वसीम रिजवी ने फिर बदला नाम : अब ठाकुर जितेंद्र नारायण सिंह सेंगर के रूप में जाने जाएंगे, दूसरी बार किया नाम परिवर्तन

UPT | वसीम रिजवी

Nov 01, 2024 10:18

पूर्व शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी अक्सर अपने विवादास्पद बयानों और सामाजिक मुद्दों पर बोलने के लिए चर्चा में रहते हैं। वसीम रिजवी ने एक बार फिर से अपना नाम बदलने का फैसला किया...

Lucknow News : पूर्व शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी अक्सर अपने विवादास्पद बयानों और सामाजिक मुद्दों पर बोलने के लिए चर्चा में रहते हैं। वसीम रिजवी ने एक बार फिर से अपना नाम बदलने का फैसला किया है। 2021 में इस्लाम धर्म त्यागकर हिंदू धर्म अपनाने के बाद उन्होंने अपना नाम ‘जितेंद्र नारायण त्यागी’ रखा था। लेकिन अब उन्होंने अपने नाम में एक नया बदलाव करते हुए खुद को ‘ठाकुर जितेंद्र नारायण सिंह सेंगर’ के नाम से पहचान देने का ऐलान किया है।

जितेंद्र नारायण सिंह सेंगर के रूप में जाने जाएंगे वसीम रिजवी 
मीड़िया रिपोर्ट के अनुसार वसीम रिजवी ने अपने नए नाम को लेकर खुलासा किया कि उन्हें पूर्व में रखा गया नाम विशेष नहीं महसूस करवा पा रहा था। उनके अनुसार, ‘ठाकुर जितेंद्र नारायण सिंह सेंगर’ के रूप में पहचान बनाने का निर्णय उनकी आंतरिक भावना और नई पहचान की चाह का प्रतीक है। रिजवी का मानना है कि नाम में बदलाव से उन्हें सामाजिक और सांस्कृतिक आधार पर एक नई पहचान मिलेगी। जो उन्हें अपनी सोच के अनुरूप सटीक दर्शाएगी।

सोशल मीडिया पर बना चर्चा का केंद्र
वसीम रिजवी द्वारा अपने नाम बदलने की खबर ने सोशल मीडिया पर भी लोगों का खासा ध्यान आकर्षित किया है। उनके बार-बार नाम बदलने को लेकर लोग विभिन्न प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। कुछ इसे उनकी व्यक्तिगत पसंद और पहचान का हिस्सा बता रहे हैं, जबकि अन्य इसे उनकी धार्मिक और सामाजिक विचारधारा के प्रभाव से जोड़कर देख रहे हैं। सोशल मीडिया पर यह बहस चल पड़ी है कि आखिर वसीम रिजवी क्यों लगातार अपनी पहचान में बदलाव कर रहे हैं और इसके पीछे उनका असली मकसद क्या है।

2021 में इस्लाम धर्म छोड़कर हिंदू धर्म में प्रवेश
वसीम रिजवी ने 2021 में इस्लाम धर्म छोड़कर हिंदू धर्म को अपनाया था। इस धार्मिक बदलाव के साथ ही उन्होंने अपना नाम बदलकर ‘जितेंद्र नारायण त्यागी’ रखा था। हिंदू धर्म में शामिल होने के बाद से ही वसीम रिजवी ने इस्लामिक धार्मिक नेताओं और कट्टरपंथी विचारधाराओं के खिलाफ खुलेआम बयान देना शुरू किया। जिससे उनकी छवि और धार्मिक निष्ठा को लेकर समाज में अनेक बहसें छिड़ गईं। इससे पहले भी उन्होंने विभिन्न धार्मिक मुद्दों पर विवादास्पद टिप्पणियां की थीं, जिसके चलते कई बार उनका विरोध भी हुआ है।

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