पपीते की खेती से मुनाफा हुआ चौगुना : हरियाणा के किसान से प्रेरित होकर नकटी गांव के दिनेश कुमार ने बढ़ाया कदम 

UPT | पपीता की खेती करने वाला किसान।

Jan 05, 2025 19:07

पारंपरिक खेती छोड़कर पपीते की खेती से चौगुनी कमाई कर रहे पटेहरा ब्लॉक के नकटी गांव के किसान ने हरियाणा के किसान से प्रेरणा पाकर उद्यान विभाग की मदद से 14 बीघा जमीन में पपीता उगाया, जो 18 रुपये प्रति किलोग्राम बिक रहा है।

Mirzapur News : पारंपरिक खेती के साथ ही पपीते की खेती किसानों के लिए कमाई का जरिया बन गया है। हरियाणा के किसान से प्रेरणा पाकर पटेहरा ब्लॉक में नकटी गांव निवासी किसान दिनेश कुमार सिंह ने कदम बढ़ाया। उद्यान विभाग से सहयोग मिला। 14 बीघा में पपीता की खेती कर चौगुनी कमाई कर खुश है। 



पथरीली जमीन में खेती करने वाले किसान पहले गेहूं व दलहन की खेती करते थे
पथरीली जमीन में खेती करने वाले किसान दिनेश सिंह पहले गेहूं, दलहन की खेती करते थे। मध्य प्रदेश के कटनी में हरियाणा के एक किसान से उनकी मुलाकात हुई। वार्ता के बाद पपीता खेती की प्रेरणा मिली। जिले के उद्यान विभाग ने उन्हें प्रशिक्षित करने के साथ साथ ही बीज मुहैया कराया। जिसके चलते उन्होंने 14 बीघा में पपीता की खेती की है। फल भी तैयार है और उसे 18 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बेच रहे हैं। किसान ने बताया कि धान, गेहूं व अन्य फसलों के मुकाबले पपीता की खेती करने में लागत की तुलना में उन्हें करीब चार गुणा अधिक मुनाफा मिल रहा है। 

पपीते की खेती मॉडल बनी
पपीता की खेती इस इलाके लिए मॉडल बन गई है। आसपास के इलाके में पहाड़ी क्षेत्र होने की वजह से पानी की कमी के कारण किसानों को पारंपरिक रुप से धान और गेहूं की फसल उगाने में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा था। पपीता की खेती ने अपनी समृद्धि के द्वार खोल दिया है। पपीता की खेती के लिए साल में दो बार का समय उपयुक्त है। फरवरी ओर अक्टूबर माह में इसकी खेती के लिए बेहतर समय है। खेती के बाद करीब चार से पांच माह में फल तैयार हो जाता है।

एक बीघा में बीज व दवा आदि पर करीब पांच हजार रुपये खर्च होता है
जुलाई के समय की गई खेती में अब फल तैयार होने लगा है। एक बीघा में बीज व दवा आदि पर करीब पांच हजार रुपये खर्च होता है। 14 बीघा में की गई खेती में अब उन्हें औसतन एक लाख रूपये से ऊपर का फल बेच चुके है। जिला उद्यान अधिकारी मेवाराम ने बताया कि पपीता की खेती में किसान को मुनाफा अधिक है। सरकार की ओर से भी किसानों को अनुदानित दर पर बीज मुहैया कराई जाती है। किसान चाहे, तो इसका लाभ उठा सकते हैं। उद्यान विभाग के द्वारा ड्रिप इरिगेशन के लिए अनुदान मुहैया कराया जाता हैं। 

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