IPC की जगह लेगा अब BNS : भारतीय न्याय संहिता में 'कम्युनिटी सर्विस' का प्रावधान, इन अपराधों के सजा के तौर पर करनी होगी 'समाज सेवा'

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Jun 30, 2024 13:09

भारतीय न्याय संहिता के लागू होने के बाद से क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में बड़ा बदलाव हो जाएगा। कुछ अपराध जोड़े गए कुछ खत्म किए गए है, कई सारे बड़े बदलावों में  यह भी शामिल है कि पहली बार सजा के तौर पर कम्युनिटी सर्विस को जोड़ा गया है...

UPT News Desk : साल 1860, ब्रिटिश समय में बनी इंडियन पीनल कोड (आईपीसी) खत्म होने वाली है।  इसकी जगह अब 1 जुलाई से भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) लागू होगी। इसे लेकर कई लोगों का एक ही सवाल है कि आखिरी ये बदलाव क्यों हो रहा है। इस पर सरकार का कहना है कि बदलते वक्त के साथ सुधार होना चाहिए। मौजूदा समय के जरूरत के हिसाब से बदलाव होना चाहिए।


भारतीय न्याय संहिता IPC को रिप्लेस करेगी। इसमें पहले की 511 धाराओं के स्थान पर अब 356 धाराएं होंगी। 175 धाराओं में बदलाव किया गया है, 8 नई धाराएं जोड़ी गई हैं और 22 धाराओं को निरस्त किया गया है। इसी तरह कई सारी धाराओं को हटाया गया है, कईयों में बदलाव किया गया है और कई धाराएं नई जोड़ी गई हैं। बता दें कि भारतीय न्याय संहिता के लागू होने के बाद से क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में बड़ा बदलाव हो जाएगा। कुछ अपराध जोड़े गए कुछ खत्म किए गए है, कई सारे बड़े बदलावों में  यह भी शामिल है कि पहली बार सजा के तौर पर कम्युनिटी सर्विस को जोड़ा गया है।

पुण्य से सजा बन गया समाज सेवा
भारतीय न्याय संहिता में एक नई सजा 'कम्युनिटी सर्विस' भी जोड़ी गई है। बीएनएस की धारा 4(f) में 'कम्युनिटी सर्विस' की सजा जोड़ी गई है। इसे इसलिए जोड़ा गया है ताकि जेलों में कैदियों की संख्या कम की जा सके, इसलिए कम्युनिटी सर्विस की सजा को कानूनी दर्जा दिया गया है। बता दें कि आईपीसी की धारा 53 में पांच तरह की सजाएं बताई गई हैं। इनमें सजा-ए-मौत, उम्रकैद, कठोर या सामान्य कारावास, संपत्ति की जब्ती और जुर्माना शामिल है।

 बीएनएस की धारा 23 में कम्युनिटी सर्विस की सजा को परिभाषित किया गया है। कम्युनिटी सर्विस की सजा छोटे-मोटे अपराधों में दोषी पाए जाने पर दी जाएगी। यानी, आत्महत्या की कोशिश करना, सरकारी सेवक के काम में बाधा डालना, छोटी-मोटी चोरी, शराब पीकर हुड़दंग मचाना और मानहानि जैसे अपराधों में लोगों की सेवा करने की सजा मिल सकती है।

बीएनएस के मुताबिक कोर्ट किसी दोषी को कम्युनिटी सर्विस की सजा भुगतने का आदेश दे सकती है, जिससे लोगों को फायदा है। इस सजा में दोषी को कोई मेहनताना नहीं मिलेगा। कम्युनिटी सर्विस में किसी एनजीओ के लिए काम करना होगा, किसी सामुदायिक संस्था के साथ काम करना, साफ-सफाई करना, पब्लिक प्लेस से कचरा उठाना या फिर कुछ ऐसा काम करना जिससे जनता की भलाई हो सके, शामिल होगा।

किन अपराधों के लिए मिलेगी समाज सेवा की सजा

धारा 202: कोई भी सरकारी कर्मचारी  किसी तरह के कारोबार में शामिल होते दोषी पाया जाता है तो उसे 1 साल की जेल या जुर्माना या दोनों की सजा या फिर कम्युनिटी सर्विस करने की सजा मिल सकती है।

धारा 209: कोर्ट के समन पर अगर कोई आरोपी या व्यक्ति पेश नहीं होता है तो अदालत उसे तीन साल तक की जेल या जुर्माना या दोनों की सजा या कम्युनिटी सर्विस की सजा सुना सकती है।

धारा 226: अगर कोई व्यक्ति किसी सरकारी सेवक की काम में बाधा डालने के मकसद से आत्महत्या की कोशिश करता है तो एक साल तक की जेल, जुर्माना, दोनों या फिर कम्युनिटी सर्विस की सजा दी जा सकती है।

धारा 303: पांच हजार रुपये से कम कीमत की संपत्ति की चोरी करने पर अगर किसी को पहली बार दोषी ठहराया जाता है तो संपत्ति लौटाने पर उसे कम्युनिटी सर्विस की सजा दी जा सकती है।

धारा 355: अगर कोई व्यक्ति नशे की हालत में सार्वजनिक स्थान पर हुड़दंग मचाता है तो ऐसा करने पर उसे 24 घंटे की जेल, एक हजार रुपये तक का जुर्माना, दोनों या फिर कम्युनिटी सर्विस की सजा मिल सकती है।

धारा 356: अगर कोई व्यक्ति बोलकर, लिखकर, इशारे से या किसी भी तरीके से दूसरे व्यक्ति की प्रतिष्ठा और सम्मान को ठेस पहुंचाता है तो मानहानि के कुछ मामलों में दोषी को 2 साल तक की जेल , जुर्माना, दोनों या कम्युनिटी सर्विस की सजा दी जा सकती है।

कितने समय की होगी ये सजा?
भारतीय न्याय संहिता के मुताबिक, अगर किसी अपराध में जुर्माना या कम्युनिटी सर्विस की सजा का प्रावधान है तो जुर्माना न देने पर कम्युनिटी सर्विस की सजा दी जाएगी। अगर जुर्माने की रकम 5 हजार है तो 2 महीने सेवा करनी होगी। 10 हजार का जुर्माना होने पर 4 महीने कम्युनिटी सर्विस करना होगा। कुछ मामलों में एक साल तक कम्युनिटी सर्विस करने की सजा भी हो सकती है।

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