सुप्रीम कोर्ट से पूर्व नौकरशाहों की अपील : गाजियाबाद की धर्म संसद पर रोक लगाई जाए, मुसलमानों के नरसंहार का आह्वान

UPT | सुप्रीम कोर्ट

Dec 16, 2024 15:20

गाजियाबाद में आयोजित होने वाली विवादित धर्म संसद पर रोक लगाने की मांग को लेकर कई पूर्व नौकरशाहों और सिविल सोसायटी के सदस्यों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

New Delhi : गाजियाबाद में आयोजित होने वाली विवादित धर्म संसद पर रोक लगाने की मांग को लेकर कई पूर्व नौकरशाहों और सिविल सोसायटी के सदस्यों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। याचिका में यति नरसिंहानंद और अन्य पर मुसलमानों के खिलाफ नफरत फैलाने वाले भाषण देने का आरोप लगाया गया है। यह धर्म संसद गाजियाबाद के डासना स्थित शिव-शक्ति मंदिर परिसर में मंगलवार से शुरू होनी है।

पूर्व नौकरशाहों ने सुप्रीम कोर्ट से लगाई गुहार
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने मामले को प्रधान न्यायाधीश (CJI) जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया। उन्होंने धर्म संसद पर तत्काल रोक लगाने की अपील की, क्योंकि इसका आयोजन शीघ्र शुरू होने वाला है। प्रशांत भूषण ने कहा कि इस आयोजन में मुसलमानों के नरसंहार का सार्वजनिक आह्वान किया गया है। सीजेआई खन्ना ने याचिकाकर्ताओं को निर्देश दिया कि वे इस मामले को ईमेल के जरिए सूचीबद्ध करवाएं।

2022 के आदेश का हवाला
याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने 2022 में नफरत फैलाने वाले भाषणों पर स्वत: संज्ञान लेकर कार्रवाई करने का आदेश दिया था। याचिकाकर्ताओं ने उत्तर प्रदेश पुलिस और जिला प्रशासन पर इन आदेशों की अवहेलना का आरोप लगाते हुए अवमानना याचिका दायर की है। यति नरसिंहानंद पर पहले भी सांप्रदायिक भाषण देने और हिंसा भड़काने के आरोप लगते रहे हैं।



हरिद्वार की धर्म संसद के बाद उपजा विवाद
हरिद्वार में 2022 में आयोजित धर्म संसद के दौरान भी इसी तरह के भाषणों पर विवाद हुआ था। इस मामले में नरसिंहानंद और अन्य के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज किए गए थे। गाजियाबाद में आयोजित हो रही इस नई धर्म संसद के प्रचार सामग्री और वेबसाइट पर भी इस्लाम विरोधी बयान और सामग्री होने का आरोप है।

याचिकाकर्ताओं की मांग
याचिकाकर्ताओं में सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी अशोक कुमार शर्मा, पूर्व आईएफएस अधिकारी देब मुखर्जी और सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा रॉय शामिल हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि इस आयोजन पर रोक लगाई जाए, क्योंकि इससे सांप्रदायिक हिंसा भड़कने का खतरा है। कोर्ट ने मामले पर विचार करने की बात कही है, और याचिका पर सुनवाई शीघ्र होने की संभावना है।

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