पूर्व मंत्री किरनपाल सिंह का निधन : बड़ी बेटी वासु चौधरी ने दी मुखाग्नि, अंतिम संस्कार में शामिल हुए हजारों लोग

UPT | बड़ी बेटी वासु चौधरी ने दी मुखाग्नि

Oct 21, 2024 23:46

उनका नाम 2006 में चर्चित कविता हत्याकांड में भी आया, जिसके संबंध में सीबीआई ने उनसे पूछताछ की थी। इस मामले ने उत्तर प्रदेश में राजनीतिक हलचल मचा दी थी...

Bulandshahr News : बुलंदशहर के अगौता विधानसभा सीट से पांच बार के विधायक और मंत्री रहे किरनपाल सिंह ने मेरठ के एक अस्पताल में सोमवार सुबह साढ़े दस बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। किरनपाल के पार्थिव शरीर का बुलंदशहर में अंतिम संस्कार किया गया। उनके परिवार में पत्नी विमला हैं। बड़ी बेटी वासु चौधरी जज हैं और छोटी बेटी शुभम चौधरी डॉक्टर हैं। किरनपाल को बड़ी बेटी वासु चौधरी ने मुखाग्नि दी। बता दें अंतिम संस्कार में क्षेत्र के हजारों लोग शामिल हुए। कांग्रेस, सपा, रालोद, भाजपा, बसपा, आम आदमी पार्टी सहित सभी राजनीतिक दलों ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है।

बता दें पूर्व मंत्री किरनपाल काफी समय से बीमार चल रहे थे। पूर्व मंत्री किरनपाल के निधन से क्षेत्र में शोक की लहर है। वह कविता हत्याकांड से सुर्खियों में आए थे। बताया जाता है कि कविता की पूर्व मंत्री से भी काफी नजदीकियां थी। किरण पाल सिंह वर्तमान में राष्ट्रीय लोकदल में सचिव थे।


बेसिक शिक्षा मंत्री के तौर पर कर चुके हैं काम
किरनपाल सिंह ने 2021 में भारतीय जनता पार्टी को छोड़कर राष्ट्रीय लोकदल का हिस्सा बनने का निर्णय लिया। वे पहले 2020 में समाजवादी पार्टी को छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। बुलंदशहर की अगौता सीट से उन्होंने पांच बार विधायक के रूप में सेवा की। किरनपाल सिंह को कभी मुलायम सिंह यादव का करीबी माना जाता था, जिन्होंने उन्हें समाजवादी सरकार में बेसिक शिक्षा मंत्री के पद पर नियुक्त किया था।

अगौता विधानसभा सीट से विधायक बनने का गौरव
प्रोफेसर किरनपाल सिंह, जो लोकनायक जयप्रकाश नारायण आंदोलन के अनुयायी और चौधरी चरण सिंह के कट्टर समर्थक थे, ने 1980 में पहली बार अगौता विधानसभा सीट से विधायक बनने का गौरव हासिल किया। मुलायम सिंह यादव की सरकार में वे कैबिनेट मंत्री के रूप में भी कार्यरत रहे।

कविता हत्याकांड मामले में सीबीआई ने पूछताछ की
उनका नाम 2006 में चर्चित कविता हत्याकांड में भी आया, जिसके संबंध में सीबीआई ने उनसे पूछताछ की थी। इस मामले ने उत्तर प्रदेश में राजनीतिक हलचल मचा दी थी, जिसके परिणामस्वरूप खाद्य संसाधन मंत्री बाबूलाल को इस्तीफा देना पड़ा।

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