Prayagraj News : महाकुंभ में मकर संक्रांति पर अमृत स्नान का क्या है महत्व? जानिए यहां

UPT | मकर संक्रांति पर संगम में स्नान करते श्रद्धालु

Jan 14, 2025 11:20

मकर संक्रांति के दिन संगम में अमृत स्नान को अत्यधिक महत्व दिया जाता है। यह दिन और स्नान आध्यात्मिक उत्थान, पापों से मुक्ति और मोक्ष प्राप्ति का प्रतीक माना जाता है।

Prayagraj News : महाकुंभ का आयोजन हर 12 वर्षों में होता है और यह भारत की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और धार्मिक परंपरा का अद्वितीय प्रतीक है। इस आयोजन के दौरान मकर संक्रांति के दिन संगम में अमृत स्नान को अत्यधिक महत्व दिया जाता है। यह दिन और स्नान आध्यात्मिक उत्थान, पापों से मुक्ति और मोक्ष प्राप्ति का प्रतीक माना जाता है।

सूर्य का मकर राशि में प्रवेश 
मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। यह खगोलीय घटना सौर ऊर्जा में सकारात्मक बदलाव और जीवन में प्रकाश और नई ऊर्जा लाने का प्रतीक है। मकर संक्रांति से सूर्य उत्तरायण (उत्तर की ओर गति) हो जाता है। इसे शुभ काल माना जाता है और सभी धार्मिक और आध्यात्मिक कार्यों के लिए सर्वोत्तम समय माना गया है।

धर्मग्रंथों में वर्णित महत्व
हिंदू धर्मग्रंथों में मकर संक्रांति को अत्यंत पवित्र दिन कहा गया है। इस दिन संगम में स्नान करना पवित्र गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम का आशीर्वाद प्राप्त करने के समान है।

संगम और अमृत स्नान का महत्व
प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम एक दिव्य स्थल है। यह स्थान 'तीर्थराज' के नाम से प्रसिद्ध है और इसे सभी तीर्थों में सबसे श्रेष्ठ माना गया है। ऐसा माना जाता है कि महाकुंभ के दौरान संगम में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष प्राप्त होता है। मकर संक्रांति पर स्नान का महत्व इसलिए और बढ़ जाता है क्योंकि यह दिन सौर ऊर्जा और ब्रह्मांडीय शक्तियों से अत्यधिक प्रभावित होता है।
समुद्र मंथन के समय देवताओं और असुरों के बीच अमृत कलश के लिए संघर्ष हुआ था। कहा जाता है कि अमृत की कुछ बूंदें प्रयागराज सहित चार स्थानों (हरिद्वार, उज्जैन, नासिक) पर गिरी थीं। इन स्थानों पर स्नान करना व्यक्ति को अमरत्व और दिव्यता प्रदान करता है। स्कंद पुराण और अन्य ग्रंथों में उल्लेख है कि मकर संक्रांति के दिन संगम में स्नान करने से व्यक्ति सात जन्मों के पापों से मुक्त हो जाता है।

मकर संक्रांति पर अमृत स्नान के लाभ
मकर संक्रांति के दिन संगम में स्नान करने से व्यक्ति को अपने पापों से मुक्ति मिलती है और वह आध्यात्मिक शुद्धि प्राप्त करता है। इस दिन स्नान करने से व्यक्ति के शरीर और मन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। यह दिन विशेष रूप से ध्यान, पूजा और साधना के लिए उपयुक्त माना जाता है। धर्मशास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन संगम में स्नान और दान करने से व्यक्ति को असीम पुण्य की प्राप्ति होती है। मकर संक्रांति सर्दियों के अंत और गर्मियों के आगमन का संकेत देती है। इस दिन गंगा और यमुना के ठंडे जल में स्नान करने से शरीर में रक्त संचार बेहतर होता है और मानसिक शांति प्राप्त होती है।

अमृत स्नान और मोक्ष का संदेश
महाकुंभ के दौरान मकर संक्रांति पर अमृत स्नान व्यक्ति को जीवन के उच्चतम उद्देश्य यानी मोक्ष की ओर अग्रसर करता है। यह आध्यात्मिकता, धर्म और मानवता के समागम का पर्व है। अमृत स्नान का समाज पर प्रभाव।महाकुंभ में संगम स्नान के दौरान दुनिया भर से लाखों श्रद्धालु एकत्र होते हैं। यह आयोजन सांस्कृतिक और धार्मिक एकता का प्रतीक बनता है। साधु-संतों और श्रद्धालुओं के समागम से प्रेरित होकर लोग धर्म, सेवा और आध्यात्मिकता की ओर अग्रसर होते हैं।

मकर संक्रांति पर प्रयागराज के संगम में अमृत स्नान करना केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह जीवन को आध्यात्मिकता और सकारात्मकता से भरने का माध्यम है। यह पर्व न केवल व्यक्ति को पवित्रता और मोक्ष की ओर ले जाता है, बल्कि समाज में शांति और सद्भावना का संदेश भी फैलाता है। महाकुंभ में मकर संक्रांति पर अमृत स्नान भारतीय संस्कृति, अध्यात्म और धर्म का अद्भुत संगम है, जो हर व्यक्ति के जीवन में नई दिशा और प्रेरणा का संचार करता है।

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