संभल हिंसा पर सियासत जारी : अखिलेश यादव ने सरकार पर उठाए सवाल, कहा- असल फ़साद की कब आएंगी तस्वीरें

UPT | संभल हिंसा

Nov 28, 2024 12:39

समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस मुद्दे पर सरकार पर निशाना साधते हुए एक पोस्टर साझा किया। उन्होंने सवाल उठाया, "जिन्होंने विवाद की शुरुआत की...

Sambhal News : संभल में जामा मस्जिद में सर्वे के दौरान भड़की हिंसा ने सियासी और सामाजिक बहस को गरमा दिया है। पक्ष और विपक्ष ने एक दुसरे पर आरेप-प्रत्तारोप लगा रहे है। घटना के बाद विपक्ष ने सरकार और प्रशासन पर तीखी बयान बाजी शुरू कर दि हैं। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि असल फ़साद की तस्वीरें कब आएंगी।

एक्स पर पोस्ट कर साधा निशाना
समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस मुद्दे पर सरकार पर निशाना साधते हुए एक पोस्टर साझा किया। इस पोस्टर में हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन, सुरक्षा कर्मियों और नारेबाजी करते हुए कुछ लोगों को दिखाया गया है। उन्होंने सवाल उठाया, "जिन्होंने विवाद की शुरुआत की और जो हिंसा के मुख्य कारण बने, उनकी तस्वीरें कब सामने आएंगी?"
हिंसा पर पुलिस की कार्रवाई
पुलिस ने हिंसा के सिलसिले में अब तक 28 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें तीन महिलाएं भी शामिल हैं। सीसीटीवी फुटेज और वायरल वीडियो के माध्यम से उपद्रवियों की पहचान की जा रही है। बुधवार को पुलिस ने 45 आरोपियों के पोस्टर जारी किए, जिनमें से कई के नाम और पते भी सार्वजनिक कर दिए गए हैं। पुलिस का कहना है कि हिंसा के दौरान हुई संपत्ति के नुकसान की भरपाई उपद्रवियों से की जाएगी। अब तक 100 से अधिक लोगों को इस मामले में चिह्नित किया जा चुका है।

हिंसा का घटनाक्रम
24 नवंबर को जिला अदालत के आदेश पर एक टीम जामा मस्जिद का सर्वे करने पहुंची थी। इस दौरान बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई और पथराव शुरू हो गया। यह विवाद देखते ही देखते हिंसक रूप ले बैठा। कई गाड़ियों में तोड़फोड़ की गई और आगजनी की घटनाएं हुईं। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा। इस हिंसा में चार लोगों की जान चली गई।

इलाके में इंटरनेट सेवाएं बंद
हिंसा के बाद पूरे इलाके में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं और प्रशासन ने शांति व्यवस्था बनाए रखने का दावा किया है। आगामी 29 नवंबर को जुमे की नमाज के मद्देनजर प्रशासन हाई अलर्ट पर है।

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विवाद की शुरूआत
यह विवाद 19 नवंबर को शुरू हुआ था जब हिंदू पक्ष ने जामा मस्जिद को हरिहर मंदिर बताते हुए चंदौसी में सिविल जज सीनियर डिवीजन आदित्य कुमार सिंह की अदालत में दावा पेश किया था। हिंदू पक्ष का कहना है कि मस्जिद मुगल काल में बने मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी। मुस्लिम पक्ष का कहना है कि मस्जिद किसी मंदिर को तोड़कर नहीं बनाई गई थी। कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए एक आयोग गठित कर सर्वे का आदेश दिया था। सर्वे करने वाली टीम ने 19 नवंबर को पहली बार मस्जिद का निरीक्षण किया था। रविवार को टीम दूसरी बार सर्वे करने पहुंची थी। विवाद हिंसा में बदल गया।

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