अर्जुन अवार्डी प्रीति पाल की कहानी : शारीरिक और आर्थिक परेशानी से जूझते हुए नहीं मानी हार, पेरिस में लहराया था तिरंगा

UPT | अर्जुन अवार्डी प्रीति पाल

Jan 02, 2025 21:51

पश्चिम यूपी की दो होनहार बेटियों को अर्जुन अवार्ड मिलने पर उनके घर बधाई देने वालों की लाइन लगी हुई है।

Short Highlights
  • प्रीति पाल ने पेरिस में लहराया था ​तिरंगा
  • जन्म के समय से थी प्रीति पाल शारीरिक असामान्य
  • अर्जुन अवार्ड मिलने पर प्रीति पाल ने जताई खुशी 
Meerut News : मेरठ की बेटी अन्नू रानी और मुजफ्फरनगर की प्रीति पाल समेत अन्य विजेताओं अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया जाने की घोषणा हुई है। पश्चिम यूपी की दो होनहार बेटियों को अर्जुन अवार्ड मिलने पर उनके घर बधाई देने वालों की लाइन लगी हुई है। 

पेरिस ओलंपिक-2024 की दो पदक जीतकर भारत का मान बढ़ाया
मुजफ्फरनगर की मूल निवासी प्रीति पाल वर्तमान में गंगानगर क्षेत्र की शिवलोक कॉलोनी में रह रही हैं। प्रीति पाल ने अंतर्राष्ट्रीय पैरा एथलीट व पेरिस ओलंपिक-2024 की दो पदक जीतकर भारत का मान बढ़ाया था। प्रीतिपाल को अर्जुन अवार्ड देने की घोषणा की जानकारी पर परिवार के लोग हुई तो सभी खुशी से झूम उठे। प्रीतिपाल ने बताया कि अर्जुन अवार्ड मिलने की घोषणा से उनकी खुशी का ठिकाना नहीं है। उन्होंने कहा मैं अपनी खुशी को मैं बयां नहीं कर सकती हूं। मेरा सपना पूरा हो गया है। 

जन्म के छह दिन बाद शरीर के निचले हिस्से पर प्लास्टर बांधना पड़ा 
प्रीति किसान परिवार से ताल्लुक रखती हैं। मुजफ्फरनगर में जन्मीं प्रीति बताती हैं कि जन्म के छह दिन बाद ही उनके शरीर के निचले हिस्से पर प्लास्टर बांधना पड़ा था। शारीरिक कमजोर और असामान्य पैर की स्थिति के कारण उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। शारीरिक कमजोरी और असामान्य पैर की स्थिति के कारण प्रीति को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। कई सालों तक डॉक्टरों का इलाज चला लेकिन कोई असर नहीं पड़ा। प्रीति को पांच साल की उम्र में कैलिपर पहनना पड़ा। जिसका उन्होंने आठ सालों तक उपयोग किया। 

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सोशल मीडिया ने बदला प्रीति का जीवन
प्रीति खेल के प्रति उत्सुक थी। वो का सोशल मीडिया पर पैरालंपिक खेलों की वीडियो देखती थीं। इन्हीं वीडियों ने प्रीति के जीवन जीने के नजरिया तब बदला। उन्होंने इनसे प्रेरित होकर अहसास किया कि वो अपने सपनों को पूरा कर सकती हैं। छोटी उम्र में उन्होंने स्टेडियम में अभ्यास करना शुरू किया। परिवार की आर्थिक तंगी के कारण उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा।

मुलाकात पैरालंपिक एथलीट फातिमा खातून से हुई
उनके जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब उनकी मुलाकात पैरालंपिक एथलीट फातिमा खातून से हुई। वो फातिमा ही थीं जिन्होंने प्रीति को पैरा एथलेटिक्स से परिचित कराया। फातिमा के समर्थन से, प्रीति ने 2018 में स्टेट पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भाग लिया। इसके अलावा उन्होंने कई राष्ट्रीय स्पर्धाओं में भाग लिया। उनके प्रयासों का फल तब मिला जब उन्होंने 100 मीटर और 200 मीटर दोनों स्प्रिंट में चौथा स्थान हासिल करते हुए एशियाई पैरा खेलों 2022 के लिए क्वालिफाई किया।

पेरिस पैरालंपिक में प्रीति ने जीता पहला पदक 
प्रीति पाल ने पेरिस पैरालंपिक में ट्रैक और फील्ड में भारत के लिए पहला पदक जीतकर इतिहास रच दिया। यह इन खेलों में ट्रैक इवेंट में पहला पदक था। प्रीति के लिए इस मुकाम तक पहुंचना आसान नहीं रहा। उन्होंने छह साल पहले सोशल मीडिया पर पैरालंपिक खेलों की वीडियो देखकर दौड़ना शुरू किया था। आज उनकी मेहनत रंग लाई है।

कोच गजेन्द्र सिंह का बड़ा योगदान 
पेरिस में जीता अपना पहला पैरालंपिक पदक जीतने वाली प्रीति  पाल ने बताया कि आज उनका नाम अर्जुन अवार्ड के लिए घोषित हुआ है उसके लिए उन्होंने काफी मेहनत की है। उनकी इस उपलब्धि में उनके कोच गजेन्द्र सिंह का बड़ा योगदान है। जिन्होंने दौड़ने की तकनीक को निखारने में पूरा योगदान दिया। 
 

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