16 दिसंबर को ही क्यों मनाया जाता है विजय दिवस : जानें इस गौरवपूर्ण दिन का इतिहास और महत्व, हर भारतीय के लिए बेहद खास है यह तारीख

UPT | Symbolic Image

Dec 15, 2024 19:02

हर साल 16 दिसंबर के दिन भारत बड़ी ही शान से विजय दिवस मनाता है। इस दिन का भारत के इतिहास में काफी खास महत्व है।  क्योंकि इसी दिन 1971 में भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ ऐतिहासिक युद्ध जीतकर बांग्लादेश को स्वतंत्रता दिलाई थी।

Short Highlights
  • पाकिस्तान के खिलाफ ऐतिहासिक युद्ध जीतकर बांग्लादेश को दिलाई स्वतंत्रता
  • वीर सैनिकों और नागरिकों को श्रद्धांजलि देने का दिन
  • 13 दिनों तक चली लड़ाई के बाद मिली ऐतिहासिक जीत
Vijay Diwas 2024 : हर साल 16 दिसंबर के दिन भारत बड़ी ही शान से विजय दिवस मनाता है। इस दिन का भारत के इतिहास में काफी खास महत्व है। क्योंकि इसी दिन 1971 में भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ ऐतिहासिक युद्ध जीतकर बांग्लादेश को स्वतंत्रता दिलाई थी। इस युद्ध में भारतीय सशस्त्र बलों और बांग्लादेशी मुक्ति वाहिनी ने अद्वितीय साहस और संघर्ष का परिचय दिया, जिसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश का अस्तित्व स्थापित हुआ। विजय दिवस उन वीर सैनिकों और नागरिकों को श्रद्धांजलि देने का दिन है जिन्होंने इस संघर्ष में अपनी जान कुर्बान कर दी। यह दिन न केवल भारत की सैन्य शक्ति का प्रतीक है, बल्कि उन बलिदानों की भी याद दिलाता है जिन्होंने देश की जीत में अहम योगदान दिया।

13 दिनों तक चली लड़ाई
3 दिसंबर 1971 को भारत-पाकिस्तान युद्ध शुरू हुआ, जो 13 दिनों तक चला और 16 दिसंबर को अपने ऐतिहासिक समापन पर पहुंचा। 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान की सेना ने भारतीय सेना और बांग्लादेशी मुक्ति वाहिनी के सामने ढाका में आत्मसमर्पण कर दिया। इस युद्ध के अंत में लगभग 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया, जो किसी भी युद्ध में अब तक का सबसे बड़ा आत्मसमर्पण माना जाता है। इसी दिन जनरल नियाजी ने आत्मसमर्पण के कागजों पर हस्ताक्षर किए और अपनी रिवाल्वर जनरल अरोड़ा के हवाले की, जब उनकी आंखों में आंसू थे। यह दिन भारत की ऐतिहासिक विजय और पाकिस्तान की हार का प्रतीक बन गया, जिसे हर साल विजय दिवस के रूप में याद किया जाता है।


ऐसे हुई थी युद्ध की शुरुआत
बंटवारे के बाद पाकिस्तान के पूर्वी हिस्से, जिसे आज बांग्लादेश कहा जाता है, में सांस्कृतिक और राजनीतिक भेदभाव के कारण तनाव बढ़ गया था। पाकिस्तान द्वारा पूर्वी हिस्से में नरसंहार, बलात्कार और मानवाधिकारों का उल्लंघन करने में पाकिस्तान ने सारी हदें पार कर दी थी। इसी के चलते  26 मार्च, 1971 को पहली बार वहां के लोगों ने स्वतंत्रता की मांग की, लेकिन पाकिस्तान ने इसपर दमनकारी नीति अपनाई। ऐसे में मानवता के खातिर भारत ने बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम का समर्थन किया, जो पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में बदल गया।

भारत की भूमिका
इस युद्ध के बाद भारत ने न केवल बांग्लादेश को सैन्य सहायता प्रदान की, बल्कि लाखों शरणार्थियों को भी शरण दी, जो पाकिस्तान की सेना की हिंसा से बचकर आए थे। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में भारत ने निर्णायक भूमिका निभाई थी, और इस दिन को भारत की सैन्य ताकत और कूटनीतिक नेतृत्व का प्रतीक माना जाता है। विजय दिवस के दिन भारत के सैन्य प्रतिष्ठानों में परेड और श्रद्धांजलि समारोह आयोजित किए जाते हैं, जहां सैनिकों के अदम्य साहस को सलाम किया जाता है और उन वीर सैनिकों और नागरिकों को श्रद्धांजलि दी जाती है जिन्होंने इस युद्ध में अपनी जान कुर्बान की।

Also Read