महिला दिवस विशेष : साध्वी निरंजन ज्योति ने 21 साल की उम्र में लिया संयास, फिर कथा वाचक से बन गई बीजेपी की सांसद

UPT | साध्वी निरंजन ज्योति

Mar 09, 2024 10:09

आधुनिक महिलाएं पुराने रीति रिवाजों और मिथकों को तोड़कर न सिर्फ आगे बढ़ रही हैं बल्कि अपने दम पर सफलता की कहानी भी गढ़ रही है। इसके साथ ही लोगों के लिए...

New Delhi News : आधुनिक महिलाएं पुराने रीति रिवाजों और मिथकों को तोड़कर न सिर्फ आगे बढ़ रही हैं बल्कि अपने दम पर सफलता की कहानी भी गढ़ रही है। इसके साथ ही लोगों के लिए मिसाल भी कायम कर रही हैं। ऐसे तमाम उदाहरण दुनिया में हर जगह हैं फिर भला हमारा उत्तर प्रदेश कैसे पीछे रह सकता है। बता दें कि हमीरपुर में जन्मी साध्वी निरंजन ज्योति की कहानी भी काफी अलग है। भारतीय जनता पार्टी ने 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए अपनी पहली सूची जारी कर दी है। जिसमें फतेहपुर लोकसभा सीट से तीसरी बार साध्वी निरंजन ज्योति को भाजपा ने अपना उम्मीदवार बनाया है।

21 साल की उम्र में लिया संयास
साध्वी निरंजन ज्योति का जन्म 1967 में यूपी के हमीरपुर जिले के पतिउरा में मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था। उन्होंने 12वीं तक पढ़ाई की है। 21 साल की उम्र में स्वामी अच्युतानंद से गुरुदीक्षा लेकर संयास ले लिया। वह विश्व हिंदू परिषद में केंद्रीय सहमंत्री भी रही हैं। साध्वी निरंजन ज्योति निषाद समुदाय से आती हैं और यूपी में भगवा ब्रिगेड का चेहरा मानी जाती हैं।

बेबाक नेता के रूप में बनी पहचान
निरंजन ज्योति दुर्गा वाहिनी और विश्व हिंदू परिषद से होते हुए बीजेपी में आई हैं। इस दौरान उनकी छवि तेज-तर्रार और बेबाक नेता की रही। इसके बाद राम मंदिर आंदोलन के जरिए उन्हें अच्छी पहचान मिली। इसके बाद विश्व हिंदू परिषद में आईं। साध्वी निरंजन ज्योति गेरुआ वस्त्र धारण करती हैं और प्रवचन भी देती हैं। वह कई धार्मिक और सामाजिक संस्थाओं से जुड़ी हैं।

पिछड़े समुदाय का करती प्रतिनिधित्व
निरंजन ज्योति ने 2002 से हर विधानसभा चुनाव में भाग लिया है लेकिन 2012 में उन्हें जीत हासिल हुई। सबसे पहले, ज्योति ने 2012 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में हमीरपुर सीट जीती थी। इसके बाद 2014 के आम चुनाव में फतेहपुर सीट से मैदान में उतरी और जीत दर्ज कर संसद पहुंची। भगवा वस्त्र और माथे पर तिलक लगाकर उन्होंने अपनी एक अलग पहचान बनाई है। हालाँकि, वह लो-प्रोफाइल रहती हैं और यूपी में बुन्देलखंड क्षेत्र के पिछड़े समुदाय का प्रतिनिधित्व करती हैं। उन्होंने पिछड़े निषाद समुदाय से संबंधित विभिन्न मुद्दे उठाए।

मोदी सरकार ने उन्हें केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री की जिम्मेदारी दी। उमा भारती के बाद वह केंद्रीय मंत्री के पद तक पहुंचने वाली देश की दूसरी साध्वी हैं। कानपुर देहात में उनका अपना आश्रम है। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने एक बार फिर उन पर दांव खेला और साध्वी ने चुनाव जीतकर उसे सही साबित किया। बीजेपी ने उन्हें मंत्री पद की जिम्मेदारी देकर यूपी में निषाद समाज के समीकरण को साधने की भी कोशिश की है।

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