ASI Protected Monuments : 18 संरक्षित स्मारकों को डिलीस्ट करेगी ASI, इन पुरातात्विक स्मारक ने खोया राष्ट्रीय महत्व, जानिए क्या है कारण...

UPT | ASI Protected Monument

Mar 27, 2024 13:34

संस्कृति मंत्रालय ने 8 मार्च, 2024 ने एक नोटिस जारी किया, जिसमें लिखा था कि आर्केलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा संरक्षित 18 स्मारक और साइट्स अब राष्ट्रीय महत्व के नहीं रहे...

Short Highlights
  • ASI 18 संरक्षित स्मारकों को डिलीस्ट करेगी
  • 100 साल से ज्यादा पुराने और  ऐतिहासिक महत्व वाले स्थान को मिलता है राष्ट्रीय महत्व ​​​​​​
  • ASI की इन स्मारकों की सूची में सबसे ज्यादा 9 स्मारक उत्तर प्रदेश से हैं
Delhi News : आर्केलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) कुछ स्मारकों और प्राचीन स्थलों को डिलीस्ट (Deletelist) करने जा रहा है, जिनका जिम्मा अब ASI को पास नहीं रहेगा। ASI का मानना है कि ये स्मारक अपना राष्ट्रीय महत्व खो चुके हैं। साथ ही इनमें से कुछ स्मारक लुप्त भी हो चुके हैं। ASI (Archaeological Survey of India) भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अधीन आता है। जिसका काम प्राचीन स्मारकों और पुरातत्वीय स्थलों का रखरखाव करना है। 

18 स्मारक और साइट्स ने खोया राष्ट्रीय महत्व
बता दें कि संस्कृति मंत्रालय ने 8 मार्च, 2024 ने एक नोटिस जारी किया, जिसमें लिखा था कि आर्केलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा संरक्षित 18 स्मारक और साइट्स अब राष्ट्रीय महत्व के नहीं रहे है, ये स्मारक और साइट्स यूपी, उत्तराखंड, राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा अरुणाचल प्रदेश की हैं।

राष्ट्रीय महत्व का होने के फायदे
केंद्र सरकार के पास किसी भी स्मारक को ASI द्वारा संरक्षण दिया जाता है। जिन स्मारकों को राष्ट्रीय महत्व की लिस्ट में रखा जाता है, उनके रखरखाव और मरम्मत की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की होती है। अगर कोई संरक्षित स्मारक को हानि पहुंचाता है तो उस पर कानून कार्रवाई की जा सकती है। जिसमें दोषी को जेल या जुर्माना का प्रावधान है। 

क्यों खोया राष्ट्रीय महत्व
काफी समय से ASI द्वारा संरक्षित स्मारकों के पास अवैध कब्जा हो रहा है, और कुछ पुरातात्विक स्मारक लुप्त भी हो गए हैं। जिसके चलते पहली बार नेशनल मॉन्यूमेंट्स की लिस्ट को अपडेट की गई है। प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC) के बाद ही ये एक्शन लिया जा रहा है ताकि राष्ट्रीय महत्व खो चुके स्थलों को हटाकर नए स्थल जोड़े जा सकें।

किसी स्थान को राष्ट्रीय महत्व कैसे मिलता है
ASI प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष एक्ट 1951 (AMASR Act, 1951) के तहत किसी स्मारक या साइट्स का राष्ट्रीय महत्व होना घोषित किया जा सकता है। जिसके लिए किसी मंदिर, शिलालेख, मकबरे, कब्रिस्तान, महल, किले, बावड़ियां, पत्थरों पर नक्काशी वाली गुफाएं का 100 साल से ज्यादा पुराना होना और उसका ऐतिहासिक महत्व होना अनिवार्य होता है।

ये हैं 18 डिलीस्ट संरक्षित स्मारक
  1. उत्तर प्रदेश के गाजीपुर के भारंली गंगा तिर में वट वृक्ष स्थित प्राचीन स्मारक के अवशेष
  2. उत्तर प्रदेश के बांदा शहर का बंद कब्रिस्तान और कटरा नाका
  3. उत्तर प्रदेश के झांसी के रंगून का बंदूकची बुर्किल की कब्र
  4. उत्तर प्रदेश के लखनऊ शहर के गौघाट का कब्रिस्तान
  5. लखनऊ के जहरीला रोड़ पर 6 से 8 मील पर स्थित कब्रिस्तान
  6. लखनऊ-फैजाबाद रोड़ पर 3, 4 और 5 मील पर स्थित मकबरें
  7. उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के अहुगी में एक हजार ईसवीं के तीन छोटे लिंग मंदिर परिधि के अवशेष
  8. वाराणसी का तेलिया नाला बौद्ध खंडहर, निर्जन गांव का हिस्सा
  9. वाराणसी के कोषागार भवन में मौजूद तख्ती पट्ट (टेबलेट)
  10. उत्तराखंड में अल्मोड़ा के द्वाराहाट का कुटुम्बरी क्षेत्र नालिस
  11. राजस्थान के जयपुर जिले के नगर स्थित किले के भीतर का अभिलेख
  12. राजस्थान के कोटा जिले का बारन स्थित 12वीं सदी का मंदिर
  13. हरियाणा के गुरुग्राम जिले का कोस मिनार संख्या 13
  14. हरियाणा के करनाल जिले का कोस मिनार
  15. दिल्ली के इम्पीरियल सिटी का बारा खंबा कब्रगाह
  16. दिल्ली के कोटला मुबारकपुर का इंचला वाली गुमटी
  17. अरुणाचल प्रदेश के लखीमपुर जिले का सादिया के पास का ताम्र मंदिर
  18. मध्य प्रदेश के सतना जिले के बछौन किले के भीतर का शैल अभिलेख

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