शारदीय नवरात्रि में संत, कार्यकर्ता और सनातन ध्वजवाहक के रूप में योगी : गोरक्षपीठाधीश्वर ने दोनों भूमिकाएं बखूबी निभाईं

UPT | मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ।

Oct 12, 2024 20:29

शारदीय नवरात्रि के अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का विभिन्न रूप देखने को मिला। गोरक्षपीठाधीश्वर के रूप में धार्मिक अनुष्ठानों में लीन योगी, एक संत की भूमिका निभाते हुए, वहीं एक भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता और प्रदेश के मुखिया के रूप में भी वह सक्रिय दिखाई दिए।

Lucknow News : शारदीय नवरात्रि के अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का विभिन्न रूप देखने को मिला। गोरक्षपीठाधीश्वर के रूप में धार्मिक अनुष्ठानों में लीन योगी, एक संत की भूमिका निभाते हुए, वहीं एक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कार्यकर्ता और प्रदेश के मुखिया के रूप में भी वह सक्रिय दिखाई दिए। नवरात्रि की पहली तिथि से लेकर विजयादशमी तक, योगी आदित्यनाथ ने न केवल धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लिया, बल्कि उत्तर प्रदेश की आध्यात्मिक और विकास यात्रा को भी गति दी।


प्रथमा तिथि से विजयादशमी तक योगी की यात्रा 
योगी आदित्यनाथ ने नवरात्रि की प्रथमा तिथि पर गोरखपुर के कुसुम्ही जंगल में स्थित मां बुढ़िया मंदिर में पूजा-अर्चना की। यहाँ से उनकी धार्मिक यात्रा का शुभारंभ हुआ। इसके बाद, उन्होंने गोरखनाथ मंदिर में कलश स्थापना की और नवरात्रि अनुष्ठान की शुरुआत की। सीएम योगी की नवरात्रि यात्रा सिर्फ धार्मिक स्थलों तक ही सीमित नहीं रही, बल्कि प्रदेश के विभिन्न जिलों में उन्होंने विकास और आध्यात्मिक गतिविधियों का भी संचालन किया।

विजयादशमी के अवसर पर योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर के मानसरोवर मंदिर में शोभायात्रा का नेतृत्व किया। गोरखनाथ मंदिर से मानसरोवर मंदिर तक शोभायात्रा के दौरान, योगी आदित्यनाथ ने प्रभु श्रीराम, माता जानकी, लक्ष्मण जी और हनुमान जी की पूजा की। यहां उन्होंने आरती उतारी और विजयादशमी का महोत्सव मनाया।

धार्मिक यात्रा और संत के रूप में योगी 
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शारदीय नवरात्रि के दौरान विभिन्न धार्मिक स्थलों पर श्रद्धा निवेदित की। प्रथमा तिथि पर गोरखपुर के बुढ़िया माता मंदिर में दर्शन-पूजन किया, जबकि चतुर्थी तिथि पर प्रयागराज में लेटे हनुमान के चरणों में श्रद्धा निवेदित की। पंचमी तिथि पर वाराणसी में विशालाक्षी मंदिर में पूजा की और काशी विश्वनाथ और काल भैरव का दर्शन-पूजन किया। अष्टमी तिथि को योगी आदित्यनाथ ने देवीपाटन में मां पाटेश्वरी के दर्शन किए और गोरखनाथ मंदिर में पारंपरिक निशा पूजन में शामिल हुए। नवमी तिथि पर उन्होंने कन्या पूजन का अनुष्ठान किया, जिसमें गोरखनाथ मंदिर में विधिपूर्वक अनुष्ठान किया गया।

इन धार्मिक यात्राओं के दौरान, मुख्यमंत्री योगी ने अपने संत के रूप में दायित्व का निर्वाह करते हुए प्रदेश की समृद्धि और कल्याण की कामना की। उनके द्वारा किए गए ये अनुष्ठान न केवल धार्मिक भावना को मजबूत करते हैं, बल्कि समाज में एक सकारात्मक ऊर्जा का भी संचार करते हैं।

भाजपा कार्यकर्ता के रूप में सक्रिय भूमिका
योगी आदित्यनाथ एक संत और मुख्यमंत्री के अलावा, भाजपा के समर्पित कार्यकर्ता के रूप में भी नवरात्रि के दौरान अपनी जिम्मेदारियों को निभाते दिखे। हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के चुनावी दौरे के दौरान उन्होंने भाजपा के लिए प्रचार किया। नवरात्रि की प्रथमा तिथि पर भी उन्होंने हरियाणा में कमल खिलाने की अपील की और कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर चुनावी रणनीतियों पर काम किया। हरियाणा में चुनावी अभियान पूरा करने के बाद, योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर लौटकर धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लिया और भगवान के चरणों में अपनी श्रद्धा निवेदित की। भाजपा के कार्यकर्ता के रूप में उन्होंने नवरात्रि के इस पवित्र पर्व के दौरान अपनी राजनीतिक जिम्मेदारियों को निभाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

आध्यात्मिक और विकास यात्रा का विस्तार
योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में नवरात्रि के दौरान न केवल धार्मिक कार्यों का आयोजन हुआ, बल्कि प्रदेश की विकास यात्रा को भी गति मिली। उन्होंने विभिन्न आध्यात्मिक स्थलों पर जाकर प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर को पुनर्स्थापित करने की दिशा में काम किया। गोरखपुर, वाराणसी, प्रयागराज, देवीपाटन जैसे महत्वपूर्ण आध्यात्मिक शहरों में योगी ने दर्शन-पूजन के साथ ही प्रदेश की विकास योजनाओं को भी आगे बढ़ाया।

गोरखनाथ मंदिर में अनुष्ठान करने के बाद योगी आदित्यनाथ ने वाराणसी में भारत सेवाश्रम संघ में भी पूजा-अर्चना की। उन्होंने मंदिरों में अपनी उपस्थिति से यह संदेश दिया कि उत्तर प्रदेश की प्रगति और विकास के साथ ही आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण भी उनकी प्राथमिकता है।

योगी आदित्यनाथ की विविध भूमिका 
शारदीय नवरात्रि के इस पर्व पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संत, राजनेता और पार्टी कार्यकर्ता के रूप में विभिन्न भूमिकाओं को बखूबी निभाया। जहां एक ओर उन्होंने प्रदेश के विकास और निवेश की योजनाओं को आगे बढ़ाया, वहीं दूसरी ओर धार्मिक आयोजनों में शामिल होकर प्रदेश की जनता के लिए आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार किया। योगी आदित्यनाथ की यह यात्रा न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखती है, बल्कि उत्तर प्रदेश के विकास और प्रगति के मार्ग को भी प्रशस्त करती है। उनका समर्पण और नेतृत्व प्रदेश के संतुलित विकास का एक मजबूत उदाहरण प्रस्तुत करता है। 

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