भारत को बड़ी सफलता : मुंबई हमले के आरोपी तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण का रास्ता साफ, अमेरिकी कोर्ट ने दी मंजूरी

UPT | मुंबई हमले का आरोपी तहव्वुर राणा

Jan 01, 2025 16:59

26/11 मुंबई आतंकी हमले के दोषी तहव्वुर राणा को भारत लाने का रास्ता अब साफ हो चुका है। अमेरिकी अदालत ने राणा की प्रत्यर्पण प्रक्रिया को मंजूरी दे दी है, जिससे भारतीय एजेंसियां अब उसे कानून के दायरे में लाकर न्याय दिलाने की प्रक्रिया शुरू कर सकती हैं।

New Delhi News : 26/11 मुंबई आतंकी हमले के दोषी पाकिस्तानी मूल के कनाडाई व्यवसायी तहव्वुर राणा को भारत लाने का रास्ता अब साफ हो चुका है। अमेरिकी अपील न्यायालय के एक न्यायाधीशों के पैनल ने उसे भारत प्रत्यर्पित करने के आदेश पर मुहर लगाई है। यह फैसला भारत के लिए एक महत्वपूर्ण क़दम है, क्योंकि इसमें भारत में हुई सबसे भयंकर आतंकी घटना के दोषी की जिम्मेदारी तय की गई है। 

इस फैसले के साथ ही अब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को राणा की भूमिका की जांच करने और उसके खिलाफ कानूनी प्रक्रिया पूरी करने का मौका मिलेगा। राणा पर आरोप है कि उसने मुंबई में 26 नवंबर 2008 को हुए आतंकी हमलों में अहम भूमिका निभाई थी, और वह लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी संगठन से जुड़ा हुआ था।

26/11 हमलों का संदर्भ और राणा की भूमिका
26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकवादी हमले में पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने बर्बरतापूर्वक हमला किया था। इस हमले में 170 से अधिक लोग मारे गए थे और सैकड़ों लोग घायल हो गए थे। इन हमलों में समुद्र मार्ग के जरिए आतंकवादियों को मुंबई लाया गया था। 

तहव्वुर राणा पर यह आरोप है कि उसने डेविड कोलमेन हेडली के साथ मिलकर इस हमले की योजना बनाई थी। हेडली, जोकि एक पाकिस्तानी-अमेरिकी नागरिक था, ने हमले के लिए मुंबई की रेकी की थी और हमले की योजना में राणा का सहयोग था। राणा ने हेडली के लिए वित्तीय और रसद सहायता प्रदान की थी। इसके अलावा, राणा को यह भी पता था कि हेडली लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा हुआ था और वह आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त था।

अमेरिकी अदालत का आदेश 
अमेरिकी अपील न्यायालय के न्यायाधीशों के एक पैनल ने राणा की प्रत्यर्पण याचिका पर अपना फैसला सुनाया। राणा ने एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी, जिसमें उसने दावा किया था कि उसके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है और उसे भारत नहीं भेजा जा सकता। लेकिन अमेरिकी न्यायालय ने इस याचिका को खारिज कर दिया और यह स्पष्ट किया कि राणा को भारत प्रत्यर्पित किया जा सकता है।

एनआईए अधिकारियों के अनुसार, अब भारत और अमेरिका के राजनयिक चैनलों के माध्यम से राणा की प्रत्यर्पण प्रक्रिया को शुरू किया जाएगा। एनआईए की जांच में यह बात सामने आई थी कि राणा ने न केवल आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा दिया था, बल्कि वह इन हमलों को अंजाम देने में मुख्य भूमिका निभाने वाले आतंकवादियों के लिए एक अहम कड़ी भी था।

भारत ने जारी किया था इंटरनेशनल गिरफ्तारी वारंट 
भारत ने राणा के खिलाफ इंटरनेशनल गिरफ्तारी वारंट भी जारी किया था और एनआईए ने राणा के खिलाफ आरोप पत्र भी दायर किया था। आरोप पत्र में यह कहा गया कि राणा ने हेडली के संपर्कों को सहयोग दिया था, और वह पूरी साजिश के बारे में जानता था। 

अमेरिकी अभियोजकों ने यह भी कहा कि राणा ने यह जानते हुए कि हेडली लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा है, उसे सहयोग दिया और मुंबई हमले के बारे में उसे कवर किया। राणा का यह कदम न केवल आतंकवादियों की सहायता करने का था, बल्कि उसने जानबूझकर एक खतरनाक आतंकी योजना को बढ़ावा दिया।

हेडली ने प्रमुख स्थानों की थी रेकी  
एनआईए के आरोप पत्र में यह भी बताया गया कि हेडली ने मुंबई हमले की योजना बनाने से पहले प्रमुख स्थानों की रेकी की थी। हेडली ने दिल्ली, पुष्कर, गोवा और पुणे में चबाड हाउस सहित अन्य महत्वपूर्ण स्थानों का दौरा किया था। राणा पर आरोप है कि उसने हेडली को इस रेकी के लिए सहायता प्रदान की थी और हमले के लिए उसे वित्तीय और अन्य संसाधनों का समर्थन दिया था। हेडली और राणा दोनों का कनेक्शन लश्कर-ए-तैयबा से था, और उनका यह गठजोड़ आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए खतरनाक था। इस मामले में हाफिज सईद, जकी-उर-रहमान लखवी, और अन्य आतंकवादियों का भी नाम शामिल है। ये सभी आतंकी मिलकर 26/11 के हमले की साजिश का हिस्सा थे।

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