महिला आयोग की पहल : यूपी में महिला बंदी जेल में पति की मौजूदगी में मना सकेंगी करवा चौथ

UPT | करवा चौथ

Oct 19, 2024 10:44

महिला बंदियों के साथ ही पात्र पुरुष बंदियों की पत्नियों को भी कारागार में बुलाकर करवा चौथ का व्रत संपन्न कराने की अनुमति दी गई है। इस पहल से बंदियों को उनके परिवारों के साथ इस महत्वपूर्ण पर्व को मनाने का अवसर मिलेगा।

Lucknow News : प्रदेश की जेलों में बंद महिला बंदियों के लिए इस करवा चौथ पर एक खास खुशखबरी आई है। महिला कैदियों को अब जेल में रहते हुए भी करवा चौथ का पर्व पारंपरिक तरीके से मनाने की अनुमति दी गई है। राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. बबिता सिंह चौहान ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि महिला बंदी गृहों में बंद बंदियों को त्योहार मनाने की सभी आवश्यक सुविधाएं प्रदान की जाएं।

पुरुष कैदियों की पत्नियों को भी मिलेगी छूट
महिला बंदियों के साथ ही पात्र पुरुष बंदियों की पत्नियों को भी कारागार में बुलाकर करवा चौथ का व्रत संपन्न कराने की अनुमति दी गई है। इस पहल से बंदियों को उनके परिवारों के साथ इस महत्वपूर्ण पर्व को मनाने का अवसर मिलेगा। डॉ. बबिता चौहान ने इस संबंध में सभी जिलाधिकारियों से संबंधित अधिकारियों को निर्देश देने के लिए कहा है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बंदी इस पर्व को शांति और सौहार्द्रपूर्ण तरीके से मना सकें।



पूर्व में भी दिए गए थे निर्देश
डॉ. चौहान ने पहले भी जेलों में महिला बंदियों के लिए त्योहारों और व्रतों से संबंधित आवश्यकताओं को पूरा करने के निर्देश दिए थे। नवरात्रि के दौरान व्रत रखने वाली महिला कैदियों के लिए फलाहार की व्यवस्था सुनिश्चित करने के भी निर्देश जारी किए गए थे। महिला आयोग की इस पहल का उद्देश्य महिला कैदियों को मानसिक शांति और सांस्कृतिक जुड़ाव का अनुभव कराना है।

महिला आयोग की संवेदनशील पहल
इस प्रकार की पहल के जरिए ये संदेश देने की कोशिश की गई है कि जेल में बंद बंदियों की भलाई और उनके अधिकारों का सम्मान बेहद महत्वपूर्ण है। करवा चौथ महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण पर्व है। इसे जेल में इस तरह मनाने की अनुमति से महिला बंदियों को अपने सांस्कृतिक और धार्मिक रीति-रिवाजों से जुड़े रहने का अवसर मिलेगा।

कैदियों के लिए सकारात्मक माहौल
इस कदम से जेलों में बंद महिला बंदियों के मनोबल को ऊंचा उठाने और उनके मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। यह पहल न केवल बंदियों के अधिकारों की सुरक्षा प्रदान करने में सहायक होगी, बल्कि पर्व के दौरान उन्हें समाज और अपने परिवार से जुड़े रहने का भी अवसर प्रदान करेगी। जेल प्रशासन के सहयोग से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कैदियों को पूजा संबंधी सभी आवश्यक सामग्री उपलब्ध कराई जाए।
 

Also Read