'वन नेशन, वन इलेक्शन' बिल पेश : व्हिप के बाद भी गायब रहे 20 से अधिक बीजेपी सांसद, पार्टी भेजेगी नोटिस

UPT | संसद

Dec 17, 2024 19:15

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपने सांसदों के लिए व्हिप जारी किया था, जिसमें उन्हें संसद में उपस्थित रहने के लिए कहा गया था। इसके बावजूद 20 से अधिक सांसद अनुपस्थित रहे...

New Delhi News : संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान मंगलवार को "वन नेशन, वन इलेक्शन" बिल पेश किया गया। इससे पहले भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपने सांसदों के लिए व्हिप जारी किया था, जिसमें उन्हें संसद में उपस्थित रहने के लिए कहा गया था। इसके बावजूद 20 से अधिक सांसद अनुपस्थित रहे, जिसे लेकर पार्टी ने नाराजगी जताई है। अब बीजेपी उन सांसदों से जवाब तलब करने की तैयारी कर रही है, जो मतदान के समय उपस्थित नहीं थे। इस अवसर पर, अनुपस्थित रहने वाले सांसदों को नोटिस भी भेजे गए हैं।

विपक्ष ने वोट विभाजन की मांग की
दरअसल, इससे पहले केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने के लिए संविधान संशोधन विधेयक पेश किया। उन्होंने लोकसभा में संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024 और केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 पेश करने का प्रस्ताव रखा। विधेयक के पेश होने के बाद विपक्ष ने वोट विभाजन की मांग की और इसके पक्ष में 269 और विपक्ष में 198 वोट पड़े। इसके बाद कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस के सांसदों ने इस विधेयक पर तीखे हमले किए।



बीजेपी और विपक्ष ने जारी किए थे तीन-लाइन व्हिप
वहीं बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही प्रमुख दलों ने विधेयक पेश होने से पहले अपने सभी सांसदों को तीन-लाइन का व्हिप जारी किया था। इसके अलावा, बीजेपी के सहयोगी दल जैसे तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) और शिवसेना (शिंदे गुट) ने भी अपने सांसदों को व्हिप जारी किया था, ताकि वे विधेयक के प्रस्ताव के समय सदन में मौजूद रहें। इसके बावजूद, कुछ सांसद अनुपस्थित रहे, जिससे पार्टी को असंतोष हुआ है।

इन सांसदों को भेजा गया नोटिस
बीजेपी ने जिन सांसदों को नोटिस भेजा है, उनमें जगदंबिका पाल, शांतुनु ठाकुर, बीएस राघवेंद्र, गिरीराज सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया, विजय बघेल, भागीरथ चौधरी (जो प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में जयपुर में थे), उदयराजे भोंसले, जयंत कुमार रॉय और जगन्नाथ सरकार शामिल हैं। इन सांसदों की अनुपस्थिति पर पार्टी ने आपत्ति जताई है, क्योंकि व्हिप जारी होने के बावजूद वे सदन में नहीं पहुंचे।

दो-तिहाई सांसदों का समर्थन आवश्यक
विधेयक के पारित होने के लिए संविधान के नियमों के तहत, दो-तिहाई सांसदों का समर्थन आवश्यक होता है। कांग्रेस ने बताया कि संविधान संशोधन विधेयक पर मतदान में 461 सांसदों ने हिस्सा लिया था, जिसमें से 307 सांसदों को पक्ष में मतदान करना होता, लेकिन केवल 269 सांसदों ने मतदान किया। कांग्रेस ने इसे समर्थन की कमी मानते हुए कहा कि विधेयक को पर्याप्त समर्थन नहीं मिला है और कई दलों ने इसका विरोध किया है।

कितने सांसदों का मिला समर्थन
गौरतलब है कि लोकसभा में यह बिल पेश करने के पक्ष में 269 वोट पड़े, जबकि विपक्ष में 198 वोट थे। इसके बाद, पर्चे से मतदान हुआ और अंत में यह विधेयक लोकसभा में पेश किया गया। एक साथ चुनाव कराने के प्रस्ताव को लेकर पिछले साल सितंबर में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई थी, जिसने मार्च में अपनी रिपोर्ट सौंपी। इस साल सितंबर में मोदी कैबिनेट ने इस रिपोर्ट को मंजूरी दी थी, जिसमें लोकसभा, विधानसभा और पंचायत चुनावों को एक साथ कराने का सुझाव दिया गया था।

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