संग्रहालयों का बुरा हाल: ऐतिहासिक धरोहरें खतरे में, रखरखाव के अभाव में हो रही हैं क्षतिग्रस्त, जानें कब से पड़े हैं ताले

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Sep 28, 2024 19:12

सोनभद्र जिले के घोरावल तहसील के शिवद्वार और रॉबर्ट्सगंज ब्लॉक के मऊ गांव में स्थित उत्तर प्रदेश राज्य पुरातत्व विभाग द्वारा निर्मित स्थलीय संग्रहालयों की हालत दयनीय हो गई है। वर्षों से ताले लगे होने और मरम्मत की कमी के कारण ये संग्रहालय क्षतिग्रस्त हो चुके हैं।

Short Highlights
  • विश्व पर्यटन दिवस पर पर्यटकों को हुई मायूसी, मऊ एवं शिवद्वार के संग्रहालय में लगे रहे ताले 
  • मूर्तियों के चोरी हो जाने का बना हुआ है खतरा,  संग्रहालय को मरम्मत की दरकार, पुरातत्व विभाग मौन 

Sonbhadra News : सोनभद्र जिले के घोरावल तहसील के शिवद्वार और रॉबर्ट्सगंज ब्लॉक के मऊ गांव में स्थित उत्तर प्रदेश राज्य पुरातत्व विभाग द्वारा निर्मित स्थलीय संग्रहालयों की हालत दयनीय हो गई है। वर्षों से ताले लगे होने और मरम्मत की कमी के कारण ये संग्रहालय क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। इन संग्रहालयों में संरक्षित प्राचीन, कलात्मक और कीमती मूर्तियों के साथ-साथ ऐतिहासिक अवशेष भी खतरे में हैं।

ऐतिहासिक धरोहरों की बदहाली
इतिहासकार दीपक कुमार केसरवानी ने बताया कि विंध्य संस्कृति शोध समिति उत्तर प्रदेश ट्रस्ट ने राज्य पुरातत्व विभाग का ध्यान इन संग्रहालयों की बदहाली और सुरक्षा की कमी की ओर आकर्षित किया था, लेकिन इसके बावजूद अब तक इनकी मरम्मत और सुरक्षा के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। लगातार हो रही भारी बारिश से संग्रहालयों की हालत और भी बिगड़ती जा रही है। विश्व पर्यटन दिवस पर जब शोध छात्र और पर्यटक इन संग्रहालयों को देखने आए, तो बंद ताले और खंडहरनुमा संग्रहालय देखकर निराश हो गए।

संरक्षण की मांग
विंध्य संस्कृति शोध समिति के प्रयासों से इन संग्रहालयों की स्थापना का उद्देश्य सोनभद्र की समृद्ध संस्कृति, साहित्य और कला से पर्यटकों को परिचित कराना था। इसके तहत पुरातत्व विभाग ने शिवद्वार और मऊ संग्रहालय में कई ऐतिहासिक अवशेषों को संग्रहित किया था, लेकिन कुछ ही वर्षों में इन संग्रहालयों को बंद कर दिया गया।

सरकार से अपील
स्थानीय नागरिकों ने उत्तर प्रदेश सरकार से मांग की है कि घोरावल और रॉबर्ट्सगंज तहसील के अंतर्गत शिवद्वार और मऊ में स्थित संग्रहालयों की सुरक्षा, संरक्षण और विकास के लिए उचित कदम उठाए जाएं। ताकि इन संग्रहालयों में संरक्षित ऐतिहासिक धरोहरों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और इनका सही मायने में उद्देश्य पूरा हो सके। 

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