संभल और अजमेर दरगाह मामले पर बोले ओवैसी : बीजेपी और संघ के लोग शामिल, देश को अस्थिर करने की कोशिश

UPT | असदुद्दीन ओवैसी

Nov 28, 2024 14:46

संभल विवाद के बाद अजमेर दरगाह को लेकर उत्पन्न विवाद पर एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने भाजपा और संघ पर कड़ा प्रहार किया है। ओवैसी का कहना है कि जो कुछ हो रहा है, वह देश के हित में नहीं है...

New Delhi : संभल विवाद और अजमेर दरगाह को लेकर उत्पन्न विवाद पर एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने भाजपा और संघ पर कड़ा प्रहार किया है। ओवैसी का कहना है कि जो कुछ हो रहा है, वह देश के हित में नहीं है और यह प्रयास देश को अस्थिर करने का है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस विवाद में भाजपा और संघ के लोग सीधे तौर पर शामिल हैं। ओवैसी ने आरोप लगाया कि यह सब बीजेपी और आरएसएस के निर्देश पर हो रहा है, जिससे देश में कानून का शासन कमजोर हो रहा है और यह देश के हित में नहीं है। ओवैसी ने आरोप लगाया कि यह सब बीजेपी और आरएसएस के निर्देश पर हो रहा है, जिससे देश में कानून का शासन कमजोर हो रहा है और यह देश के हित में नहीं है।

'यह सब देशहित में नहीं... '
ओवैसी ने कहा कि 'पूजास्थल अधिनियम (Place of Worship Act 1991)' का क्या होगा? उन्होंने संभल में चल रहे विवाद का जिक्र करते हुए कहा, वहां पांच लोग मारे गए थे। अब अजमेर दरगाह के मामले में केंद्र सरकार और पुरातत्व विभाग को पक्षकार बनाया गया है। अब सरकार इस पर क्या कहेगी?" ओवैसी ने आरोप लगाया कि यह सब देश को अस्थिर करने की कोशिश है और यह देशहित में नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि इस विवाद में भाजपा और संघ का सीधे या परोक्ष रूप से संबंध है और इससे कोई भी इनकार नहीं कर सकता।



'पीएम हर साल चादर भेजते हैं'
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि दरगाह शरीफ (अजमेर दरगाह) पिछले 800 वर्षों से वहां है। 800 साल में अमीर खुसरो ने अपनी किताब में बताया है कि बादशाह अकबर ने वहां कई निर्माण कार्य कराए थे। इसके बाद मुगलों का दौर आया, फिर मराठों का और जब वे कमजोर हुए, तो अंग्रेजों का शासन आया। इस दौरान भी देश के कई राजघरानों ने दरगाह की सेवा की। आज भी देश के प्रधानमंत्री हर साल उर्स के मौके पर वहां चादर भेजते हैं। हमारे पड़ोसी देशों के आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल भी वहां आते हैं। ओवैसी ने सवाल उठाते हुए कहा 'आज अचानक से ये हरकत हो रही है, ये सब कहां जाकर रुकेगा?'

यह है अजमेर शरीफ दरगाह का पूरा मामला
हाल ही में राजस्थान की एक अदालत ने अजमेर शरीफ दरगाह को शिव मंदिर के रूप में पहचानने की मांग करने वाली एक याचिका को स्वीकार कर उस पर सुनवाई के लिए नोटिस जारी किया था। इस घटनाक्रम ने उत्तर प्रदेश के संभल में शाही जामा मस्जिद के विवादास्पद सर्वेक्षण के बाद तूल पकड़ा है। शाही जामा मस्जिद पर अदालत के आदेश पर सर्वेक्षण कराया गया था, जिसके बाद विरोध प्रदर्शन भड़क उठे थे। इन प्रदर्शनों के दौरान कथित तौर पर पुलिस की गोलीबारी में एक नाबालिग समेत पांच मुसलमानों की मौत हो गई थी। यह याचिका हिंदू सेना के प्रमुख विष्णु गुप्ता ने दायर की थी, जिसमें अजमेर शरीफ दरगाह के परिसर में शिव मंदिर होने का दावा किया गया था। इसके बाद अजमेर की एक निचली अदालत ने सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती को समर्पित दरगाह के परिसर में शिव मंदिर होने के दावों के संबंध में तीन संस्थाओं को नोटिस जारी किए हैं।

नसरुद्दीन चिश्ती ने भी किया विरोध
वहीं अखिल भारतीय सूफी सज्जादानशीन परिषद के अध्यक्ष सैयद नसरुद्दीन चिश्ती ने भी इस मुद्दे पर अपना विरोध व्यक्त किया है। चिश्ती ने हैरानी जताई कि उन्हें इस मामले में पक्षकार भी नहीं बनाया गया, जबकि वह ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के वंशज हैं। उनका कहना था कि इस मामले में जिन संस्थाओं को नोटिस जारी किए गए हैं, उनमें दरगाह समिति, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई)और अल्पसंख्यक मामलों का मंत्रालय शामिल हैं। चिश्ती ने यह भी बताया कि वह अपनी कानूनी टीम के संपर्क में हैं और इस मामले पर उचित कदम उठाने का निर्णय लेंगे।

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