Lucknow News : लखनऊ में शुरू हुआ पुरुष नसबंदी पखवाड़ा

UPT | मुख्य चिकित्सा अधिकारी पुरुष नसबंदी से संबंधित कार्यशाला में मौजूद

Nov 21, 2024 18:33

मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि परिवार नियोजन में महिलाओं की भागीदारी जितनी जरूरी है उतनी ही पुरुषों की भी। इसी को लेकर इस वर्ष यह पखवाड़ा मनाया जा रहा है। समुदाय को इस बात के लिए जागरूक करना जरूरी है कि परिवार नियोजन केवल अकेले महिला की जिम्मेदारी नहीं है।

Lucknow News : परिवार कल्याण कार्यक्रम में पुरुषों की सहभागिता को लेकर गुरुवार से पुरुष नसबंदी पखवाड़ा शुरू हुआ, जो कि चार दिसंबर तक चलेगा। इस मौके पर आयोजित कार्यशाला में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एन.बी.सिंह ने बताया कि इस साल यह पखवाड़ा- आज ही शुरुआत करें, पति-पत्नी मिलकर परिवार नियोजन की बात करें' की थीम के साथ मनाया जा रहा है।

पुरुषों को किया जाएगा जागरूक
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि परिवार नियोजन में महिलाओं की भागीदारी जितनी जरूरी है उतनी ही पुरुषों की भी। इसी को लेकर इस वर्ष यह पखवाड़ा मनाया जा रहा है। समुदाय को इस बात के लिए जागरूक करना जरूरी है कि परिवार नियोजन केवल अकेले महिला की जिम्मेदारी नहीं है। इसमें पति पत्नी दोनों को साथ लेकर निर्णय करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पुरुषों को अपनी जिम्मेदारी समझते हुए नसबंदी अपनानी चाहिए क्योंकि यह प्रक्रिया महिला नसबंदी के मुकाबले ज्यादा आसान है। इसको लेकर जो भी भ्रांतियां हैं स्वास्थ्य कार्यकर्ता पखवाड़े के दौरान इसको दूर करने का प्रयास करें और उन्हें इसे अपनाने के लिए प्रेरित करें ।



पुरुषों के बीच नसबंदी को लेकर फैली भ्रांतियां की जाएंगी दूर
परिवार कल्याण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. बी.एन. यादव ने बताया कि पुरुष नसबंदी को लेकर कई भ्रांतियां हैं जिन पर समुदाय को जागरूक करना बहुत जरूरी है। यह भ्रांतियां हैं पुरुष ठंड में ही नसबंदी कराएं किसी और मौसम में करवाने से संक्रमण का खतरा रहता है जबकि मौसम को लेकर इसका कोई संबंध नहीं है। नसबंदी अपनाने से पुरुष शारीरिक रूप से कमजोर हो जाते हैं जबकि ऐसा नहीं है। न तो पुरुष में कोई शारीरिक कमजोरी आती है। इसके साथ ही उसकी यौन क्षमता में भी कोई प्रभाव नहीं पड़ता है और वह वैवाहिक सुख का पूरा आनंद ले सकता है। यह बहुत ही आसान प्रक्रिया है। 

तीन माह बाद ही प्रभावशाली होती है पुरुष नसबंदी 
उन्होंने बताया कि पुरुष नसबंदी बिना चीरा टांका वाली एक आसान प्रक्रिया है, जिसमें पुरुष की शुक्रवाहिनी नलिका को काट कर बांध दिया जाता है, निकाला नहीं जाता है। जिससे शुक्राणु वीर्य में नहीं मिल पाते और महिला को गर्भ नहीं ठहरता। यह पूरी तरह से सुरक्षित है। यह तीन माह बाद ही प्रभावशाली होती है उससे पहले नहीं, क्योंकि शुक्रवाहिनी नलिका में पहले से मौजूद शुक्राणु को वीर्य के साथ बाहर आने में कम से कम तीन माह का समय लगता है। 

पखवाड़ा दो चरणों में आयोजित 
इस पखवाड़ा का आयोजन दो चरणों में 21 से 27 नवंबर तक मोबिलाइजेशन पखवाड़ा और 28 से 4 दिसंबर तक सेवा प्रदायगी पखवाड़ा का आयोजन होगा। मोबिलाइजेशन पखवाड़ा में जागरूकता गतिविधियां और सेवा प्रदायगी पखवाड़ा में इच्छुक लाभार्थियों को नसबंदी की सेवा नियत सेवा दिवस के माध्यम से दी जाएगी। इस मौके पर अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. मंसूर सिद्दीकी, जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी योगेश रघुवंशी, जिला कार्यक्रम प्रबंधक सतीश यादव, डीसीपीएम विष्णु यादव, सभी ग्रामीण एवं शहरी सीएचसी के अधीक्षक, सभी स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी, ब्लॉक प्रोग्राम मैनेजर, बीसी पी एम मौजूद रहे।

Also Read