Sonbhadra News : नौकरी दिलाने के नाम पर 3.30 लाख रुपये की धोखाधड़ी, दोषी को सात साल की सजा

UPT | सीजेएम कोर्ट भवन

Jan 03, 2025 16:42

12 वर्ष पूर्व नौकरी दिलाने के नाम पर 3 लाख 30 हजार रुपये लेकर फर्जी नियुक्ति पत्र देने के मामले में शुक्रवार को सुनवाई करते हुए सीजेएम आलोक यादव की अदालत ने धोखाधड़ी में दोषसिद्ध पाकर दोषी संतोष कुमार मिश्र को 7 वर्ष की कैद व 90 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई।

Short Highlights
  • 90 हजार रुपये अर्थदंड, न देने पर 6 माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी
  • 12 वर्ष पूर्व नौकरी लगवाने के नाम पर 3 लाख 30 हजार रुपये लेने और फर्जी नियुक्ति पत्र देने का मामला

Sonbhadra News : सोनभद्र जिले के रॉबर्ट्सगंज क्षेत्र में एक बड़ी धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। यहां 12 वर्ष पहले नौकरी दिलाने के नाम पर 3 लाख 30 हजार रुपये लेकर फर्जी नियुक्ति पत्र देने का मामला सीजेएम कोर्ट में पहुंचा। शुक्रवार को सीजेएम आलोक यादव की अदालत ने इस मामले में सुनवाई की और दोषी संतोष कुमार मिश्र को 7 साल की सजा और 90 हजार रुपये का जुर्माना लगाया। यदि दोषी जुर्माना नहीं भरता है, तो उसे 6 महीने अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। अदालत ने यह भी आदेश दिया कि दोषी द्वारा जेल में बिताए गए दिन सजा में शामिल किए जाएंगे।

घटना का विवरण
यह मामला अम्बरीश कुमार शुक्ला नामक युवक से जुड़ा है, जिन्होंने वर्ष 2012 में संतोष कुमार मिश्र से संपर्क किया था। अम्बरीश ने बताया कि उसने बीएससी, बीएड और कम्प्यूटर की शिक्षा प्राप्त की थी और सरकारी नौकरी की तलाश में था। इसी दौरान उसकी मुलाकात संतोष कुमार मिश्र से हुई, जिन्होंने खुद को उत्तर प्रदेश जनसंपर्क विभाग लखनऊ में जूनियर डायरेक्टर बताया। संतोष कुमार मिश्र ने अम्बरीश को सरकारी नौकरी दिलवाने का वादा किया, लेकिन इसके लिए उनसे 3 लाख 30 हजार रुपये की राशि मांगी। विश्वास में आकर अम्बरीश ने 14 नवंबर 2012 को यह राशि संतोष कुमार मिश्र को दे दी। बदले में उसे एक नियुक्ति पत्र प्राप्त हुआ।  

फर्जी नियुक्ति पत्र का खुलासा
जब अम्बरीश कुमार शुक्ला ने नियुक्ति पत्र लेकर लखनऊ स्थित संबंधित विभाग में संपर्क किया, तो वहां पता चला कि वह नियुक्ति पत्र पूरी तरह से फर्जी था। इसके बाद उन्होंने संतोष कुमार मिश्र से अपने पैसे की वापसी की मांग की। इस पर संतोष कुमार मिश्र ने अम्बरीश को एक चेक दिया, लेकिन जब वह चेक 1 मई 2013 को बैंक में जमा करवाया गया, तो बैंक ने 7 मई 2013 को सूचित किया कि खाता बंद है और चेक का भुगतान नहीं हो सका। जब अम्बरीश ने पुनः पैसे की मांग की, तो संतोष कुमार मिश्र ने उसे जान से मारने की धमकी भी दी। 

पुलिस कार्रवाई और कोर्ट का फैसला
इसके बाद अम्बरीश ने 25 जून 2013 को करमा थाना पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई। पुलिस ने धोखाधड़ी और अन्य धाराओं में एफआईआर दर्ज की और मामले की जांच शुरू की। जांच के दौरान पुलिस को संतोष कुमार मिश्र के खिलाफ पर्याप्त सबूत मिले और इस पर आरोप पत्र दाखिल किया गया। 17 अगस्त 2017 को अदालत ने आरोप तय किए और मामले की सुनवाई शुरू हुई। अदालत ने दोनों पक्षों के वकीलों की बहस सुनने और 10 गवाहों के बयान दर्ज करने के बाद फैसला सुनाया। अदालत ने संतोष कुमार मिश्र को दोषी ठहराते हुए सात साल की सजा और 90 हजार रुपये का जुर्माना लगाया।

अभियोजन पक्ष का सहयोग
अभियोजन पक्ष की ओर से वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी सतीश वर्मा ने इस मामले में तर्क रखे और धोखाधड़ी के खिलाफ मजबूती से पैरवी की। अदालत के फैसले से यह मामला एक उदाहरण बन गया है कि धोखाधड़ी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाती है। 

Also Read