इलाहाबाद हाइकोर्ट का बड़ा फैसला : इरफान सोलंकी को जमानत, लेकिन विधायकी बहाल नहीं, सीसामऊ सीट पर उपचुनाव होगा

UPT | इरफान सोलंकी को जमानत

Nov 14, 2024 11:14

इलाहाबाद हाइकोर्ट का बड़ा फैसला : इरफान सोलंकी को जमानत, लेकिन विधयकी बहाल नहीं, सीसामऊ सीट पर उपचुनाव होगा

Prayagraj News : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गुरुवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में कानपुर के पूर्व विधायक और समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता इरफान सोलंकी की जमानत मंजूर कर ली। हालांकि, कोर्ट ने सोलंकी की विधायक पद को बहाल नहीं किया है। इस फैसले के साथ ही अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार की उस अपील को भी खारिज कर दिया, जिसमें सोलंकी की सजा बढ़ाने की मांग की गई थी।

जानिए क्या था मामला
इरफान सोलंकी कानपुर से समाजवादी पार्टी के विधायक रहे हैं। 2022 में एक गंभीर आपराधिक मामले में सजा सुनाई गई थी। उन्हें सरकारी कर्मचारी को धमकाने और उनका शोषण करने के आरोप में दोषी पाया गया था। इस मामले में उनकी सजा के बाद सरकार ने उनकी सजा को बढ़ाने की अपील इलाहाबाद हाई कोर्ट में की थी लेकिन कोर्ट ने इस अपील को खारिज कर दिया। 

जमानत का फैसला
हाई कोर्ट ने इरफान सोलंकी की जमानत याचिका को स्वीकार करते हुए उन्हें बेल दे दी, लेकिन यह स्पष्ट किया कि उनकी विधायक की सदस्यता बहाल नहीं की जाएगी। इसके साथ ही अदालत ने यह भी कहा कि सोलंकी के खिलाफ दायर अन्य मामलों की सुनवाई और फैसले जारी रहेंगे। 

सरकार की अपील को किया खारिज
राज्य सरकार ने इरफान सोलंकी की सजा को बढ़ाने के लिए हाई कोर्ट में एक अपील दाखिल की थी लेकिन कोर्ट ने सरकार की इस मांग को खारिज कर दिया। कोर्ट ने सरकार के तर्कों को मानने से इंकार करते हुए सोलंकी की सजा में कोई बदलाव करने से मना कर दिया। 

विधायक पद की बहाली नहीं
हालांकि इरफान सोलंकी को जमानत मिल गई है लेकिन उनकी विधायक की सदस्यता को लेकर कोई आदेश नहीं दिया गया। कोर्ट ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की, जिससे यह स्पष्ट है कि सोलंकी का विधायक पद फिलहाल बहाल नहीं किया जाएगा। उनका मामला कानूनी प्रक्रिया के तहत ही आगे बढ़ेगा और अगर अदालत के आदेश के अनुसार उन्हें सजा पूरी करनी होती है तो वह उसी के तहत उनकी सदस्यता की स्थिति पर निर्णय लिया जाएगा।

कानपुर की सीसामऊ सीट पर उपचुनाव का रास्ता साफ
इरफान सोलंकी की जमानत के बावजूद उनकी विधायकी बहाल नहीं होगी। इससे सीसामऊ विधानसभा सीट पर उपचुनाव की स्थिति स्पष्ट हो गई है। उच्च न्यायालय के इस फैसले से अब 20 नवंबर को होने वाले उपचुनाव का मार्ग प्रशस्त हो गया है। इस चुनाव में सोलंकी की विधायकी की बहाली नहीं हो पाएगी और उनकी सीट पर नए उम्मीदवारों के बीच प्रतिस्पर्धा होगी।

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