चुनाव नियमों में सरकार ने किया बदलाव : इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों के सार्वजनिक निरीक्षण पर लगाई रोक, जानें किन कारणों के चलते उठाया ये कदम

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Dec 22, 2024 13:37

केंद्र सरकार ने चुनाव से जुड़े महत्वपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों के सार्वजनिक निरीक्षण पर रोक लगा दी है। अब आम लोग सीसीटीवी कैमरा फुटेज, वेबकास्टिंग फुटेज और उम्मीदवारों की वीडियो रिकॉर्डिंग जैसे दस्तावेज नहीं देख सकेंगे।

New Delhi : केंद्र सरकार ने चुनाव से जुड़े महत्वपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों के सार्वजनिक निरीक्षण पर रोक लगा दी है। अब आम लोग सीसीटीवी कैमरा फुटेज, वेबकास्टिंग फुटेज और उम्मीदवारों की वीडियो रिकॉर्डिंग जैसे दस्तावेज नहीं देख सकेंगे। सरकार ने यह कदम ऐसे दस्तावेजों के दुरुपयोग को रोकने के उद्देश्य से उठाया है। इस फैसले के बाद केवल उम्मीदवारों को इन दस्तावेजों तक पहुंचने की अनुमति होगी।

नियम 93 में किया गया संशोधन
निर्वाचन आयोग की सिफारिश पर केंद्रीय विधि मंत्रालय ने चुनाव संचालन नियम, 1961 के नियम 93 में संशोधन किया है। पहले नियम 93 के तहत चुनाव से जुड़े सभी दस्तावेज सार्वजनिक निरीक्षण के लिए उपलब्ध कराए जाते थे। संशोधन के बाद सीसीटीवी फुटेज, वेबकास्टिंग फुटेज और उम्मीदवारों की वीडियो रिकॉर्डिंग जैसे इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज आम जनता के लिए उपलब्ध नहीं होंगे। हालांकि, उम्मीदवार और उनके अधिकृत एजेंट इन दस्तावेजों को देख सकेंगे।

अदालती मामलों से प्रेरित बदलाव
विधि मंत्रालय और निर्वाचन आयोग के अधिकारियों ने बताया कि यह बदलाव अदालत के एक आदेश के बाद किया गया है। हाल ही में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने निर्वाचन आयोग को हरियाणा विधानसभा चुनाव से संबंधित आवश्यक दस्तावेज एक याचिकाकर्ता को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था। इस मामले में वीडियोग्राफी, सीसीटीवी कैमरा फुटेज और अन्य दस्तावेजों की मांग की गई थी।



गोपनीयता और एआई से छेड़छाड़ की चिंता
निर्वाचन आयोग के एक अधिकारी ने बताया कि मतदान केंद्रों पर रिकॉर्ड की गई सीसीटीवी फुटेज का इस्तेमाल मतदाता गोपनीयता को नुकसान पहुंचाने के लिए किया जा सकता है। इसके अलावा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की मदद से इस फुटेज का उपयोग फर्जी नैरेटिव बनाने के लिए किया जा सकता है। ऐसे मामलों को रोकने के लिए यह संशोधन आवश्यक था।

दस्तावेज पाने के लिए अदालत का रुख जरूरी
अब आम नागरिकों को इन दस्तावेजों को पाने के लिए अदालतों का सहारा लेना होगा। जबकि, उम्मीदवारों और उनके प्रतिनिधियों के लिए ये दस्तावेज अब भी उपलब्ध रहेंगे। सरकार के इस कदम का उद्देश्य चुनाव प्रक्रिया की गोपनीयता को बनाए रखना और गलत सूचना फैलाने की संभावनाओं को रोकना है। लेकिन इससे चुनावी पारदर्शिता और आम जनता की जानकारी तक पहुंच को लेकर सवाल खड़े हो सकते हैं।

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