Prayagraj News : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रधानमंत्री मोदी के निर्वाचन के खिलाफ याचिका पर याची को कानूनी राय लेने का समय दिया

UPT | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी।

Sep 21, 2024 14:10

याचिका पहली बार 3 सितंबर को अदालत के सामने पेश की गई थी, लेकिन इसे चुनावी समय सीमा से 19 दिन बाद दाखिल किया गया था। इस देरी के कारण, अदालत ने याची से पूछा कि क्या वह इस संबंध में कानूनी राय लेना चाहते हैं। याची ने समय की मांग…

Prayagraj News : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2019 लोकसभा चुनाव में वाराणसी से निर्वाचन के खिलाफ दाखिल की गई चुनाव याचिका पर याची को कानूनी राय लेने के लिए समय प्रदान किया है। इसके साथ ही अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 18 अक्टूबर 2024 की तारीख निर्धारित की है। यह आदेश न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह द्वारा दिया गया, जिन्होंने याची विजय नंदन की याचिका पर सुनवाई की। विजय नंदन ने 2019 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी से पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ा था।

देरी के कारण याचिका पर कानूनी सवाल
याचिका पहली बार 3 सितंबर को अदालत के सामने पेश की गई थी, लेकिन इसे चुनावी समय सीमा से 19 दिन बाद दाखिल किया गया था। इस देरी के कारण, अदालत ने याची से पूछा कि क्या वह इस संबंध में कानूनी राय लेना चाहते हैं। याची ने समय की मांग की, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया और मामले की सुनवाई को 18 अक्टूबर तक स्थगित कर दिया।

याचिका का उद्देश्य
विजय नंदन ने अपनी याचिका में पीएम मोदी के निर्वाचन को चुनौती दी है। याचिका में दावा किया गया है कि उनके नामांकन को जिला निर्वाचन अधिकारी ने गलत तरीके से खारिज कर दिया था। विजय नंदन, जो कि मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के रहने वाले हैं और जनहित पार्टी से जुड़े हैं, ने आरोप लगाया कि उनके नामांकन पत्र को गलत कारणों से रद्द किया गया, जिससे उन्हें चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिला।

याचिका में मांगी गई राहत
विजय नंदन की याचिका में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का निर्वाचन रद्द करने, उनके (विजय नंदन) नामांकन को वैध करार देकर वाराणसी सीट पर पुनः चुनाव कराने और उन्हें उचित मुआवजा प्रदान करने की मांग की गई है। साथ ही, याचिका में निर्वाचन अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करने की भी गुहार लगाई गई है, जिन्होंने विजय नंदन के नामांकन को खारिज किया था। इस मामले में अदालत का अगला कदम और सुनवाई के दौरान पेश किए गए कानूनी तर्क महत्वपूर्ण होंगे, क्योंकि यह याचिका देश के प्रधानमंत्री के निर्वाचन को चुनौती देती है। 

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