यह मामला गौतमबुद्ध नगर जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA) द्वारा 30 सितंबर 2020 को पारित एक प्रस्ताव पर आधारित था। यह प्रस्ताव बाढ़-प्रवण क्षेत्रों में अनधिकृत निर्माण को रोकने के उद्देश्य से था, जिसमें भूमि मालिकों को किसी भी बिक्री कार्यवाही से पहले अधिकारियों से अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) प्राप्त करने की आवश्यकता थी।