IPC की जगह लेगा अब BNS : 1 जुलाई से लागू होंगे नए कानून, जोड़े गए 20 अपराध, आईपीसी के 19 प्रावधानों को हटाया गया

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Jun 30, 2024 13:10

ईपीसी में कुल मिलाकर 23 अध्याय और 511 धाराएं थी। लेकिन अब नए कानून BNS 2023 में कुल 20 अध्याय और कुल 358 धाराए हैं। आज हम जानेंगे कि पुराने कानून IPC की जगह नए कानून BNS 2023 में किन नए अपराधों और प्रावधानों को जोड़ा गया जो IPC में नहीं थे...

UPT Desk News : 1 जुलाई 2024 से देश में एक बड़ा बदलाव होने वाला है।  1 जुलाई 2024 से भारतीय न्याय संहिता यानी बीएनएस जोकि भारत गणराज्य में एक आधिकारिक आपराधिक संहिता है, वह लागू हो रही है। इसे दिसंबर 2023 में  ब्रिटिश भारत के समय से चली आ रही भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की जगह लाया गया है। आईपीसी में कुल मिलाकर 23 अध्याय और 511 धाराएं थी। लेकिन अब नए कानून BNS 2023 में कुल 20 अध्याय और कुल 358 धाराए हैं। आज हम जानेंगे कि पुराने कानून IPC की जगह नए कानून BNS 2023 में किन नए अपराधों और प्रावधानों को जोड़ा गया जो IPC में नहीं थे।


बदलाव की शुरुआत कब से हुई
  • 11 अगस्त 2023 को गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में भारतीय न्याय संहिता विधेयक, 2023 पेश किया।
  •  12 दिसंबर 2023 को भारतीय न्याय संहिता विधेयक, 2023 को वापस ले लिया गया।
  • 12 दिसंबर 2023 को भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता विधेयक, 2023 को लोकसभा में पेश किया गया।
  • 20 दिसंबर 2023 को भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता विधेयक, 2023 को लोकसभा में पारित किया गया।
  • 21 दिसंबर 2023 को भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता विधेयक, 2023 को राज्यसभा में पारित किया गया।
  • 25 दिसंबर 2023 को भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता विधेयक, 2023 को भारत के राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त हुई।
ये हैं बड़े बदलाव
बीएनएस में 20 नए अपराध जोड़े गए हैं और आईपीसी के 19 प्रावधानों को हटा दिया गया है। 33 अपराधों के लिए कारावास की सजा बढ़ा दी गई है और 83 अपराधों के लिए जुर्माना बढ़ा दिया गया है। 23 अपराधों के लिए अनिवार्य न्यूनतम सजा पेश की गई है। छह अपराधों के लिए सामुदायिक सेवा की सजा पेश की गई है।

बीएनएस में 20 नए अपराध जोड़े गए
  • मॉब लिंचिंग पर प्रावधान-  बीएनएस धारा 103 (2) के तहत  जब पांच या अधिक व्यक्ति का समूह मिलकर नस्ल, जाति, समुदाय आदि के आधार पर की गई हत्या से संबंधित अपराध पर एक नया प्रावधान शामिल किया गया है। इस प्रावधान के तहत, अगर कोई व्यक्ति नस्ल, जाति, समुदाय आदि के आधार पर मॉब लिंचिंग करता है, तो उसके लिए आजीवन कारावास या मृत्युदंड का प्रावधान किया गया है।
  • हिट एंड रन केस का प्रावधान- बीएनएस की  धारा 106 (2) हिट एंड रन केस में प्रावधान है, कि यदि किसी ड्राइवर की तेज रफ्तार ड्राइविंग से किसी राहगीर की मौत हो जाती है। और ड्राइवर बिना पुलिस में रिपोर्ट किए भाग जाता है, तो यह अपराध गैर इरादतन हत्या की कैटेगरी में आएगा। साथ ही आरोपी ड्राइवर को 10 साल की कैद और 7 लाख रुपए जुर्माने की सजा होगी। बता दें इसको लेकर ट्रक ड्राइवरों और ट्रांसपोर्टर्स ने 30 दिसंबर 2023 को जयपुर, मेरठ, आगरा एक्सप्रेस वे सहित कई हाईवे पर हिट एंड रन कानून के प्रावधान के खिलाफ विरोध शुरू किया था। जो 2 जनवरी को AIMTC से चर्चा के बाद खत्म हुई थी।
  • सशस्त्र विद्रोह मामले में प्रावधान- यह बिल गृह मंत्री अमित शाह के लिए काफी अहम है। अब राजद्रोह को देशद्रोह कर दिया गया है, क्योंकि अब देश आजाद हो चुका है, लोकतांत्रिक देश में सरकार की आलोचना कोई भी कर सकता है। शाह  ने साफ तौर पर कहा था कि अगर कोई देश की सुरक्षा, संपत्ति को नुकसान पहुंचाया, तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। अगर कोई सशस्त्र विरोध, बम धमाके करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।
  • ऑर्गेनाइज्ड क्राइम- संगठित अपराध से संबंधित एक नया आपराधिक अनुभाग जोड़ा गया है। इसे पहली बार भारतीय न्याय संहिता 111 में परिभाषित किया गया है। सिंडिकेटों द्वारा की गई अवैध गतिविधि को दंडनीय बनाया गया है। छोटे संगठित अपराधों को भी अपराध माना गया है, जिसके लिए 7 साल तक की सजा का प्रावधान है। इससे संबंधित प्रावधान धारा 112 में हैं। यदि किसी व्यक्ति की हत्या हो जाती है तो आरोपी को मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा दी जा सकती है। जुर्माना भी लगाया जाएगा, जो 10 लाख रुपये से कम नहीं होगा। संगठित अपराध में मदद करने वालों के लिए भी सजा का प्रावधान किया गया है।
  • बच्चे- बीएनएस के धारा 2 (3) में  बच्चा शब्द को परिभाषित किया गया है, बच्चा मतलब 18 से कम आयु का कोई भी व्यक्ति। साथ ही बच्चों के साथ हो रहे अपराध को लेकर भी सजा का प्रावधान है।
  • धारा 48 - भारत में अपराधों के किए जाने के लिए भारत के बाहर दुष्प्रेरण।
  • धारा 69- किसी के साथ छल करके उसको धोखा देकर उसके  साथ लैंगिक संबंध बनाना।
  • धारा 95- किसी बच्चे को अपराध करने के लिए काम पर रखना, नियोजित करना या संलग्न करना।
  • आतंकवादी- बीएनएस की धारा 113 में आतंकवादी कार्यो के लिए सजा का प्रावधान है।
  • बीएनएस की धारा 117 (3) और (4 ) में स्वेच्छा से गंभीर चोट पहुंचाना शामिल है। 117 (3) के उपधारा (1) के अधीन कोई ऐसा अपराध करे जिससे किसी व्यक्ति को क्षति पहुंचे, विकलांग हो जाए, तो उसे कठोर कारावास  10 साल तक की या आजीवन कारावास भी हो सकती है।
  • धारा 152 में भारत की ,संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कार्य शामिल है।और धारा 152 (2) में दंगा आदि को दबाते समय लोक सेवक पर हमला करना या उसके काम में बाधा डालना दंडनीय है।
  • धारा 197 (1) क्लॉज D में राष्ट्रीय अखंडता पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला कोई लांछन लगाना या कोई भाषण देना, कोई बात करना अपराध है।
  • धारा 304 के तहत स्नैचिंग को अपराध माना गया है।  
  • धारा 324 (3) के तहत किसी के साथ बुरी तरह शरारत करने को जोड़ा गया है।
  • धारा 341 (3) और (4) के तहत धारा जालसाजी के इरादे से नकली मुहर आदि बनाना या रखना दंडनीय है।

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