीन दिन पहले उन्हें उम्मीदवार घोषित किया गया था। उससे पहले सोनिया गांधी अमेठी की सांसद थीं। राहुल गांधी को 2004 के चुनाव में अमेठी से मैदान में उतारा गया और सोनिया गांधी रायबरेली आ गई थीं।" गौरव अवस्थी आगे कहते हैं, "मुझे लगता है कि नामांकन से ठीक पहले कांग्रेस अपने पत्ते खोलेगी। एक संभावना जताई जा रही है कि राहुल गांधी रायबरेली से चुनाव लड़ने आ सकते हैं। प्रियंका गांधी अमेठी चुनाव लड़ने जा सकती हैं। ऐसे में स्मृति ईरानी के लिए अमेठी में स्थिति सामान्य नहीं रह जाएगी। उस वक़्त भारतीय जनता पार्टी अपना दांव चलेगी। अमेठी से स्मृति ईरानी को रायबरेली राहुल गांधी के सामने चुनाव लड़ने के लिए भेजा जा सकता है। जबकि, अमेठी से प्रियंका गांधी के सामने वरुण गांधी को मैदान में उतारा जाएगा। भाजपा मानती है कि स्मृति ईरानी के जरिए राहुल गांधी पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाया जा सकता है। दूसरी तरफ, प्रियंका गांधी के मुकाबले वरुण गांधी भी मजबूत उम्मीदवार रहेंगे।"

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